मध्य प्रदेश के डिंडौरी ज़िले के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक गर्भवती महिला से ख़ून से सने बिस्तर को साफ़ करवाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.
इस वीडियो के सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन पर अमानवीयता का आरोप लगाते हुए उसकी आलोचना हो रही है.
अधिकारियों के मुताबिक़, ये घटना 31 अक्टूबर की है और पीड़ित महिला की पहचान रोशनी मरावी के तौर पर हुई है जो वायरल वीडियो में अस्पताल का बेड साफ़ करते हुए दिख रही हैं.
आरोपों और आलोचनाओं के बीच डिंडौरी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय की तरफ़ से जारी आदेश में घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया गया है. इस मामले में दो नर्सिंग अफ़सरों को निलंबित कर दिया गया है, साथ ही संबंधित चिकित्सा अधिकारी का ट्रांसफ़र कर दिया गया है.
महिला ने क्या बताया?
दिवाली के दिन डिंडौरी ज़िले के एक परिवार पर ज़मीन विवाद को लेकर दूसरे पक्ष ने हमला कर दिया था जिसमें रोशनी के 65 वर्षीय ससुर धर्म सिंह, उनके पति शिवराज और देवर गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
तीनों घायलों को रोशनी और परिवार के अन्य सदस्य अस्पताल लेकर गए थे. अस्पताल के कर्मचारियों ने गर्भवती रोशनी से कथित तौर पर अस्पताल का वो बेड साफ़ करवाया था जहां उनके घायल रिश्तेदारों को लिटाया गया था.
रोशनी कहती हैं, “मेरे देवर को अस्पताल से रेफर कर दिया गया था. इसके पहले वो जिस बेड पर लेटे थे, वह बेड मुझसे साफ़ करवाया गया था. एक तरफ़ मेरा देवर लहूलुहान था और दूसरी तरफ़ मुझसे बेड साफ़ करवाया गया था. ऐसे समय में तो नहीं करवाना चाहिए था न… मेरा भी दिमाग काम नहीं कर रहा था उस वक्त, जैसा-जैसा मुझे बोला गया मैंने वैसा-वैसा कर दिया… लेकिन मेरे साथ ग़लत किया गया.”
रोशनी ने बताया कि उनके परिवार में चार पुरुष थे जिनमें से तीन की मृत्यु हो गई है और अब उनके परिवार का कोई सहारा नहीं बचा है.
वो कहती हैं, “मेरे तीन बच्चे हैं और चौथा पेट में है, मैं पांच महीने की गर्भवती हूं. अब मेरे परिवार में कोई नहीं बचा है, हमारी देखभाल कौन करेगा? जो ज़मीन है उस पर कब्ज़ा कर लिया गया है.”
“उनकी लाशों के पास मुझसे बिस्तर पर लगा खू़न साफ़ कराया गया, मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन कम से कम अस्पताल वालों को ध्यान रखना चाहिए था.”
विपक्ष की आलोचना, सरकार की कार्रवाई
रोशनी का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और अस्पताल प्रशासन की जमकर आलोचना हो रही है.
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने इसे अमानवीयता का उदाहरण बताते हुए एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, ”प्रदेश में भाजपा की सरकार में बेलगाम अफ़सरशाही द्वारा अमानवीयता के उदाहरण रोज़ सामने आते हैं! किन्तु आदिवासी बहुल डिंडौरी ज़िले में पति की मौत के बाद गर्भवती महिला से साफ़ सफ़ाई करवाना अमानवीयता की पराकाष्ठा है!”
”अपने पति को खो चुकी महिला के साथ अस्पताल प्रशासन का यह व्यवहार निंदनीय और शर्मसार करने वाला है!”
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आम आदमी पार्टी ने भी एक्स पर इस वीडियो को शेयर किया.
पार्टी ने लिखा है, “ये है बीजेपी की स्वास्थ्य व्यवस्था की काली सच्चाई! मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पताल में बीजेपी सरकार ने निर्दयीता की सारी हदें पार कर दी हैं.”
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मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया है कि “हर सरकारी दफ्तर और अस्पताल में आदिवासियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है, जो असहनीय है!”
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए 2 नवंबर को गाड़ासरई में पदस्थ चिकित्सा अधिकारी डॉ. चन्द्रशेखर सिंह का ट्रांसफर कर दिया गया. साथ ही यहां कि दो नर्सिंग अफ़सरों को तत्काल निलंबित कर दिया गया है.
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डिंडौरी ज़िले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय से जारी इस आदेश में लिखा गया है, ”दिवंगत की पत्नी से चिकित्सालय का बिस्तर साफ़ कराया जाना पाया गया है.”
”ज़िले के अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं के साथ साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गाड़ासरई में भी आउटसोर्स के माध्यम से चिकित्सालय की साफ़-सफ़ाई कराए जाने की व्यवस्था होने के बाद भी दिवंगत की पत्नी से चिकित्सालय का बेड साफ़ कराया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित