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मालदीव: जब सेफ़ हाउस में छिपे राष्ट्रपति को बचाने गई थी भारतीय सेना

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Nov 5, 2025


भारतीय सेना की सांकेतिक तस्वीर

इमेज स्रोत, Getty Images

इमेज कैप्शन, विद्रोह को दबाने के लिए पहले एनएसजी को भेजने का सुझाव आया लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया (सांकेतिक तस्वीर)

    • Author, रेहान फ़ज़ल
    • पदनाम, बीबीसी हिंदी के लिए

3 नवंबर, 1988 को मालदीव के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम भारत यात्रा पर आने वाले थे. उनको लाने के लिए एक भारतीय विमान दिल्ली से माले के लिए उड़ान भर चुका था.

अभी वो आधे रास्ते में ही था कि भारत के प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को अचानक एक चुनाव के सिलसिले में दिल्ली से बाहर जाना पड़ गया.

राजीव गांधी ने ग़यूम से बात कर ये तय किया कि वो फिर कभी भारत आएंगे.

लेकिन ग़यूम के ख़िलाफ़ विद्रोह की योजना बनाने वाले मालदीव के व्यापारी अब्दुल्ला लुथूफ़ी और उनके साथी सिक्का अहमद इस्माइल मानिक ने तय किया कि बग़ावत को स्थगित नहीं किया जाएगा.

पहले उनकी योजना थी कि बग़ावत की शुरुआत तब हो जब राष्ट्रपति ग़यूम माले में न हों.

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