पेरिस ओलंपिक में दो मेडल जीतने वालीं निशानेबाज़ मनु भाकर और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं.
सोमवार को सूत्रों के हवाले से ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई थीं जिनमें बताया गया था कि खेल मंत्रालय की 12 सदस्यीय पुरस्कार समिति ने खेल रत्न के लिए जिन नामों की सिफ़ारिश की है, उनमें मनु भाकर का नाम शामिल नहीं है.
इन रिपोर्ट्स के बाद मनु भाकर को खेल रत्न न दिए जाने की चर्चाओं ने ज़ोर पकड़ लिया.
अब मंगलवार को मनु भाकर, उनके पिता राम किशन और कोच जसपाल राणा ने बयान दिया है.
इस साल पेरिस में हुए ओलंपिक में मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल और 10 मीटर मिक्स्ड एयर पिस्टल इवेंट में ब्रॉन्ज़ मेडल जीते थे.
साल 2021 में मनु भाकर ने ‘बीबीसी इमर्जिंग इंडियन स्पोर्ट्सवुमन ऑफ़ द ईयर 2020’ अवॉर्ड जीता था.
‘बीबीसी इंडियन स्पोर्टसवुमन ऑफ़ द ईयर’ के तहत ‘बीबीसी इमर्जिंग इंडियन स्पोर्ट्सवुमन ऑफ़ द ईयर 2020’ अवॉर्ड कैटेगरी में उभरती महिला खिलाड़ी का सम्मान किया जाता है.
‘बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्सवुमन ऑफ़ द ईयर’ का मक़सद है भारतीय महिला खिलाड़ियों और उनकी उपलब्धियों को सम्मानित करना, महिला खिलाड़ियों की चुनौतियों पर चर्चा करना और उनकी सुनी-अनसुनी कहानियों को दुनिया के सामने लेकर आना.
मनु भाकर ने क्या कहा?
भारतीय निशानेबाज़ मनु भाकर ने खेल रत्न अवॉर्ड से जुड़े पूरे मामले पर प्रतिक्रिया दी है.
मनु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “सबसे प्रतिष्ठित खेल रत्न पुरस्कार के लिए मेरे नामांकन के मुद्दे पर जारी विवाद के बीच मैं ये कहना चाहती हूं कि एथलीट के तौर पर मेरा काम देश के लिए खेलना और अच्छा प्रदर्शन करना है. पुरस्कार और सम्मान मुझे प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन ये मेरा लक्ष्य नहीं है.”
“मेरा मानना है कि नामांकन भरते वक़्त मेरी ओर से कोई कमी रही, जिसे अब ठीक कर लिया गया है. पुरस्कार मिले या ना मिले, मुझे देश की ख़ातिर और मेडल जीतने के लिए प्रोत्साहित रहना चाहिए. मेरा सबसे निवेदन है कि इस मामले पर अटकलें न लगाएं.”
क्या मनु भाकर से नामांकन में ग़लती हुई?
26 अक्तूबर को सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स पर मनु भाकर के हैंडल से किए गए एक पोस्ट पर ख़ासा विवाद हो गया था.
इस पोस्ट में एक तस्वीर थी जिसमें मनु भाकर दोनों मेडल थामे हुए थीं और लिखा था- “बताइये मुझे, क्या मैं ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड के लायक हूं? धन्यवाद.”
इस पोस्ट पर एक्स पर बहस तेज़ हो गई थी. हालांकि, इस पोस्ट को बाद में डिलीट कर दिया गया था.
खेल मंत्रालय ने इस आवेदन की अंतिम तिथि 14 नवंबर रात 11.59 बजे तक तय की थी.
मनु भाकर के पिता ने क्या कहा?
इस पूरे विवाद के बीच मनु भाकर के पिता राम किशन ने बीबीसी पंजाबी के संवाददाता हरपिंदर सिंह टौहडा से बातचीत की है. उन्होंने कहा कि बच्चों को खिलाड़ी बनाने से अच्छा है कि वो उन्हें ब्यूरोक्रेट्स या नेता बनाएं क्योंकि एक छोटा सा ब्यूरोक्रेट लाखों खिलाड़ियों की ज़िंदगी ख़राब कर देता है.
“अगर आप किसी को खिलाड़ी बनाना चाहते हो तो आप दूसरों की दया पर निर्भर रहते हो. इससे अच्छा है कि आपके पास ताक़त हो इसलिए अच्छा आईएएस-आईपीएस अफ़सर बनो, मंत्री बनो.”
मनु भाकर के पिता ने साथ ही ये भी कहा कि ‘खेल मंत्रालय के पास मौक़ा है कि वो अपनी ग़लती सुधार ले और मनु भाकर को पुरस्कार दे दिया जाए.’
इसके साथ ही राम किशन ने कहा कि ‘पुरस्कारों की सिफ़ारिश करने वाली समिति में ओलंपिक खेलने वाला सिर्फ़ एक सदस्य था जबकि सभी ब्यूरोक्रेट्स थे. ओलंपिक खेलने वाला सदस्य ही ओलंपिक का महत्व जानता है. जज और ब्यूरोक्रेट्स अगर समिति में होंगे तो वही उस पर हावी होंगे.’
पुरस्कार के लिए अप्लाई करने में कोई कमी रहने के सवाल पर राम किशन ने कहा, “इसमें नौकरी थोड़े ही अप्लाई करनी थी, ये तो खेल का एक सम्मान है जो सरकार खिलाड़ियों को देती है. मनु ने अप्लाई किया या नहीं किया ये तो सवाल ही नहीं है. पॉइंट तो यह है कि जिन्हें आज तक मिला है क्या उन्होंने अप्लाई किया था. पिछले ओलंपिक से जो लौटकर आए थे उन्हें भी पुरस्कार मिला था, उन्होंने भी अप्लाई नहीं किया था.”
“मीराबाई चनु, लवलीना बोरगोहेन, नीरज चोपड़ा, मोहम्मद शमी ने अप्लाई नहीं किया. मनु तीन-चार साल से अप्लाई कर रही थी लेकिन उसे नहीं दिया गया. अप्लाई करना तो एक बहाना है विवाद पैदा करने के लिए. खेल रत्न से लेकर उसने पद्मश्री और पद्मभूषण तक अप्लाई किया था. लिस्ट पहले से जो तय होती है उसी पर स्टांप लगता है और इसका श्रेय कमिटी को दिया जाता है कि उसने नाम तय किए थे.”
राम किशन ने कहा है कि मनु भाकर को उम्मीद थी कि उन्हें पुरस्कार मिलेगा क्योंकि वो उसके लायक हैं और ये उनके हाथ में नहीं बल्कि देशवासियों के हाथ में है कि उन्हें ये पुरस्कार मिले या न मिले.
राम किशन ने कहा कि ऐसी ख़बरें चल रही हैं कि वो अब नहीं खेलेंगी, ऐसी ख़बरें ग़लत हैं.
मनु भाकर ने ओलंपिक मेडल जीतने के बाद कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी मुलाक़ात की थी. सोशल मीडिया पर ऐसे भी दावे किए जा रहे हैं कि राहुल गांधी से मुलाक़ात की वजह से उन्हें ये पुरस्कार नहीं दिया गया.
इस पर मनु के पिता से जब पूछा गया कि इसके पीछे क्या राजनीतिक वजहें हैं, जिसको उन्होंने सिरे से ख़ारिज किया है. राम किशन ने कहा कि मनु भाकर से सभी ने मुलाक़ात की थी.
कोच जसपाल राणा भी बोले
उन्होंने कहा कि कोई कैसे कह सकता है कि मनु ने आवेदन नहीं किया था.
जसपाल राणा ने कहा, “एक ओलंपिक में दो मेडल जीतकर इतिहास रचने वालीं वो पहली भारतीय हैं. उनका नाम तो अपने आप वहां आ जाना चाहिए. क्या शीर्ष पर बैठे लोगों को यह नहीं पता कि मनु भाकर कौन हैं और उनकी योग्यता क्या है?”
खेल मंत्रालय की जिस 12 सदस्यीय कमिटी की चर्चा है उसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन कर रहे हैं जबकि इसमें भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल भी शामिल हैं.
पुरस्कार के लिए फ़ेडरेशन और दूसरे संस्थान खिलाड़ियों के नाम मंत्रालय को बढ़ाते हैं जबकि खिलाड़ी ख़ुद को भी नामित कर सकते हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.