रिपोर्ट के मुताबिक़, “चार्जशीट में पुलिस ने कहा कि बच्ची को दम घुटना, डिहाइड्रेशन, गर्मी लगना और मानसिक आघात जैसी समस्याएँ झेलनी पड़ी होंगी. उन्होंने इसे “देखभाल के मानक के हिसाब से बड़ी चूक” बताया.
कोर्ट के अंदर कार्यवाही की जानकारी देते हुए रिपोर्ट में बताया गया है, “महिला ने अदालत में कोई जवाब नहीं दिया. कोर्ट में वह हल्के रंग की हुडी पहने शांत दिखीं और कैमरे की तरफ़ से मुंह फेर लिया. फ़िलहाल उसकी पहचान उजागर नहीं की गई है.”
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
साल 2016 में एक महिला ने इस्तांबुल से पेरिस जाने वाली एयर फ़्रांस की फ्लाइट में अपने हैंडबैग में एक छोटी बच्ची को छिपाकर यात्रा की थी.
एयरलाइन ने तब बताया था कि यह बच्ची बिना टिकट के यात्रा कर रही थी और रात की उड़ान के दौरान पकड़ी गई.
एएफ़पी को एक एयरपोर्ट सूत्र ने बताया था कि यह महिला फ्रांस की निवासी है और हैती से बच्ची को गोद लेने की प्रक्रिया में थी. इस्तांबुल में ट्रांज़िट ज़ोन में उसे बच्ची के साथ बोर्डिंग की अनुमति नहीं मिली, जिसके बाद उसने नया टिकट खरीदा और बच्ची को बैग में छिपाकर फ्लाइट में चढ़ गई.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, फ़्लाइट में महिला ने बच्ची को अपने पैरों के पास कंबल से ढककर रखा. लेकिन जब बच्ची को टॉयलेट जाना पड़ा तो यात्रियों ने उसे देख लिया.
यात्रियों ने फ़्लाइट अटेंडेंट्स को जानकारी दी, जिसके बाद बच्ची को बैग से निकाला गया.
43 साल की जेनिफ़र टैल्बॉट को मनीला के निनॉय एक्विनो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पकड़ा गया था. अधिकारियों के मुताबिक़, वह छह दिन के एक लड़के को अपने कैरी-ऑन बैग में छिपाकर अमेरिका ले जाने की कोशिश कर रही थीं.
तब फिलीपींस की नेशनल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन (एनबीआई) ने कहा था कि टैल्बॉट ने इमिग्रेशन अधिकारियों को बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं दी और उसे छिपाकर देश से बाहर ले जाने का इरादा था.
एजेंसी के मुताबिक़, टैल्बॉट बच्चे का बोर्डिंग पास या कोई दस्तावेज़ पेश नहीं कर सकीं थीं. बच्चे के माता-पिता के ख़िलाफ़ भी चाइल्ड प्रोटेक्शन लॉ के तहत मामला दर्ज किया गया था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित