मथुरा और झांसी के बीच तीसरी रेलवे लाइन बिछाने का रास्ता साफ हो गया है। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को रेलवे लाइन के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई पर लगी रोक हटा ली। कोर्ट ने कहा कि रेल विकास निगम लिमिटेड ने 50 हजार से अधिक पौधे लगाने का अनिवार्य काम पूरा कर लिया है। रेलवे ने वन विभाग को अनिवार्य वनरोपण राशि मुहैया कराई है।
पीटीआई, नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को मथुरा और झांसी के बीच रेलवे लाइन के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई पर लगी रोक हटा ली। इस मामले के सुनवाई के दौरान देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि रेल विकास निगम लिमिटेड ने 50,943 पौधे लगाने का अनिवार्य काम पूरा कर लिया है।
इस मामले को लेकर न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने सूचित किया कि रेलवे निकाय को 50,943 पौधे लगाने की शर्त पर 5,094 पेड़ काटने की अनुमति 13 मई, 2022 को दी गई थी।
अब पूरा होगा रेल लाइन बिछाने का काम
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि हमने रेल विकास निगम लिमिटेड द्वारा 13 मई, 2022 के आदेश के अनुपालन से संबंधित रिपोर्ट का अवलोकन किया है। यह परियोजना मथुरा और झांसी के बीच तीसरी रेलवे लाइन के संबंध में है। सीईसी की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि 50,943 पेड़ लगाने का अनुपालन किया गया है। हम परियोजना पर 14 अक्टूबर के स्थगन आदेश को खारिज करते हैं।
शीर्ष अदालत ने 14 अक्टूबर को पाया कि प्रतिपूरक वनरोपण नहीं किया गया था, जिसके कारण निर्माण कार्य को रोकना पड़ा। अक्टूबर में, रेलवे निकाय की ओर से पेश वकील ने कहा कि अदालत द्वारा 13 मई, 2022 को 5,094 पेड़ों को गिराने की अनुमति दिए जाने के बाद, इसने उत्तर प्रदेश वन विभाग को अनिवार्य वनरोपण के लिए आवश्यक राशि प्रदान की।
रेलवे ने कही ये बात
रेलवे निकाय की ओर से पेश वकील ने आगे कहा, “हम मथुरा जंक्शन और झांसी के बीच रेल लाइन के लिए उत्तर-मध्य रेलवे के आगरा डिवीजन में एक बाईपास रेल लाइन का निर्माण कर रहे हैं। लेकिन हमें नहीं पता कि अदालत की शर्तों का अनुपालन हुआ या नहीं। अब वन विभाग हम पर जिम्मेदारी थोप रहा है।”
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