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भीषण सड़क हादसों पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, NHAI और सड़क परिवहन मंत्रालय को नोटिस जारी

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Nov 10, 2025


जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट राजमार्गों पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को लेकर गंभीर है। शीर्ष अदालत ने पिछले दिनों राजस्थान के फलौदी और तेलंगाना में हुई सड़क दुर्घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने एनएचएआइ और सड़क परिवहन मंत्रालय से हाईवे के किनारे अनधिकृत क्षेत्र में स्थित ढाबों और सड़कों की हालत पर दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।

सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी में कहा कि लगातार दो राजमार्ग दुर्घटनाएं जिसमें करीब 40 लोगों की जान चली गई ये असहनीय है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति जेके महेश्वरी और विजय विश्नोई की पीठ कर रही है। गत दो नवंबर को राजस्थान के फलौदी में भारतमाला राजमार्ग पर एक भोजनालय के सामने खड़े ट्रक से एक टैंपो ट्रैवलर टकरा गया था। टैम्पो जोधपुर से महिलाओं और बच्चों को लेकर जा रहा था। इस दुर्घटना में 15 लोगों की मौत हुई थी।

‘नियमित टोल भुगतान के बावजूद राजमार्गों की स्थिति खराब’

उसके अगले ही दिन तीन नवंबर को हैदराबाद-बीजापुर राजमार्ग पर एक गड्ठे से बचने के लिए एक लारी और बस के बीच आमने सामने टक्कर हो गई थी इसमें 19 लोगों की मौत हो गई थी। सोमवार को मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर की जा रही सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में दोनों दुर्घटनाओं के जो कारण बताए गए हैं उनमें सुविधा क्षेत्र के लिए गैर अधिसूचित स्थानों में स्थित ढाबों पर वाहनों के रुकने के कारण हो रहे हैं। इसके अलावा खराब सड़कें भी कारण हैं।

पीठ ने कहा कि कोर्ट ने कहा गया है कि नियमित टोल भुगतान के बावजूद राजमार्गों की स्थिति खराब थी। जस्टिस महेश्वरी ने कहा कि आम लोगों ने ऐसे अनधिकृत क्षेत्र में ढाबे या भोजनालय खोले हैं जिन्हें सुविधा क्षेत्र के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है। इसकी नतीजा ये होता है कि वाहन इन ढाबों पर रुक जाते है और पीछे से आने वाले दूसरे वाहन इन खड़े वाहनों को नहीं देख पाते और दुर्घटनाएं होती हैं। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि नियमित टोल भुगतान के बावजूद राजमार्गों की हालत बहुत खराब थी।

दो सप्ताह में इन दोनों राजमार्गों के बारे में स्थिति रिपोर्ट मांगी

कोर्ट ने एनएचएआइ और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से दो सप्ताह में इन दोनों राजमार्गों के बारे में स्थिति रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में एनएचएआइ और सड़क परिवहन मंत्रालय को दोनों राजमार्गों के किनारे गैर अधिसूचित क्षेत्र में स्थिति ढाबों की संख्या और सड़कों की स्थिति और दोनों राजमार्गों के रखरखाव के लिए ठेकेदारों द्वारा अपनाए गए मानदंडों का ब्योरा देना होगा।

पीठ ने मामले में गृहमंत्रालय को और जिन राज्यों से दोनों राजमार्ग गुजरते हैं वहां के मुख्य सचिवों को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई में मदद के लिए वरिष्ठ वकील एएनएस नंदकर्णी को न्यायमित्र नियुक्ति किया है। नंदकर्णी ने पीठ से कहा कि वह मामले की सुनवाई का दायरा बढ़ाए क्योंकि समस्या पूरे देश में है लेकिन कोर्ट ने कहा कि पहले इस मामले में देखते हैं क्या हुआ।

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