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मध्य प्रदेश के भोपाल में महिला डीएसपी कल्पना रघुवंशी के ख़िलाफ़ चोरी का मामला दर्ज किया गया है.
आरोप है कि उन्होंने अपनी ही सहेली प्रमिला तिवारी के घर से दो लाख रुपये नकद और एक मोबाइल फ़ोन चोरी किया.
यह घटना 24 सितंबर को जहांगीराबाद थाना क्षेत्र में हुई थी. प्रमिला तिवारी ने बताया कि गणेश विसर्जन के दिन कल्पना उनके घर खाना खाने आई थीं.
प्रमिला तिवारी ने कहा कि उन्होंने सपने में भी कभी नहीं सोचा था कि वो उनके साथ ऐसा करेंगी.
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इस घटना के बाद भोपाल पुलिस ने डीएसपी कल्पना रघुवंशी के ख़िलाफ़ बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की चोरी से जुड़ी धारा के तहत मामला दर्ज किया है.
पुलिस के अनुसार, आरोपी डीएसपी फिलहाल फ़रार हैं और उनकी तलाश जारी है.
मामला सामने आने के बाद मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है.
इस घटना ने पुलिस विभाग के भीतर ईमानदारी और जवाबदेही को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
शिकायतकर्ता ने क्या बताया?
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प्रमिला तिवारी एक इंश्योरेंस कंपनी में काम करती हैं और सिंगल मदर हैं.
उन्होंने बताया, “मैंने अपनी बच्ची की फ़ीस भरने के लिए पैसे निकाले थे. एक लाख रुपये अपने पिता से लिए थे और बाकी पैसे कुछ दोस्तों से उधार लिए थे. मेरी बेटी नीट परीक्षा की तैयारी कर रही है, उसके ट्यूशन के लिए ये पैसे निकाले थे.”
एफआईआर के अनुसार, प्रमिला 24 सितंबर की शाम करीब 6.30 बजे अपना मोबाइल फ़ोन किचन में चार्ज पर लगाकर पूजा से पहले बाथरूम में नहाने चली गई थीं.
उस वक्त घर का दरवाज़ा थोड़ा खुला था और उनकी बेटी दूसरे कमरे में पढ़ रही थी.
प्रमिला ने आगे कहा, “जब मैं नहाकर बाहर आई तो देखा कि मोबाइल फ़ोन गायब था. घर के हॉल में रखे बैग में बच्ची की फ़ीस के लिए रखे दो लाख रुपये (500-500 रुपये के नोट की चार गड्डियां) भी गायब थे.”
इसके बाद प्रमिला तिवारी ने अपनी बेटी के साथ आसपास तलाश की और पड़ोसी के घर के सीसीटीवी कैमरे देखे.
प्रमिला का कहना है कि फ़ुटेज में उनकी सहेली कल्पना रघुवंशी उनके घर में आती हुई दिखाई दीं.
उन्होंने कहा, “जब वो अंदर आईं, तो उनके हाथ में कुछ नहीं था, लेकिन बाहर निकलते वक़्त उनके एक हाथ में पैसों की गड्डी और दूसरे में पर्स था. उन्होंने मेरा सैमसंग मोबाइल, जिसमें दो सिम कार्ड लगे थे और पैसे दोनों चोरी कर लिए.”
‘कहां से लाऊंगी दोबारा इतने पैसे’
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प्रमिला तिवारी ने बीबीसी को बताया कि उनकी और कल्पना रघुवंशी की मुलाक़ात 5-6 साल पहले एक बीपीएल कार्ड बनवाने को लेकर हुई थी. उसके बाद दोनों में दोस्ती हुई और कल्पना उनके घर आने-जाने लगीं.
उन्होंने कहा, “चोरी से पहले वो सितंबर महीने में गणेश विसर्जन के दिन मेरे घर आई थीं. मेरे यहां खाना खाकर गई थीं. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कल्पना मेरे साथ ऐसा करेंगी.”
उन्होंने कहा, “उस दिन कल्पना घर आईं, न तो फ़ोन किया और न ही डोरबेल बजाई. मुझे लगता है कि वो स्वाभाविक तौर पर अंदर आईं और बाहर मेरा पर्स रखा था और मौक़ा देखकर ये चोरी कर ली.”
प्रमिला कहतीं हैं, ” कल्पना की इस हरकत का असर मेरी बेटी की पढ़ाई और भविष्य पर पड़ रहा है. उसकी फ़ीस नहीं भर पा रही हूं तो अब उसका ट्यूशन बंद हो जाएगा. मैं सिंगल मदर हूं कहां से लाऊंगी दोबारा इतने पैसे, ये सोचकर दिल भारी हो जाता है.”
उन्होंने कहा कि वो इस घटना से बहुत परेशान हो गईं थीं और परिवार से रायशुमारी करने के बाद ही उन्होंने 2 अक्तूबर को रिपोर्ट दर्ज कराने का फ़ैसला लिया.
पुलिस ने क्या बताया?
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भोपाल में पदस्थ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बिट्टू शर्मा ने पत्रकारों को बताया, “फ़रियादी का मोबाइल फ़ोन आरोपी के घर से बरामद किया गया है. सीसीटीवी फुटेज, जो मीडिया में दिखाए जा रही है, उनमें आरोपी को घर में आते-जाते देखा जा सकता है और उनके हाथ में पैसे भी देखे जा सकते हैं.”
पुलिस ने यह भी बताया कि मोबाइल बरामद किया जा चुका है, लेकिन चोरी हुए दो लाख रुपये नकद अब तक नहीं मिले हैं.
पुलिस मुख्यालय ने आरोपी अधिकारी के ख़िलाफ़ विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
भोपाल पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “इस तरह की घटना से पुलिस के ख़िलाफ़ अविश्वास पैदा हो सकता है. सभी उच्चाधिकारियों का इसको लेकर रुख़ साफ़ है कि बिना किसी लापरवाही के इस मामले में निष्पक्ष जांच होगी और दोषी पाए जाने पर किसी को बख़्शा नहीं जाएगा.”
मध्य प्रदेश में यह अकेली घटना नहीं
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भोपाल की यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब मध्य प्रदेश पुलिस हाल ही में एक और बड़े भ्रष्टाचार के मामले को लेकर सुर्खियों में रही थी.
अक्तूबर की शुरुआत में सिवनी ज़िले के कुछ पुलिस अधिकारियों पर हवाला कारोबारियों से ज़ब्त किए गए तीन करोड़ रुपये को लेकर “50-50 परसेंट के सौदे” का आरोप लगा था.
पुलिस के मुताबिक, यह मामला 8 और 9 अक्तूबर की दरम्यानी रात का है, जब सिवनी ज़िले के सिलाढ़ेही गांव के पास एसडीओपी पूजा पांडे, थाना प्रभारी अर्पित भैरम और उनकी टीम ने हवाला से जुड़ी आशंका में एक कार को रोका था.
कार से तीन करोड़ रुपये नकद बरामद हुए, जो ड्राइवर की सीट के नीचे बने गुप्त ख़ानों में छिपाए गए थे.
लेकिन अगले दिन जब ज़ब्ती की आधिकारिक रिपोर्ट दर्ज हुई, तो उसमें सिर्फ़ 1.45 करोड़ रुपये का ज़िक्र था, बाकी रकम का कोई हिसाब नहीं मिला.
इसी बीच हवाला कारोबारी सोहन परमार थाने पहुंचे और पुलिस पर तीन करोड़ रुपये लूटने का आरोप लगाया.
जांच में सामने आया कि पुलिस अधिकारियों ने हवाला कारोबारी से 50-50 परसेंट का सौदा किया था, आधे पैसे अपने पास रखने और बाकी लौटाने की बात हुई थी.
लेकिन जब लौटाई गई रकम कम निकली, तो कारोबारी ने अधिकारियों के दफ़्तर में ही हंगामा किया और मामला उजागर हो गया.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले पर कहा था, “जो क़ानून तोड़ेगा, उसे बख़्शा नहीं जाएगा… चाहे वो क़ानून की रक्षा करने वाला ही क्यों न हो. जब क़ानून के रखवाले ही उसके भक्षक बन जाएं, तो ऐसी विश्वासघातपूर्ण हरक़त बर्दाश्त नहीं की जाएगी.”
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद एसडीओपी पूजा पांडे, टीआई अर्पित भैरम और चार अन्य पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ डकैती, अपहरण और आपराधिक साज़िश जैसी धाराओं में एफ़आईआर दर्ज की गई और उन्हें गिरफ़्तार किया गया.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
