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इमेज कैप्शन, ‘मैसूर पाक’ मिठाई दक्षिण भारत में काफ़ी लोकप्रिय है….में
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और संघर्ष का असर दोनों देशों के नागरिकों पर साफ़ दिखा. सोशल मीडिया पर इसको लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिलीं.
इस संघर्ष की वजह से पहले पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की के सामानों का भारत में विरोध हुआ और अब यह मामला खाने की चीज़ों तक पहुंच गया है.
यह चर्चा तब शुरू हुई जब कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि जयपुर की एक मिठाई की दुकान ने दक्षिण भारत की मशहूर मिठाई ‘मैसूर पाक’ का नाम बदल कर ‘मैसूर श्री’ रख दिया है.
सोशल मीडिया पर यह ख़बर तेज़ी से फैली और इस पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं भी आईं. कुछ लोगों ने तो ये तक कहा कि ‘मैसूर पाक’ का नाम ‘मैसूर भारत’ कर देना चाहिए.
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इसके अलावा एक अन्य मिठाई ‘मोती पाक’ को लेकर भी बहस छिड़ी और दावा किया गया कि इस मिठाई का नाम भी बदल कर ‘मोती श्री’ किया गया है.
इन सभी लोगों के विरोध की वजह ‘पाक’ शब्द से है, जो कि कई बार संक्षिप्त रूप से पाकिस्तान के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
हालांकि, यह मिठाई मूलरूप से भारत की ही है, लेकिन इसके नाम को लेकर विरोध है. यह पहली बार नहीं है जब किसी देश से तनाव बढ़ने पर सामानों का विरोध किया गया हो.
इससे पहले साल 2020 में गलवान में चीन के सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प की वजह से तनाव काफ़ी बढ़ गया था. इसका असर ये हुआ कि भारत में चीनी सामानों का ज़ोरदार विरोध हुआ और उसका बहिष्कार किया गया.
इसके अलावा और भी कई उदाहरण हैं जब किसी देश से तनाव बढ़ने की स्थिति में उसके विशेष सामानों का बहिष्कार किया गया है.
‘मैसूर पाक’ का इतिहास
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‘मैसूर पाक’ मिठाई के नाम से ही पता चलता है कि इसका इतिहास मैसूर से जुड़ा हुआ है.
वर्ष 1902 से 1940 के बीच मैसूर पर शासन करने वाले महाराजा नलवाड़ी कृष्णराज वोडेयार खाने के जानकार थे. वो अक्सर अपने रसोइयों से तरह-तरह के व्यंजन बनाने के लिए अलग-अलग चीजों के साथ प्रयोग करने को कहते थे.
एक दोपहर उनके रसोइया काकासुर मदप्पा मिठाई बनाना भूल गए. उन्हें तुरंत कुछ बनाना था. इसलिए उन्होंने जल्दबाजी में एक मिठाई बनाई और इसे ‘मैसूर पाक’ नाम दिया.
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार इमरान क़ुरैशी से बात करते हुए काकासुर मदप्पा के परपोते एस नटराज पहली बार ‘मैसूर पाक’ के बनने की कहानी बताते हैं.
वो कहते हैं, “मदप्पा ने मिठाई बनाने के लिए बेसन और घी में चाशनी मिलाई. जब महाराजा ने उनसे पूछा कि इसका नाम क्या है, तो मदप्पा ने कहा कि इसका नाम पाका है. उन्होंने कहा कि हम इसे पाका कह सकते हैं और चूंकि यह मैसूर में बना था, इसलिए उन्होंने तुरंत महाराजा से कहा, यह ‘मैसूर पाक’ है.”
नटराज ने कहा, “कन्नड़ भाषा में बेसन के साथ चीनी की चाशनी मिले मिश्रण को पाका कहते हैं. लेकिन जब इसे अंग्रेज़ी में बोला या लिखा जाता है तो पाका में ‘आ’ का उच्चारण नहीं किया जाता और ये केवल पाक कहलाता है.”
कर्नाटक के रामनगरा ज़िले की आधिकारिक वेबसाइट में भी पहली बार ‘मैसूर पाक’ मिठाई बनने की यह कहानी दर्ज है.
काकासुर मदप्पा के वंशज अब भी ‘मैसूर पाक’ बनाने का काम कर रहे हैं.
उनके परपोते कहते हैं, “हमारी चौथी पीढ़ी अब मैसूर पाक बना रही है, क्योंकि महाराजा ने मेरे परदादा को इसे लोगों तक ले जाने के लिए प्रोत्साहित किया था. इस तरह मैसूर में अशोक रोड पर पहली दुकान खुली.”
‘मैसूर पाक’ कैसे बनाई जाती है?
रामनगरा ज़िले की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक़, दक्षिण भारत में पारंपरिक रूप से इस मिठाई को शादियों और अन्य त्योहारों में परोसा जाता है. इसके अलावा यह गोदभराई जैसी रस्मों में भी लोकप्रिय है.
‘मैसूर पाक’ बनाने के लिए चाशनी को गर्म किया जाता है. भारत के अन्य मीठे व्यंजनों जैसे जलेबी और बादाम पूरी में भी चाशनी का इस्तेमाल होता है.
‘मैसूर पाक’ के लिए चाशनी बनाने में विभिन्न मसाले जैसे इलायची, गुलाब, शहद आदि मिलाया जाता है.
इसमें सबसे ख़ास बात यह है कि चाशनी बनाने में कुछ ही रसोइये निपुण होते हैं. इनमें से कुछ रसोइए चाशनी बनाने की अपनी विधि को किसी से साझा नहीं करते.
‘पाक’ शब्द का मतलब
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इमेज कैप्शन, ‘पाक’ शब्द का इस्तेमाल कई भाषाओं में होता है (सांकेतिक तस्वीर)
भारत में ‘पाक’ शब्द संस्कृत भाषा से मिला है, जो कि अब अलग-अलग भारतीय भाषाओं में इस्तेमाल होता है. फ़ारसी भाषा में भी ‘पाक’ शब्द का ज़िक्र है.
अजित वडनेरकर भाषा विशेषज्ञ हैं. उन्होंने ‘शब्दों का सफ़र’ नाम की पुस्तक लिखी है.
भारत में ‘पाक’ शब्द की उत्पत्ति पर वो बताते हैं, “भारतीय संस्कृति में कोई भी चीज़ जब अग्नि (आग) से गुजरती है तो वह पवित्र मानी जाती है. जब धातुओं को आग में डाला गया तो वह कोई नई चीज़ बनकर निकली. कोई भी धातु जब आग में पिघल जाती है तो उसे ‘पक’ यानी पवित्र कहा गया. ‘पक’ शब्द से ही ‘पाक’ बना. पाक से ‘पाग’ भी बना. जैसे जलेबी पर जब चाशनी चढ़ाते हैं तो उसे ‘पागना’ कहते हैं.”
‘पाक’ शब्द अलग-अलग भाषाओं में इस्तेमाल होता है. इन भाषाओं में ‘पाक’ शब्द कहां से आया?
इस सवाल पर अजित वडनेरकर कहते हैं, “पाक शब्द भारत और ईरान में मिला. इससे मिलता-जुलता एक शब्द जर्मनी में भी मिला. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि ईरान और भारत का पाक शब्द जर्मनी से आया या जर्मनी में जो शब्द मिला है वो भारत से गया है.”
वो कहते हैं, “हिन्दी और फ़ारसी दोनों में प्रयुक्त शब्द “पाक” का मतलब मूलतः ‘पवित्र’, ‘शुद्ध’, ‘निर्मल’ है. फ़ारसी का ‘पाक’ (پاک) विशेषण के रूप में ‘पवित्र’ के लिए इस्तेमाल होता है. इसी का संस्कृत समरूप ‘पवित्र’ (शुद्ध), ‘पवमान’ (शुद्ध करने वाला), ‘पावक’ (अग्नि) आदि हैं.”
वो कहते हैं, “हिन्दी में ‘पाक’ के दो अर्थ हैं. एक तो ‘पकाया गया’ और दूसरा ‘पवित्र.”
पाकिस्तान के संदर्भ में ‘पाक’ शब्द के इस्तेमाल पर अजित वडनेरकर कहते हैं, “पाक शब्द के अंदर एक किस्म का प्राप्त भाव है. ऐसी प्राप्ति जिसमें अपने आप में कोई दोष नहीं निकाला जा सकता. पाकिस्तान शब्द बनाने में भी मूल भावना यही है कि एक ऐसा भूखंड बनाएं जिसे ‘पाक’ (शुद्ध) कह सकें.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित