डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बेंगलुरु में 18.5 किलोमीटर लंबी सुरंग को मेट्रो कॉरिडोर के समानांतर चलाने की योजना है। प्रस्तावित हेब्बल-सिल्क बोर्ड भूमिगत सुरंग के लिए तैयार डीपीआर पर वरिष्ठ इंजीनियरों और विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति गंभीर आपत्तियाां उठाई है। विशेषज्ञों की पैनल ने वित्तीय और पर्यावरणीय समस्याओं को उजागर करते हुए इसे अपूर्ण, अवास्तविक और कम लागत वाला बताया है।
बेंगलुरु की 18.5 किलोमीटर लंबी अंडरग्राउंड टनल परियोजना पर उठे गंभीर आपत्तियों के चलते यह मुश्किल में फंस गई है। पैनल ने तकनीकी, वित्तीय और पर्यावरणीय समस्याओं को उजाकर करते हुए इस योजना को पूरी तरह से संशोधित करने की सलाह दी है।
मई में सौंपी थी रिपोर्ट
प्रस्तावित हेब्बल-सिल्क बोर्ड भूमिगत सुरंग के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) मई में कर्नाटक सरकार को सौंपी गई थी। इसमें महत्वपूर्ण डिजाइन, पर्यावरण और वित्तीय कमियों के बारे में चेतावनी दी गई थी।
बता दें कि उत्तर-दक्षिण यातायात की भीड़ को कम करने के लिए ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी (जीबीए) द्वारा प्रस्तावित 18.5 किलोमीटर लंबी सुरंग, मेट्रो कॉरिडोर के समानांतर चलने की योजना है। यह मेट्रो कॉरिडोर हेब्बल, मेखरी सर्कल, रेसकोर्स, लालबाग और सिल्क रोड को जोड़ेगी।
डीपीआर में तकनीकी खामियां
अल्टिनोक कंसल्टिंग इंजीनियरिंग इंक और लायन इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा रिसर्ड के बाद रोडिक कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा डीपीआर तैयार की गई थी। इसके बाद, विशेषज्ञों के पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि डी.पी.आर. में प्रमुख तकनीकी, भूवैज्ञानिक और लागत संबंधी पहलुओं में कमी बनी हुई है। इसको लेकर पैनल ने कड़ी आपत्ति जताई है। पैनल का कहना है कि सुरंग का मार्ग मेट्रो लाइन के लगभग समानांतर चलता है, जिससे दोहराव और व्यवहार्यता संबंधी चिंताएं उत्पन्न होंगी।
2+2 लेन वाली टनल पर्याप्त
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों की पैनल ने टनल के रास्ते और ट्रैफिक के अनुमानों में भी गड़बड़ियां निकाली है। उनके अनुसार, DPR में 2041 के लिए 3+3 लेन वाली टनल की योजना बनाई गई थी, जो प्रोजेक्ट के अनुमानित पूरा होने के समय से केवल एक दशक दूर है। समिति ने इसे असंगत पाया और कहा कि 2+2 लेन वाली टनल पर्याप्त होगी।