इमेज स्रोत, Getty Images
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने इस सप्ताह दिल्ली के 35 लोधी एस्टेट स्थित सरकारी बंगले को खाली कर दिया. इसके बाद केंद्र सरकार से मायावती के रिश्तों पर बहस शुरू हो गई है.
हालांकि, बंगला छोड़ने की वजह ‘सुरक्षा कारण’ बताए गए हैं, जिसमें पास के स्कूल की वजह से होने वाले ट्रैफ़िक का हवाला दिया गया है.
बीएसपी के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि मायावती अब सरदार पटेल मार्ग स्थित निजी आवास में रहने लगी हैं.
बीएसपी के नेताओं का कहना है कि ‘सरकार को मायावती जी के लिए बड़ा बंगला देना चाहिए था.’
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आज़म खान ने इसे बीजेपी की “ब्लैकमेलिंग” की कोशिश बताया है.
वहीं, बीजेपी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन बीजेपी के एक प्रवक्ता ने इसे मायावती का ‘स्वैच्छिक निर्णय’ कहा है.
ऐसे में क्या ये क़दम बीएसपी की बदली हुई राजनीतिक दिशा का संकेत है या फिर बंगले की राजनीति का एक और क़िस्सा?
35 लोधी एस्टेट में रहती थीं प्रियंका गांधी
इमेज स्रोत, Getty Images
दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में ख़ान मार्केट और लोधी गार्डन के बीच का इलाका लोधी एस्टेट है. इसके पास ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ और ‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ भी हैं.
इंडिया गेट ज़्यादा दूर नहीं है. संसद महज़ दो से तीन किलोमीटर की दूरी पर है.
सुजान सिंह पार्क को छोड़ दें तो इस इलाके में ज़्यादातर सरकारी बंगले हैं. लोधी रोड के बाद लुटियंस ज़ोन समाप्त हो जाता है और दक्षिणी दिल्ली का इलाका शुरू होता है.
लोधी एस्टेट के 35 नंबर बंगले को मायावती ने हाल ही में खाली किया है. यही वह बंगला है जिसे मौजूदा केंद्र सरकार ने प्रियंका गांधी से भी खाली कराया था.
मायावती से पहले इस बंगले में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी रहती थीं. उन्हें यह बंगला एसपीजी सुरक्षा के आधार पर आवंटित किया गया था.
यह बंगला फरवरी 1997 में प्रियंका गांधी को दिया गया था. वह लगभग दो दशक से अधिक समय तक इसमें रहीं.
जब केंद्र सरकार ने नवंबर 2019 में गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटा ली तो प्रियंका गांधी को बंगला खाली करने को कहा गया.
उन्हें ज़ेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई और बंगला वापस करने का नोटिस भेजा गया. इसके बाद जुलाई 2020 में प्रियंका गांधी ने बंगला खाली कर दिया.
मायावती को भी इसी श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है. लेकिन साल 2000 में कैबिनेट कमेटी ऑन अकॉमोडेशन ने यह निर्णय लिया कि एसपीजी सुरक्षा वालों के अलावा अगर किसी और को इस श्रेणी का बंगला दिया जाता है, तो उसे सामान्य किराया से 50 गुना अधिक किराया देना होगा.
हालांकि 2003 में इसे घटाकर 20 गुना कर दिया गया था.
मायावती और बंगले की सियासत
इमेज स्रोत, Getty Images
इसके बाद 35 लोधी एस्टेट स्थित इस सरकारी बंगले को बीजेपी के सांसद अनिल बलूनी को आवंटित किया गया.
वहीं, शहरी विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि मायावती को 7 दिसंबर 2021 को 29 लोधी एस्टेट का बंगला आवंटित किया गया था. इसके बाद फरवरी 2024 में उन्हें 35 लोधी एस्टेट का बंगला दिया गया.
बहरहाल, मायावती के बंगलों को लेकर सियासत पहली बार नहीं हो रही है. इससे पहले लखनऊ और दिल्ली, दोनों जगहों पर मायावती ने बंगले को लेकर बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया था.
2004 में बनी यूपीए सरकार अल्पमत में थी, जिसे मायावती ने बाहर से समर्थन दे रखा था.
2008 में, जब मनमोहन सिंह सरकार ने विश्वास मत पेश किया था, उस समय वामपंथी दलों के साथ मायावती और बीजेपी ने इसका विरोध किया था.
उस समय मायावती के पास लोकसभा में 17 सांसद थे. 2009 में जब यूपीए सरकार दोबारा बनी, तो कुछ समय बाद मायावती ने अपनी पार्टी के 21 सांसदों का समर्थन दे दिया.
प्रदेश में मायावती की सरकार 2012 में चली गई. इसके बाद वह राज्यसभा में पहुंचीं. सरकार ने समर्थन के एवज़ में उन्हें 3 त्यागराज मार्ग का टाइप-8 का बड़ा बंगला दिया.
हालांकि, मायावती ने राज्यसभा से अपने कार्यकाल के आठ महीने पहले ही 2017 में इस्तीफ़ा दे दिया था.
इसके बाद सरकार ने 2022 में यह बंगला खाली करा लिया और उन्हें लोधी एस्टेट में नया बंगला दिया.
सरकारी सूत्रों ने उस समय कहा था कि टाइप-8 का बंगला केवल केंद्रीय मंत्रिपरिषद के कैबिनेट मंत्रियों और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को दिया जाता है.
केंद्र से दूरी या रणनीतिक संदेश?
इमेज स्रोत, AKASH ANAND
बीएसपी की राजनीति को क़रीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सैयद क़ासिम का कहना है कि इसके सियासी मायने हैं, ”मायावती ये दिखाना चाहती हैं कि केंद्र सरकार से उनकी दूरी है. इसलिए उन्होंने बंगला खाली किया है. मायावती नहीं चाहतीं कि उन पर ये आरोप लगे कि उनका बीजेपी के साथ कोई अंदरूनी समझौता है.”
उन्होंने कहा, ”जिस तरह से बीजेपी की केंद्र सरकार नगीना के सांसद और आज़ाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आज़ाद को ज़्यादा तरजीह दे रही है और आकाश आनंद की सुरक्षा घटाई है. उससे भी मायावती की नाराज़गी है. बिहार चुनाव में एनडीए और गठबंधन की लड़ाई में मायावती खेल बिगाड़ने की तैयारी में हैं.”
हालांकि मायावती के करीबी सूत्रों का कहना है कि इसकी वजह सियासी नहीं है.
लेकिन जिस लोधी एस्टेट वाले बंगले को खाली किया गया है, उसके ठीक पीछे 29 लोधी एस्टेट में पार्टी का केंद्रीय कार्यालय है.
ऐसे में सरकार से जुड़े लोगों का कहना है कि इससे आवाजाही में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी.
एसपी और बीएसपी क्या कह रही हैं?
बंगला खाली करने को लेकर सियासी बयानबाज़ी भी तेज़ हो गई है.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आज़म खान ने कहा, ”बहन मायावती जी द्वारा अपना दिल्ली स्थित सरकारी आवास हाल के दिनों में खाली कर दिया गया है. बीजेपी द्वारा बहन मायावती जी को ब्लैक मेल करने की कोशिश लगातार की जा रही है. हाल में ही केंद्र सरकार ने बिना सूचना के आकाश आनंद जी की वाई श्रेणी की सुरक्षा हटा ली थी. बीजेपी द्वारा लगातार एक सर्व मान्य दलित महिला आइकन का अपमान किया जा रहा है जो पीडीए को बिल्कुल सहनीय नहीं है. समाजवादी पार्टी बहन मायावती जी के सम्मान के लिए हमेशा तत्पर है.”
हालांकि समाजवादी पार्टी के इस आरोप पर बीजेपी के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा, ”जिस पार्टी के कार्यकर्ताओं और गुंडों ने गेस्ट हाउस कांड में मायावती जी की जान लेने की कोशिश की और उनकी रक्षा उस समय बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने की थी. आज वो लोग घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. जबकि आवास को खाली करने का कारण मायावती जी ने ख़ुद बताया है.”
लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार रचना सरन कहती हैं, ”इसके सियासी मायने कम ही लग रहे हैं. लेकिन मायावती कई फैसले चौंकाने वाले करती हैं. वो कई बार घटनाक्रम का अंदाज़ा पहले से लगा लेती हैं.”
बंगले की राजनीति, पुरानी परंपरा
इमेज स्रोत, Getty Images
उत्तर प्रदेश के नेताओं के लिए बंगले की सियासत कोई नई बात नहीं है.
2004 में यूपीए सरकार बनने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से 3 कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगला खाली कराया गया था.
यह बंगला उन्हें संयुक्त मोर्चा सरकार में रक्षा मंत्री रहते हुए मिला था. लेकिन सरकार गिरने के बाद भी वे वहीं रह रहे थे.
जब यह बंगला खाली कराया गया, उस समय मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. उस वक्त समाजवादी पार्टी के पास लोकसभा में 38 सांसद थे लेकिन कांग्रेस ने उन्हें केंद्र सरकार में शामिल नहीं किया. इसके बाद दोनों दलों के बीच टकराव बढ़ गया.
समाजवादी पार्टी के सांसदों ने इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन भी किया, लेकिन अंततः मुलायम सिंह को अपना सामान ओखला स्थित यूपी सरकार के गेस्ट हाउस में शिफ्ट करना पड़ा.
बाद में 2008 में, जब अमेरिका के साथ सिविल न्यूक्लियर डील को लेकर यूपीए सरकार अल्पमत में आ गई थी, मुलायम सिंह ने सरकार को बचाने के लिए समर्थन दिया.
मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को उनके सरकारी बंगले खाली करने का निर्देश दिया.
इसी आदेश के तहत लखनऊ में मायावती ने लाल बहादुर शास्त्री मार्ग स्थित बंगला खाली किया और सरकार ने उसे शिवपाल यादव के नाम आवंटित कर दिया.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित