आरएसएस ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शुक्रवार को मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के लिए उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। आगे कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनके परिवार एवं प्रियजनों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता है।
पीटीआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शुक्रवार को मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के लिए उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
मनमोहन सिंह के निधन से पूरा देश बेहद दुखी
उन्होंने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री और देश के वरिष्ठ नेता डा. मनमोहन सिंह के निधन से पूरा देश बेहद दुखी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनके परिवार एवं प्रियजनों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डा. सिंह के भारत के लिए योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। हम ईश्वर से दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।’
बयान में कहा गया कि मनमोहन सिंह साधारण पृष्ठभूमि से आते थे, इसके बावजूद उन्होंने देश के सर्वोच्च पद को सुशोभित किया। आरएसएस के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की।
विदेश में खाते में जमा थी विदेश में हुई कमाई
मनमोहन सिंह 1991 में जब नरसिंह राव सरकार में वित्त मंत्री थे उस समय विदेश में उनका एक खाता था, जिसमें विदेश में काम करने से हुई उनकी कमाई जमा थी। इसी दौरान जुलाई 1991 में भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन किया गया। अवमूल्यन का मतलब था कि अमेरिकी डॉलर या किसी अन्य विदेशी मुद्रा और विदेशी संपत्ति को भारतीय रुपये में परिवर्तित करने पर अधिक मूल्य मिलने वाला था। सरकार के फैसले के बाद रुपये के संदर्भ में विदेशी खाते में उनकी रकम का मूल्य बढ़ गया।
प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष में जमा करने के लिए कहा अपना पैसा
उन्होंने लाभ का खुद इस्तेमाल करने के बजाय प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में चेक जमा करा दिया। घटना को याद करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के निजी सचिव रहे रामू दामोदरन ने कहा, अवमूल्यन के फैसले के कुछ समय बाद मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचे थे। शायद वह प्रधानमंत्री के साथ बैठक के लिए आए थे और बाहर जाते समय उन्होंने मुझे लिफाफा दिया और इसे प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष में जमा करने के लिए कहा।
भारत के पास बेहद कम विदेशी मुद्रा भंडार बचा था
लिफाफे में एक बड़ी रकम का चेक था। मुझे उल्लेखित राशि याद नहीं है। उस समय की सरकार जिसमें मनमोहन वित्त मंत्री थे ने वित्तीय संकट को टालने के लिए एक जुलाई 1991 को रुपये का नौ प्रतिशत अवमूल्यन किया और तीन जुलाई 1991 को अतिरिक्त 11 प्रतिशत का अवमूल्यन किया। उस समय भारत के पास बेहद कम विदेशी मुद्रा भंडार बचा था। निर्यात कम हो गया था।
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