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मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.
मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात बीरेन सिंह के एक निजी सहायक दीपक शिजागुरुमयुम ने बीबीसी से इस बात की पुष्टि की है और बताया है कि मुख्यमंत्री ने रविवार शाम को अपना इस्तीफ़ा राज्यपाल को सौंप दिया है.
बीरेन सिंह के इस्तीफ़े की ख़बर इसलिए अहम है क्योंकि उनके कार्यकाल में मणिपुर में व्यापक हिंसा हुई है और विपक्षी दल एन बीरेन सिंह पर हिंसा से निपटने में देरी का आरोप लगाते रहे हैं.
मई 2023: मणिपुर में हिंसा भड़की
मणिपुर में क़रीब डेढ़ साल पहले हिंसा का दौर शुरू हुआ था.
उस वक़्त 27 मार्च 2023 को मणिपुर हाई कोर्ट ने एक आदेश में राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की बात पर जल्दी विचार करने को कहा था.
इस आदेश के कुछ दिन बाद ही तीन मई 2023 को राज्य में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़क गई थी. इसमें कई लोगों की जान भी गई.
मणिपुर में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर द्वारा आयोजित एक जन रैली के हिंसक हो जाने के बाद प्रशासन ने शूट ऐट साइट का ऑर्डर भी जारी किया.
उसके बाद प्रदेश के अधिकांश ज़िलों में कर्फ़्यू लगा दिया गया और हालात को नियंत्रित करने के लिए सेना और असम राइफ़ल्स के जवानों को तैनात किया गया.
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इस हिंसा की वजह से सार्वजनिक संपत्ति का नुक़सान तो हुआ ही, हज़ारों लोगों को बेघर भी होना पड़ा.
राज्य के मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को इस हिंसा की मुख्य वजह माना जाता है.
इसका विरोध मणिपुर के पहाड़ी इलाक़ों में रहने वाले कुकी जनजाति के लोग कर रहे थे.
बाद में फ़रवरी 2024 में मणिपुर हाई कोर्ट ने अपने पिछले आदेश से उस अंश को हटा दिया था, जिसमें मैतेई समुदाय के लिए एसटी का दर्जा देने की सिफ़ारिश का ज़िक्र था.
हिंसा से प्रभावित मैतेई और कुकी समुदाय के लोग अब भी बड़ी संख्या में राहत शिविरों में रह रहे हैं. वहीं कुछ लोगों को भागकर पड़ोसी राज्य मिज़ोरम में भी शरण लेनी पड़ी है.
मणिपुर सरकार के अनुसार इस हिंसा में अब तक 250 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
मणिपुर में शुरू हुई यह हिंसा बीते 21 महीनों में भी पूरी तरह शांत नहीं हो पाया है और राज्य से रह रहकर हिंसा की ख़बरें आती हैं.
अमित शाह का दौरा और बीरेन सिंह का दावा
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मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद उसी साल मई महीने के अंत में गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर का दौरा किया.
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने दावा किया कि स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया है और 20 हज़ार के क़रीब लोगों को हिंसाग्रस्त इलाक़ों से निकालकर शिविरों में पहुंचा दिया गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अमित शाह ने विभिन्न वर्गों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि राज्य में शांति बहाल करना सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता है.
फिर सेना, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान उन्होंने अधिकारियों को शांति भंग करने वालों के साथ सख़्ती से निपटने का निर्देश दिया.
जुलाई 2023: दो महिलाओं का वीडियो
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19 जुलाई 2023 को मणिपुर में हुई हिंसा दुनिया भर में सुर्खियां बनीं – जब दो कुकी महिलाओं के नग्न परेड का वीडियो सोशल मीडिया में सामने आया.
मणिपुर पुलिस ने इस वीडियो की पुष्टि करते हुए बताया कि ये महिलाएं चार मई को मणिपुर के थोबल ज़िले में यौन उत्पीड़न की शिकार हुई थीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब संसद के मॉनसून सत्र से पहले मीडिया से बात करने आए तो उन्होंने भी मणिपुर की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनका हृदय पीड़ा से भरा हुआ है.
पीएम मोदी ने कहा कि देश की बेइज्जती हो रही है और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा.
यह पहली बार था जब प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में जारी हिंसा पर कुछ कहा था.
इससे पहले विपक्ष मणिपुर पर पीएम मोदी के न बोलने को लेकर लंबे समय से सवाल उठा रहा था.
यह एक एसा मुद्दा था जिस पर मणिपुर सरकार की चौतरफा आलोचना की गई.
इसी दौरान जुलाई के अंत में ही पूर्व सेना प्रमुख जनरल एम.एम नरवणे ने कहा, ”मणिपुर में जो हो रहा है उसमें विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है, सीमावर्ती राज्यों में अस्थिरता देश की समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छा नहीं है.”
उन्होंने ज़ोर देते हुए ये भी कहा कि ”अलग-अलग विद्रोही समूहों को मिल रही कथित चीनी मदद कई सालों से जारी है.”
जनरल नरवणे ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ”राष्ट्रीय सुरक्षा परिप्रेक्ष्य” विषय पर आयोजित एक चर्चा के दौरान मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर ये बातें कही.
जनवरी 2024
पिछले साल जनवरी महीने के मध्य में 48 घंटों में अलग-अलग जगह पर हुई हिंसा में पांच नागरिकों समेत दो सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई.
इसमें से एक मामला विष्णुपुर ज़िले का था. यहां संदिग्ध हथियारबंद चरमपंथियों ने गुरुवार शाम एक पिता-पुत्र समेत चार लोगों की हत्या कर दी.
इसी समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मणिपुर से मुंबई तक 6,700 किलोमीटर से ज़्यादा की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू की थी.
मणिपुर की राजधानी इम्फाल के निकट थौबल में वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की मौजूदगी में एक बड़ी रैली के सामने बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा, “मणिपुर जिस दर्द से गुज़रा है, हम उस दर्द को समझते हैं.”
उन्होंने कहा, “हम वादा करते हैं कि उस शांति, प्यार, एकता को वापस लाएंगे, जिसके लिए ये राज्य हमेशा जाना जाता है.”
अप्रैल 2024: पीएम मोदी ने की मणिपुर की बात
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लोकसभा चुनाव 2024 के एलान के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर मणिपुर के मुद्दे पर बात की. चुनाव की घोषणा के बाद पहली बार उन्होंने मणिपुर का ज़िक्र किया.
इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने इस ख़बर को पहले पन्ने पर जगह दी. पीएम मोदी ने कहा है कि केंद्र सरकार के समय रहते दख़ल देने और राज्य सरकार की कोशिशों के कारण मणिपुर के हालात में सुधार आया.
पीएम मोदी ने द असम ट्रिब्यून अख़बार को इंटरव्यू दिया था.
इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा, ”हमारा मानना है कि हालात से संवेदनशीलता के साथ निपटना सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है. मैंने इस बारे में संसद में पहले भी कहा है. हमने अपने सबसे अच्छे संसाधनों, प्रशासन को इस संघर्ष को सुलझाने में लगाया हुआ है.”
अप्रैल 2024: ब्रिटेन की संसद में उठा मणिपुर का मुद्दा
मणिपुर में हो रही हिंसा की चर्चा न केवल दुनियाभर के कई अख़बारों में आती रही बल्कि अप्रैल 2024 में ब्रिटेन की संसद में भी ‘मणिपुर और भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की मौजूदा स्थिति’ का मुद्दा उठाया गया.
विंचेस्टर के लॉर्ड बिशप के एक सवाल के जवाब में ब्रिटेन के उस वक़्त के विदेश मंत्री डेविड कैमरन ने हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अपने संविधान के ज़रिये धार्मिक स्वतंत्रता और विश्वास के लिए प्रतिबद्ध है.
विदेश मंत्रालय और राष्ट्रमंडल देशों से संबंधित विभाग की ज़िम्मेदारी संभाल रहे डेविड कैमरन ने कहा, “इस संबंध में कोई खास मुद्दा या चिंता पैदा होती है तो ब्रिटेन की सरकार निस्संदेह भारत सरकार के सामने ये मुद्दे उठाती है.”
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सितंबर 2024
मणिपुर के इम्फाल ज़िले में हुई ताज़ा हिंसा में एक सितंबर को एक महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 9 अन्य लोग घायल हुए. राज्य में चार महीने से हिंसा की केवल छिटपुट घटनाएं हो रही थीं.
मणिपुर पुलिस का दावा था कि हमलावरों ने ड्रोन की मदद से लोगों पर हमला किया.
मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया एक्स के ज़रिए इस हमले की जानकारी दी और हमले के पीछे कथित ‘कुकी चरमपंथियों’ पर संदेह जताया.
इसके एक हफ़्ते के अंदर मणिपुर के जिरीबाम ज़िले में हुई हिंसा की एक घटना में चार संदिग्ध चरमपंथियों और एक आम नागरिक की मौत हो गई.
यह हमला असम की सीमा से सटे जिरीबाम के मोंगबुंग गांव के पास हुआ.
सुरक्षा बलों के मुताबिक़ जिरीबाम में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने मैतेई समुदाय के एक बुजुर्ग की उनके घर पर हत्या कर दी थी, जिसके बाद वहां हिंसा भड़क गई.
नवंबर 2024: एनपीपी ने लिया समर्थन वापस
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पिछले साल अक्तूबर से शुरू हुई छिटपुट हिंसा की घटनाएँ नवंबर महीने में उस समय और तेज़ हो गईं, जब 11 नवंबर को सुरक्षाकर्मियों के साथ कथित मुठभेड़ में 10 हथियारबंद संदिग्ध चरमपंथी मारे गए.
इस हिंसा के बाद मिज़ोरम में रह रहे मैतेई समुदाय को ज़ो रीयूनिफिकेशन ऑर्गनाइज़ेशन (ज़ोरो) नाम के संगठन की ओर से धमकी मिलने के बाद वहाँ माहौल काफ़ी तनावपूर्ण बन गया.
इस संगठन ने आरोप लगाया कि तटस्थ बल माने जाने वाले सीआरपीएफ़ के जवानों ने 11 नवंबर को 10 आदिवासी युवाओं की गोली मारकर हत्या कर दी, जिससे मणिपुर में जातीय संघर्ष और तेज़ हो गया.
मणिपुर में भड़की हिंसा के बाद नेशनल पीपल्स पार्टी ने पिछले साल नवंबर महीने में राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. एनपीपी के प्रमुख मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा हैं.
नेशनल पीपल्स पार्टी ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा लिखे पत्र में कहा, “नेशनल पीपल्स पार्टी मणिपुर में मौजूदा क़ानून व्यवस्था की स्थिति पर लेकर चिंता व्यक्त करना चाहती है. पिछले कुछ दिनों में हमने स्थिति को और बिगड़ते हुए देखा है, जहां कई निर्दोष लोगों की जान चली गई है और राज्य में लोगों को भारी पीड़ा से गुज़रना पड़ रहा है.”
“हम स्पष्ट तौर पर ये महसूस करते हैं कि श्री बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर राज्य सरकार संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है. वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए एनपीपी ने तत्काल प्रभाव से मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है.”
60 सीटों वाली मणिपुर विधानसभा में एनपीपी के 7 विधायक थे जबकि 3 निर्दलीय विधायक हैं. एनपीपी के एक विधायक जय किशन सिंह कुछ महीनों पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे.
दिसंबर: 2024
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मोदी सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे अजय कुमार भल्ला को हिंसाग्रस्त मणिपुर का राज्यपाल बनाया.
अजय भल्ला से पहले असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य बतौर राज्यपाल मणिपुर की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी संभाल रहे थे.
अजय कुमार भल्ला गृह सचिव के पद पर भी रह चुके थे और उन्हें अमित शाह का क़रीबी माना जाता है.
अजय कुमार भल्ला 1984 बैच के असम-मेघालय कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. केंद्र में काम करने से पहले अजय भल्ला साल 2002 तक असम और मेघालय राज्यों में अलग-अलग पदों पर काम कर चुके हैं.
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जनवरी 2025
मणिपुर के कांगपोकपी ज़िले में एसपी ऑफ़िस पर भीड़ ने 3 जनवरी की शाम को हमला कर दिया. इस हमले में एसपी मनोज प्रभाकर समेत कई लोग घायल हुए.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इम्फाल ईस्ट ज़िले की सीमा से लगे साईबोल गांव में केंद्रीय सुरक्षा बलों को कथित रूप से नहीं हटाने को लेकर यह हमला हुआ. यहां के ग्रामीण सुरक्षा बलों से नाराज़ थे.
साईबोल गांव में 31 दिसंबर को सुरक्षा बलों द्वारा महिलाओं पर कथित लाठीचार्ज को लेकर कुकी संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे थे.
इसके एक दिन बाद यहां बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया गया था, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग एसपी ऑफ़िस के पास इकट्ठा हो गए थे. उनकी मांग थी कि साईबोल में तैनात किए गए केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाया जाए.
इस घटना पर मणिपुर पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा था, “सुरक्षा बलों ने हमले को नाकाम करने की कोशिश की और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल का इस्तेमाल किया. हालात नियंत्रण में हैं. कांगपोकपी के एसपी का इलाज किया गया है और अब वो ठीक हैं. बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है.”
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस हिंसा में 15 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित