मुंबई के वसई में 13 साल की स्कूली छात्रा की मौत को लेकर काफ़ी विवाद हो रहा है.
स्कूल में देर से आने पर 100 बार उठक-बैठक की सज़ा देने के बाद एक छात्रा की तबीयत बिगड़ गई थी.
छात्रा के परिवार वालों ने आरोप लगाया है कि इसकी वजह से उसकी मौत हो गई.
स्कूल की एक महिला टीचर ने देर से आने वाले छात्र-छात्राओं को उठक-बैठक करने की सज़ा दी थी.
सज़ा पाने वाले छात्रों में से एक 13 साल की छात्रा की तबीयत अचानक ख़राब हो गई थी.
शुक्रवार (14 नवंबर) की रात मुंबई के जेजे अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई.
क्या है पूरा मामला
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इमेज कैप्शन, कुछ स्टूडेंट्स ने अपना स्कूल बैग कंधे पर रखकर उठक-बैठक की थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मृतक लड़की वसई पूर्व के सातीवली इलाके के कुवरा पाडा परिसर की एक स्कूल में छठी क्लास में पढ़ती थी.
इस स्कूल में पहली से आठवीं क्लास तक के स्टूडेंट्स पढ़ते हैं.
आठ नवंबर की सुबह कुछ स्टूडेंट्स स्कूल में देर से पहुंचे थे, जिसमें यह छात्रा भी शामिल थी.
कुछ स्टूडेंट्स ने अपना स्कूल बैग कंधे पर रखकर उठक-बैठक की थी.
उसके बाद स्कूल से घर लौटने के बाद लड़की की तबीयत बिगड़ गई. उसे तुरंत वसई के आस्था अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया.
इसके बाद उसे एक दूसरे अस्पताल में ले जाया गया. लेकिन हालत और ख़राब होने पर उसे मुंबई के जे जे अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया.
इलाज के दौरान ही शुक्रवार (14 नवंबर) रात करीब 11 बजे उसकी मौत हो गई.
पुलिस ने क्या कहा
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वसई के वालिव पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक दिलीप घुगे ने बीबीसी मराठी से कहा, “लड़की के माता-पिता ने बताया कि आठ नवंबर को कुछ स्टूडेंट्स स्कूल में देर से पहुँचे थे. उनमें यह छात्रा भी शामिल थी. कुल मिलाकर लगभग 50 स्टूडेंट थे. वहां टीचर ने देर से आए छात्र-छात्राओं को 100 उठक-बैठक की सज़ा दी थी.”
दिलीप घुगे ने कहा, ”छात्रा जब घर पहुंची तो उसके पैरों में दर्द हो रहा था. परिवार वाले उसे पास के अस्पताल ले गए. इसके बाद दस नवंबर को जे.जे. अस्पताल में भर्ती किया गया. वहीं इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.”
”माता-पिता की शिकायत है कि उठक-बैठक करवाने की सज़ा के कारण ही लड़की की मौत हुई. हम इस मामले में स्कूल की जांच कर रहे हैं.”
फ़िलहाल वालिव पुलिस ने इस मामले में एडीआर (एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट) दर्ज की है.
पुलिस ने यह भी कहा कि वह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही है.
मेडिकल रिपोर्ट में पता चला है कि छात्रा का हिमोग्लोबिन स्तर केवल चार था, जो बेहद कम माना जाता है.
स्कूल के ख़िलाफ़ जांच कमिटी
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पालघर की प्राथमिक शिक्षा अधिकारी सोनाली मातेकर से बीबीसी मराठी को बताया कि स्कूल की जांच के लिए एक समिति गठित की गई है.
उन्होंने कहा, “विद्यार्थियों को इस तरह सज़ा देना ग़लत है. यह शिक्षा के अधिकार क़ानून का उल्लंघन है. बच्चों को ऐसी सज़ा नहीं दी जा सकती. माता-पिता का कहना है कि उठक-बैठक करवाने से ही लड़की की मृत्यु हुई है. मृत्यु का कारण मैं स्पष्ट नहीं कर सकती, लेकिन हमने स्कूल की जांच शुरू कर दी है.”
उन्होंने ये भी कहा कि शिक्षा के अधिकार क़ानून का उल्लंघन करने पर स्कूल के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी और संबंधित महिला टीचर पर भी तुरंत कार्रवाई की जाएगी.
(ये डेवलपिंग स्टोरी है. और ब्योरा आने पर इसे अपडेट किया जाएगा)
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.