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‘मेरी पत्नी तो सुंदर है’ LT चेयरमैन के बयान पर आनंद महिंद्रा ने दिया मजेदार जवाब; वर्क लाइफ बैलेंस पर भी दी सलाह

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Jan 11, 2025


वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर छिड़ी बहस के बीच कई दिग्गज उद्योगपति काम के घंटे बढ़ाने की सलाह दे रहे हैं। इन सबके बीच महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने शनिवार को कहा कि वह काम के घंटों की जगह काम की गुणवत्ता में विश्वास करते हैं। हाल ही में लार्सन एंड टूर्बो (LT) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने एक हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह दी है।

एएनआई, नई दिल्ली। वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर छिड़ी बहस के बीच कई दिग्गज उद्योगपति काम के घंटे बढ़ाने की सलाह दे रहे हैं। इन सबके बीच महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने शनिवार को कहा कि वह काम के घंटों की जगह काम की गुणवत्ता में विश्वास करते हैं।

हाल ही में लार्सन एंड टूर्बो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने एक हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह दी है। इतना ही नहीं उन्होने कहा कि अगर संभव होता तो मैं रविवार को भी ऑफिस में कर्मचारियों को बुलाकर काम करवाता।
उन्होंने कहा कि घर पर छुट्टी लेने से कर्मचारियों को क्या फायदा होता है। आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं? पत्नियां अपने पतियों को कितनी देर तक निहार सकती हैं? ऑफिस जाओ और काम करना शुरू करो। इससे पहले इंफोसिस के चेयरमैन ने एक हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी।

मैं काम के क्वालिटी में विश्वास करता हूं: आनंद महिंद्रा  

देश के टॉप कॉर्पोरेट लीडर्स द्वारा की गई ऐसी टिप्पणी पर शनिवार को महिंद्रा गुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने टिप्पणी की।  आनंद महिंद्रा ने दिल्ली में विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग 2025 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वह काम की क्वालिटी में विश्वास करते हैं न कि काम की क्वांटिी में।

उन्होंने कहा कि मैं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इसलिए नहीं हूं कि मैं अकेला हूं। मेरी पत्नी बहुत अच्छी है, मुझे उसे देखना पसंद हैं। मैं सोशल मीडिया पर इसलिए हूं क्योंकि ये एक अद्भुत बिजनेस टूल है। मौजूदा बहस गलत है, क्योंकि यह काम घंटों पर जोर देती है।

उन्होंने युवाओं से कहा, ‘मैं नारायण मूर्ति (इंफोसिस के संस्थापक) और अन्य लोगों का बहुत सम्मान करता हूं। इसलिए, मैं इसे गलत नहीं समझूंगा, लेकिन मुझे कुछ कहना है। मुझे लगता है कि यह बहस गलत दिशा में जा रही है। मेरा मानना है कि हमें काम की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए, काम के घंटों पर नहीं। इसलिए यह 40, 48, 70 या 90 घंटे की बात नहीं है।

महिंद्रा ने कहा,’यह काम के आउटपुट पर निर्भर करता है। अगर 10 घंटे भी काम करते हैं तो आप क्या आउटपुट दे रहे हैं। आप 10 घंटे में दुनिया बदल सकते हैं।’ यह बहस ऐसे समय छिड़ी है, जब कई देशों में चार दिन के वर्क वीक का प्रयोग चल रहा है।’

काम बस पूरे मन से करना चाहिए: रितेश अग्रवाल

इसी कार्यक्रम के दौरान ओयो के सह-संस्थापक और सीईओ रितेश अग्रवाल ने कहा कि काम के घंटों की अवधारणा सही नहीं है। उन्होंने कहा,’काम के लिए सही अवधारणा यह है कि आपको पूरे मन से काम करना चाहिए। हर कोई विकसित भारत मिशन के लिए पूरे मन से काम कर रहा है। कुछ लोग दिन में केवल चार घंटे में प्रोडक्टिव हो सकते हैं, जबकि कुछ लोगों को आठ घंटे लग सकते हैं। हर किसी का काम करने का अपना तरीका और रास्ता हो सकता है।’
 जबकि सीरियल उद्यमी रोनी स्क्रूवाला ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम सभी जानते हैं कि आपको एक संपूर्ण व्यक्ति होने की जरूरत है, अन्यथा आप प्रदर्शन नहीं कर सकते। इसलिए कड़ी मेहनत बहुत जरूरी है।’यह भी पढ़ें: 70 या 90 कितने घंटे काम करना सही? बहस छिड़ी है तो लेबर लॉ और एक्सपर्ट की राय भी समझ लें

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