इमेज कैप्शन, इस मामले में दोनों पक्षों ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज़ कराई है….में
मध्य प्रदेश के सतना में समोसे की दुकान चलाने वाले 63 साल के राजेंद्र प्रसाद सोनी और उनके बेटे ने आरोप लगाया है कि 4100 रुपये की बकाया किस्त नहीं चुकाने पर लोन रिकवरी एजेंट्स ने उन पर खौलता पानी फेंक दिया.
इस घटना के बाद लोन रिकवरी एजेंट्स के काम करने के तरीक़ों और उन पर निगरानी को लेकर सवाल खड़े हुए हैं.
बीबीसी हिन्दी से बातचीत में सतना के पुलिस अधीक्षक हंसराज सिंह ने कहा, “घटना के बाद तुरंत ही पीड़ित राजेंद्र सोनी और उनके बेटे निशांत की शिकायत पर निजी फ़ाइनेंस कंपनी के दो कर्मचारी, सानिया सिंह परिहार और हर्ष पांडे, के ख़िलाफ़ मारपीट, धमकी और गंभीर चोट पहुँचाने जैसी धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.”
पुलिस ने इस मामले में सानिया सिंह की शिकायत पर पिता-पुत्र के ख़िलाफ़ भी मारपीट का काउंटर केस दर्ज किया है.
क्या है पूरा मामला ?
यह मामला सतना ज़िले के नागौद थाना क्षेत्र के गढ़ी टोला वॉर्ड नंबर-6 का है.
राजेंद्र के बेटे निशांत सोनी ने नौ महीने पहले जना स्मॉल फ़ाइनेंस बैंक से 75 हज़ार रुपये का लोन लेकर कारोबार शुरू करने की कोशिश की थी.
राजेंद्र सोनी का कहना है, “मेरे लड़के ने दुकान चलाने की बहुत कोशिश की, लेकिन दुकान नहीं चली. उसके बंद हो जाने के बाद बेटे ने नौकरी करना शुरू किया. इस दौरान हमने कभी भी लोन की किस्त चुकाने में देरी नहीं की. लेकिन सितंबर की शुरुआत में ही बेटे की नौकरी छूट गई, घर में आर्थिक तंगी बढ़ गई और हम लोग 4100 रुपये की एक किस्त अदा नहीं कर पाए.”
इसी बकाया किस्त की वजह से गुरुवार सुबह रिकवरी के लिए बैंक कर्मचारी सानिया सिंह परिहार और हर्ष पांडे उनके घर पहुंचे.
राजेंद्र का कहना है, “मैं समोसा बेचता हूं. घर पर समोसे का आलू उबालने के लिए गैस पर रखा हुआ था. इसी दौरान बैंक के कर्मचारी आए. मैंने बेटे की मजबूरी समझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी. बात गाली-गलौज और धमकी तक पहुँच गई, और फिर एजेंट्स ने घर में रखा खौलता पानी उठा लिया और मुझ पर डाल दिया. बीच-बचाव में मेरा बेटा भी ज़ख्मी हो गया.”
बीबीसी हिंदी ने जना स्मॉल फ़ाइनेंस बैंक के कर्मचारी और इस मामले में दोनों अभियुक्त हर्ष पांडे और सानिया सिंह से भी बात की.
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इमेज कैप्शन, सतना के पुलिस अधीक्षक हंसराज सिंह ने बताया कि अभियुक्तों के ख़िलाफ़ कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है
हर्ष पांडे का कहना है, “हम लोग लोन की किस्त न जमा होने पर नोटिस नहीं देते, बल्कि पहले ग्राहक से सीधे जाकर बात करते हैं. अगर वो अपनी जायज़ परेशानी बताते हैं तो हम उन्हें किस्त जमा करने के लिए और समय देते हैं. कल भी हमारी महिला स्टाफ पहले गई थीं. लेकिन उन्होंने मुझे फ़ोन कर बताया कि उनके साथ बदसलूकी हुई और तभी मैं वहां पहुँचा.”
हर्ष पांडे ने राजेंद्र सोनी और निशांत सोनी पर आरोप लगाते हुए कहा, “हम शांति से बात कर रहे थे लेकिन ग्राहक ने पैसे देने से इनकार कर दिया और हम पर हमला कर दिया.”
जना स्मॉल फ़ाइनेंस बैंक की महिला कर्मचारी सानिया सिंह ने भी आरोप लगाते हुए कहा, “ग्राहक और उनके बेटे ने पैसे देने से मना किया. मुझसे गाली-गलौज की और मुझे मारा भी. इसके बाद उन्होंने खुद ही पानी गर्म करके अपने ऊपर डाल लिया.”
जना स्मॉल फाइनेंस बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध “कर्ज़ वसूली और गिरवी ज़ब्ती नीति” (ड्यूज कलेक्शन एंड सिक्योरिटीज रिपोसेशन पॉलिसी) के मुताबिक़, वसूली प्रक्रिया को “निष्पक्षता, गरिमा और समझाइश” के आधार पर चलाया जाना चाहिए. बैंक की गाइडलाइन साफ़ कहती है कि वह किसी भी तरह की “बेहद ज़बरदस्ती वाली” नीति नहीं अपनाएगा.
लेकिन सतना में हुई घटना को लेकर बैंक पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
बैंक की तरफ़ से क्या कहा गया?
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इमेज कैप्शन, जना स्मॉल फ़ाइनेंस बैंक के एजेंट्स पर लगे हैं गंभीर आरोप
जना स्मॉल फ़ाइनेंस बैंक के अधिकारियों से भी इस मामले में संपर्क किया गया.
बैंक ने ईमेल पर दिए जवाब में कहा, “जना स्मॉल फ़ाइनेंस बैंक में हमारे कर्मचारियों की सुरक्षा और गरिमा, साथ ही हमारे ग्राहकों का विश्वास और भरोसा हमारे लिए सर्वोपरि है. हम इस घटना से अवगत हैं और इसे बेहद गंभीरता से ले रहे हैं. यह मामला इस समय संबंधित प्राधिकारियों की जांच के अधीन है. बैंक निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित करने के लिए पूरा सहयोग कर रहा है.”
वहीं राजेंद्र ने नोटिस के बारे में पूछने पर कहा, “हमें कोई नोटिस नहीं मिला. बल्कि सीधा घर में घुसकर बदतमीज़ी और मारपीट की गई. हम मानते हैं कि हम किस्त नहीं चुका पाए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि एक किस्त की वजह से बैंक के लोग घर में घुसकर मारपीट करेंगे और हमारी सामाजिक इज़्ज़त ख़राब करेंगे. यह तो सरासर ग़लत है.”
हमले में राजेंद्र का हाथ और चेहरा झुलस गया, जबकि निशांत के सीने में चोट आई. दोनों को नागौद सिविल अस्पताल ले जाया गया था. डॉक्टरों के मुताबिक़ उनकी हालत स्थिर है.
लोन की किस्त और लोन रिकवरी एजेंट्स के लिए आरबीआई के क्या हैं दिशा निर्देश?
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इमेज कैप्शन, रिजर्व बैंक ने रिकवरी एजेंट्स और बैंकों के लिए बनाई है गाइडलाइंस
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों और उनकी ओर से काम करने वाले रिकवरी एजेंट्स के लिए दिशानिर्देश तय कर रखे हैं.
इन दिशानिर्देशों में प्रावधान किया गया है कि:
लोन की रिकवरी के समय एजेंट को हमेशा बैंक की तरफ़ से जारी अधिकृत पत्र और पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य है.
आरबीआई के निर्देश हैं कि लोन रिकवरी एजेंट किसी भी स्थिति में धमकी, गाली-गलौज या हिंसा नहीं कर सकते.
एजेंट ग्राहकों से केवल तय समय पर ही संपर्क कर सकते हैं. ग्राहक को एजेंट के बर्ताव के ख़िलाफ़ शिकायत करने और उसका समाधान पाने का अधिकार है.
बैंक अपने लोन रिकवरी एजेंट्स के व्यवहार के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार होता है. अगर कोई एजेंट इन नियमों का उल्लंघन करता है तो कार्रवाई संबंधित बैंक पर की जा सकती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित