भारत को लंबे समय में चिकनगुनिया के सबसे बड़े प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है जिससे हर साल 51 लाख लोगों को इस मच्छर जनित संक्रमण का खतरा हो सकता है।बीएमजे वैश्विक स्वास्थ्य नामक पत्रिका में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है। भारत और ब्राजील में इस बीमारी के कारण स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों तथा व्यक्तियों पर पड़ने वाले वैश्विक प्रभाव का 48 प्रतिशत हिस्सा है।
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत को लंबे समय में चिकनगुनिया के सबसे बड़े प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे हर साल 51 लाख लोगों को इस मच्छर जनित संक्रमण का खतरा हो सकता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) वैश्विक स्वास्थ्य नामक पत्रिका में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है।
ब्राजील और इंडोनेशिया में चिकनगुनिया के मरीज बढ़े
अध्ययन के अनुसार, ब्राजील और इंडोनेशिया दूसरे तथा तीसरे सबसे अधिक प्रभावित देश हो सकते हैं। भारत और ब्राजील में इस बीमारी के कारण स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों तथा व्यक्तियों पर पड़ने वाले वैश्विक प्रभाव का 48 प्रतिशत हिस्सा है।
लंबे समय तक स्वास्थ्य प्रभाव बड़ी चिंता
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रापिकल मेडिसिन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किया गया यह अध्ययन बताता है कि लंबे समय तक स्वास्थ्य प्रभाव सबसे बड़ी चिंता का विषय होगा तथा मौजूदा साक्ष्यों से पता चलता है कि लगभग 50 प्रतिशत प्रभावित लोग संभवत: दीर्घकालिक दिव्यांगता से जूझ रहे हैं।
दुनिया भर में प्रति वर्ष 1.40 करोड़ चिकनगुनिया संक्रमण के खतरे में
अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में प्रति वर्ष 1.40 करोड़ से अधिक लोग लंबे समय तक चिकनगुनिया संक्रमण के खतरे में रह सकते हैं। इस अध्ययन के सहलेखक सुशांत सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि चिकनगुनिया जैसे विषाणुओं के वाहकों का संभावित प्रसार, वर्षों तक अनुसंधान करने के बाद भी नहीं रुकेगा।
इसलिए यह हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जिस मॉडल पर हम काम कर रहे हैं, उसे वास्तविक समय में साझा किया जाए और उसका उपयोग किया जाए, ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों को मौजूदा चुनौतियों का प्रबंधन करने और भविष्य के लिए तैयारी करने में मदद मिल सके। सुशांत सहस्त्रबुद्धे दक्षिण कोरिया के अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन संस्थान में नवाचार, पहल और उद्यम विकास के एसोसिएट महानिदेशक के पद पर कार्यरत हैं।
क्या है चिकनगुनिया
चिकनगुनिया एक वायरस है, जो एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के काटने से फैलता है, जिन्हें आमतौर पर येलो फीवर और टाइगर मच्छर के रूप में जाना जाता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार और जोड़ों का गंभीर दर्द शामिल हो सकता है और लगभग 50 प्रतिशत रोगी दीर्घकालिक जोड़ों के दर्द और दिव्यांगता से पीडि़त होते हैं।