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क्रिकेट को लेकर भारत एक दीवाना देश है. ऐसा लगता है कि एआई चैटबॉट चैटजीपीटी भारत के इस सच को अच्छी तरह समझता है.
इसलिए जब इसके सह संस्थापक सैम ऑल्टमैन ने इसे अपनी यानी सैम ऑल्टमैन की एनिमेशन शैली में एक क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में दिखाने का निर्देश दिया तो बॉट ने तुरंत ही ऑल्टमैन की एक छवि तैयार कर दी.
इस छवि में वो हाथ में क्रिकेट का बल्ला लिए और नीले रंग की भारतीय जर्सी पहने हुए नज़र आए.
ऑल्टमैन ने गुरुवार को सोशल मीडिया एक्स पर अपना एनिमेटेड क्रिकेटर अवतार शेयर किया. इस तस्वीर ने भारत में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों को चौंका दिया.
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ऑल्टमैन के मक़सद पर अटकलें तेज़
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आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) की दुनिया के टेक अरबपति सैम ने पिछले सप्ताह वायरल स्टूडियो घिबली-ट्रेंड में शामिल होने से पहले भी एआई-जनरेटेड तस्वीरें साझा की थीं. लेकिन इस बार भारत की जर्सी ने इसे लोगों के बीच चर्चा में ला दिया.
जहां कुछ भारतीय यूजर्स ने कहा कि वे ऑल्टमैन को अपनी क्रिकेट टीम के रंगों में देखकर खुश हुए, वहीं कई लोगों ने इस तस्वीर को शेयर करने के पीछे उनके मक़सद के बारे में अटकलें लगानी भी शुरू कर दीं.
एक यूजर ने कहा, “सैम भारतीय ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.”
सैम ऑल्टमैन चैटजीपीटी के मालिक हैं.
एक अन्य यूजर ने कहा, “अब भारत के लिए आपकी (सैम) घोषणा का इंतज़ार है. आप 40 अरब डॉलर में से भारत के लिए कितनी रकम आवंटित करने वाले हैं.”
उनका इशारा हाल ही में ऑल्टमैन का अपनी कंपनी ओपनएआई के लिए जुटाई गई रिकॉर्ड फंडिंग की ओर था.
एक अन्य उपयोगकर्ता ने ऑल्टमैन के हालिया सोशल मीडिया पोस्ट में देखे गए एक ख़ास पैटर्न के बारे में बात की और एक सवाल किया, जो कई भारतीय यूजर्स के मन में है.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “पिछले कुछ दिनों से आप भारत और भारतीय ग्राहकों की खूब तारीफ़ कर रहे हैं. भारत को लेकर अचानक इतना प्यार कैसे पैदा हुआ? ऐसा लगता है कि पर्दे के पीछे आपकी कोई बड़ी रणनीति बन रही है.”
हालांकि इस तरह की टिप्पणी में कुछ साजिष भी हो सकती है, लेकिन इसमें कुछ हद तक सच्चाई भी है.
ऑल्टमैन ने क्रिकेट जर्सी में अपनी तस्वीर शेयर करने से कुछ घंटे पहले ही एक्स पर एक पोस्ट शेयर की थी, जिसमें एआई तकनीक को अपनाने के लिए भारत की सराहना की गई थी.
उन्होंने कहा कि यह “देखना अद्भुत” था और यह देश “दुनिया को पीछे छोड़ रहा है.”
यह पोस्ट भी भारत में वायरल हो गई और मीडिया ने इस पर यूजर्स के कमेंट के आधार पर कई ख़बरें भी लिखीं.
भारत को लेकर ऑल्टमैन के बदले सुर
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एक यूजर ने तो रेडिट पर एक थ्रेड भी शुरू कर दिया, जिसमें हास्यास्पद तरीके से रेडिटर्स की जिज्ञासा और संभवतः भ्रम को दिखाया गया था.
रेडिट पर ऑल्टमैन की पोस्ट को साझा करते हुए इस शख्स ने लिखा, “क्या कोई मुझे बता सकता है कि सैम ऑल्टमैन अपने ट्वीट में किस बारे में बात कर रहे हैं?”
ऑल्टमैन की इन सभी पोस्ट पर उनकी मंशा पर सवाल उठाते हुए काफ़ी कमेंट्स आए हैं.
ऑल्टमैन के भारत के प्रति कथित आकर्षण पर संदेह के पीछे देश की एआई क्षमता के बारे में उनके पिछले विचार हो सकते हैं.
साल 2023 में भारत की यात्रा के दौरान उन्होंने छोटे भारतीय स्टार्टअप्स को क़रीब-क़रीब ख़ारिज कर दिया था जो एआई टूल्स बना रहे थे और जो ओपनएआई की रचना के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते थे.
एक कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि कैसे एक छोटी स्मार्ट टीम क़रीब एक करोड़ डॉलर के कम बजट के साथ एआई के लिए आधारभूत मॉडल तैयार कर सकती है, तो उन्होंने जवाब दिया था कि ऐसी कोशिश करना “पूरी तरह निराशा से भरा होगा”, लेकिन उद्यमियों को फिर भी इसकी कोशिश करनी चाहिए.
लेकिन जब इस साल ऑल्टमैन फिर से भारत आए तो उनका सुर बदला हुआ था.
फरवरी महीने में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ मुलाक़ात में ऑल्टमैन ने कम लागत वाले एआई मॉडल बनाने में भारत के साथ सहयोग करने की इच्छा जताई थी.
उन्होंने एआई तकनीक को अपनाने में भारत के तेज़ी से आगे बढ़ने की भी प्रशंसा की और कहा कि भारत ओपनएआई का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है, जहां पिछले साल की तुलना में यूजर्स की संख्या तीन गुना बढ़ गई है.
उन्होंने भारत की यह प्रशंसा ऐसे समय में की जब उनकी कंपनी भारत की कुछ बड़ी न्यूज़ मीडिया कंपनियों के साथ उनके कंटेंट के कथित अनधिकृत इस्तेमाल को लेकर क़ानूनी लड़ाई लड़ रही है.
भारत का विशाल बाज़ार
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जानकारों का कहना है कि भारत के प्रति ऑल्टमैन के नए विचार संभवतः एक बाज़ार के रूप में भारत से होने वाले फ़ायदे से जुड़े हुए हैं.
इंटरनेशनल ट्रेड एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक़ भारत में एआई बाज़ार साल 2025 तक आठ अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. यह साल 2020 से 2025 तक 40 फ़ीसदी से ज़्यादा की सालाना रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है.
टेक पॉलिसी से जुड़ी वेबसाइट मीडियानामा डॉट कॉम के संस्थापक और संपादक निखिल पाहवा कहते हैं कि जब एआई कंपनियों के संस्थापकों के भारत के बारे में “बड़े-बड़े बयान” आते हैं तो इसका बहुत कुछ संबंध देश में मौजूद यूजर्स की विशाल संख्या से होता है.
उनका कहना है कि ऑल्टमैन भारत को लुभाने वाले एकमात्र सीईओ नहीं हैं.
इसी साल जनवरी में एआई सर्च इंजन ‘पेरप्लेक्सिटी’ के संस्थापक अरविंद श्रीनिवास ने भी भारतीय एआई स्टार्टअप्स के साथ काम करने की इच्छा जताई थी.
श्रीनिवास ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था कि वो “भारत को फिर से महान बनाने के लिए एआई के लिए दस लाख डॉलर निवेश और हर सप्ताह अपना पांच घंटे का समय देने के लिए तैयार हैं.”
टेक्नोलॉजी पर लिखने वाले प्रशांतो के रॉय का मानना है कि घिबली-ट्रेंड ने चैटजीपीटी और अन्य प्रभावशाली एआई प्लेटफ़ॉर्म के लिए भारत के विशाल बाज़ार को दुनिया के सामने खोल दिया है.
उनका कहना है, “इसके साथ ही जेमिनी और ग्रोक जैसे प्रतिस्पर्धी एआई मॉडल तेज़ी से भारतीय यूजर्स हासिल कर रहे हैं. ऑल्टमैन अपनी फर्म की सेवाओं के मौजूदा उपयोगकर्ताओं को बनाए रखने और नए यूजर्स हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.”
निखिल पाहवा कहते हैं, “ग्राहकों के लिहाज से सभी वैश्विक एआई आधारभूत मॉडलों के लिए भारत एक बहुत बड़ा देश है और चैटजीपीटी को बहुत सस्ती ‘डीपसीक’ एआई से चुनौती मिल रही है, इसलिए ऑल्टमैन ज़्यादा भारतीय ग्राहकों और डेवलपर्स को जोड़ने के लिए उत्सुक हैं.”
उन्होंने कहा, “जब भारत को लेकर ऐसी बड़ी बातें सामने आती हैं तो इसमें कोई वास्तविक प्रेम नहीं होता है, बल्कि यह केवल व्यापार है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित