सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के ठाणे जिले में 17 संपत्तियों को गिराने के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जस्टिस उज्जल भुइयां और मनमोहन की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश की सराहना की। याचिकाकर्ता ने इमारतों में 400 परिवारों के रहने की बात कही।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें ठाणे जिले में 17 संपत्तियों को गिराने का आदेश दिया गया था। मंगलवार को हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया।
दरअसल, मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस उज्जल भुइयां और मनमोहन की बेंच ने भी हाईकोर्ट के इस आदेश की जमकर सराहना की। बता दें कि याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि जिस इमारतों को ध्वस्त किया जाना है, उसमें कम से कम 400 परिवार रहते हैं। याचिकाकर्ता का तर्क है कि यदि इन्हें ध्वस्त किया जाता है तो सभी बेघर हो जाएंगे।
अधिकार के उल्लंघन का लगा आरोप
बता दें कि याचिकाकर्ता भी उसी इमारत में एक मकान का मालिक है। याचिकाकर्ता का दावा है कि आदेश में उसके अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। वहीं, आज इस मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ समय बाद ही न्यायमूर्ति मनमोहन ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता को नहीं सुना जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति ने कहा कि सही निर्णय लेने के लिए उच्च न्यायालय को बधाई। देखिए आपने किसी तीसरे पक्ष की जमीन पर अतिक्रमण किया और बिना उसकी मंजूरी के संपत्ति का निर्माण किया। ये किसी भी तरीके से सही नहीं है।
HC ने दिया है 17 इमारतों को नष्ट करने का आदेश
बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने 12 जून को एक मामले की सुनवाई के दौरान अंतरिम आदेश पारित करते हुए ठाणे नगर निगम को अंडरवर्ल्ड से जुड़े बिल्डरों के द्वारा अवैध तरीके से बनाई गई 17 इमारतों को नष्ट करने का निर्देश दिया गया था।