डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान की पहली आर्थिक जनगणना चौंकाने वाली जमीनी हकीकत को उजागर करती है। देश में मस्जिदों की संख्या स्कूलों की संख्या से दोगुनी से अधिक है। आबादी के हिसाब से बहुत कम कारखाने और अस्पताल मौजूद हैं।
269,000 स्कूलों और 119,000 अस्पतालों की तुलना में छह लाख से अधिक मस्जिदें और 36,000 मदरसे हैं। यह स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव डालते हैं और देश की आर्थिक क्षमता को सीमित करते हैं।उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी भी स्पष्ट है।
पाकिस्तान का हाल
- देश भर में केवल 11,568 कॉलेज और 214 विश्वविद्यालय हैं। स्वास्थ्य सेवा भी लोगों के हिसाब से अपर्याप्त हैं। कुपोषण और बीमारी से जूझ रहे देश में 2,083 लोगों पर सिर्फ एक अस्पताल उपलब्ध है।
- 1.09 करोड़ लोग पशुपालन, सिलाई, खाद्य पैकेजिंग और ऑनलाइन सेवाओं जैसे क्षेत्रों में कार्यरत हैं, जो औपचारिक रोजगार के अवसरों की कमी को दर्शाता है।
- आर्थिक जनगणना के अनुसार, 71.43 लाख व्यवसाय 253.44 लाख लोगों को रोजगार दे रहे हैं। इनमें केवल 2,50,000 ही औपचारिक रूप से प्रतिभूति और विनिमय आयोग में पंजीकृत हैं, जो अविकसित अर्थव्यवस्था की प्रकृति को दर्शाता है।
- सूक्ष्म और लघु उद्यम व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र पर हावी हैं, जहां 95 प्रतिशत प्रतिष्ठान दस से कम लोगों को रोजगार देते हैं।
- अकेले सेवा क्षेत्र में लगभग 58 प्रतिशत कार्यबल मौजूद है, जबकि उत्पादन और विनिर्माण क्षेत्र बहुत पीछे है। क्षेत्रीय असमानताएं भी उजागर हुई हैं, जहां आर्थिक प्रतिष्ठानों और सामाजिक बुनियादी ढांचे की संख्या के मामले में पंजाब और सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान से आगे हैं।
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)