डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गूगल ने भारत में सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील यूजर्स को ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए ‘सुरक्षित और भरोसेमंद’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) विकसित करने की व्यापक योजना की घोषणा की है।
कंपनी ने जोर देकर कहा है कि AI की व्यापक बदलाव वाली भूमिका को आगे बढ़ाने में सुरक्षा या सेफ्टी की भूमिका बुनियादी होनी चाहिए। गूगल की यह घोषणा आगामी AI इम्पैक्ट समिट 2026 से पहले की गई है। गूगल की यह पहल स्कैम्स, साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और भारत तथा ग्लोबल साउथ के लिए समावेशी AI मॉडल बनाने पर केंद्रित है।
कंपनी ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम, स्क्रीन-शेयरिंग धोखाधड़ी और वॉयस क्लोनिंग जैसे बढ़ते खतरों पर चिंता जताते हुए कहा कि गूगल की रणनीति ऐसी सुरक्षा प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करती है, जो स्कैमर्स की तुलना में तेजी से काम करती है।
डीपफेक का मुकाबला
इसी दिशा में डीपफेक का मुकाबला करने के लिए गूगल अपनी AI वाटरमार्किंग तकनीक SynthIDका इस्तेमाल जागरण समेत अन्य भागीदारों के साथ कर रहा है। वहीं, गूगल प्ले प्रोटेक्ट ने भारत में हाई-रिस्क वाले 115 मिलियन से अधिक साइडलोडेड ऐप्स के इंस्टॉलेशन प्रयासों को रोका है। गूगल पे हर सप्ताह 1 मिलियन से अधिक स्कैम अलर्ट जारी करता है।
सिंथआईडी की एनालिसिस डीपफेक और एआई मैनिपुलेटेड मल्टीमीडिया में एआई मैनिपुलेशन की पहचान करने वाला प्रभावी तकनीक है। सिंथआईडी की एनालिसिस वाले फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
डिजिटल साक्षरता और समावेशी AI पर जोर
गूगल बड़े पैमाने पर डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों में भी निवेश कर रहा है। लियो, सुपर सर्चर्स और वरिष्ठ नागरिकों पर केंद्रित डिजीकवच जैसी पहल का उद्देश्य लाखों लोगों को ऑनलाइन जोखिमों को पहचानने की क्षमता से लैस करना है।