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चेतावनी: इस रिपोर्ट की कुछ बातें पाठकों को विचलित कर सकती हैं.
जोनाथन ने दक्षिण अफ़्रीका की सोने की एक ग़ैर क़ानूनी खान में छह माह तक काफ़ी मुश्किल काम किया और वहां अपनी ज़िंदगी गुज़ारी. यहां उनके लिए सबसे ज़्यादा चौंका देने वाली बात यह थी कि यहां बच्चों का यौन शोषण हो रहा था जिसके वह ख़ुद गवाह थे.
इसके बारे में आवाज़ उठाने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि वहां (सोने की ग़ैर क़ानूनी खान में) कुछ बच्चों को कम पैसे पर रखा गया था मगर दूसरों को केवल यौन शोषण के लिए लाया गया था.
जोनाथन की उम्र 30 साल से कुछ कम है और वह आसानी से पैसा कमाने के वादे पर दक्षिण अफ़्रीका आए थे. उन्हें उन ऐसी दर्जनों खानों में काम करने के लिए लाया गया था जिन्हें मल्टीनेशनल कंपनियों ने व्यापार लायक़ न रहने के बाद बंद कर दिया था.
हम उनकी असली पहचान नहीं बता रहे क्योंकि उन्हें मीडिया से बात करने पर ग़ैर क़ानूनी ढंग से खनन करने वाले ख़तरनाक अपराधी गिरोह से ख़तरा हो सकता है.
स्टिलफ़ोन्टाइन की खदानों से निकला “सच”
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इन ग़ैर क़ानूनी खदानों में कम उम्र के लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, इसकी जानकारी पिछले साल के आख़िर में आई. तब स्टिलफ़ोन्टाइन शहर के पास ग़ैर क़ानूनी खदानों में काम कर दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने उस खान को बंद कर दिया था.
जोनाथन उन खानों में काम करने के हालात के बारे में इत्मीनान से बात करते हुए वहां बेतहाशा गर्मी, काम के लंबे समय, खाने की कम मात्रा और नींद की कमी के बारे में बताते हैं. इन मुश्किल हालात का असर उनके शरीर पर भी साफ़ तौर पर देखा जा सकता है.
लेकिन इन सब के साथ उन्हें अच्छी तरह याद है कि जिस शाफ़्ट (खान) में वह काम करते थे वहां कम उम्र के काम करने वालों के साथ क्या होता था?
वह कहते हैं, “मैं उन बच्चों, असल में 15 या 17 साल से कम उम्र के लड़कों को देखता था. कुछ लोग कभी उनका फ़ायदा उठाते थे. यह ख़ौफ़नाक था और मैं ऐसे में अच्छा महसूस नहीं करता था.”
वह कहते हैं कि बड़े खानकर्मी खनन के दौरान मिलने वाला कुछ सोना देने के वादे पर उनका रेप करते थे. “अगर उस बच्चे को पैसों की ज़रूरत होती तो वह यह ख़तरा मोल लेता था.”
अगर कोई बच्चा अपनी टीम की तरफ़ से दिया गया कोई काम करने में नाकाम रहता तो सज़ा के तौर पर उसका यौन शोषण होता था.
विदेशी बच्चों से कराया जाता है खान में काम
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जोनाथन कहते हैं कि जिस खान में वह काम करते थे वहां काम करने वाले सभी बच्चे विदेशी होते थे और उन्हें इसकी समझ ही नहीं थी कि उनके साथ क्या हो रहा है?
खनन के शोधकर्ता और कार्यकर्ता मख़ूतला सेफ़ूली भी उनकी इस बात की पुष्टि करते हैं. वह कहते हैं कि अपराध करने वाले दक्षिण अफ़्रीका में ग़ैर क़ानूनी खदानों में काम करने के लिए ख़ास तौर पर बच्चों को निशाना बनाते हैं.
इनमें से बहुत से बच्चों को पड़ोसी देशों से अग़वा करके यहां लाया जाता था और उनसे क़ानूनी खानों में रोज़गार दिलाने का वादा किया जाता था.
सेफ़ूली कहते हैं, “जब वह दक्षिण अफ़्रीका आ जाते तो उनके पासपोर्ट ज़ब्त कर लिए जाते… इस बात की जानकारी सबको है कि उन बच्चों का यहां शोषण किया जा रहा है.”
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बीबीसी ने दो ऐसे दूसरे खानकर्मियों से भी बात की जो ग़ैर क़ानूनी खानों में काम करते थे. उन्होंने भी बताया कि वह जिस खान में काम करते थे वहां उन्होंने बच्चों के साथ यौन शोषण होते देखा.
शीपू (बदला हुआ नाम) का कहना है कि उन्होंने देखा कि बड़े मर्द ज़मीन के नीचे उन बच्चों का यौन शोषण करते थे.
वह कहते हैं, “कभी-कभी उन्होंने (बच्चों ने) यह काम पैसे के लिए किया जबकि कई बार कुछ को केवल इसके लिए ही भर्ती किया जाता था.
वह कहते हैं कि इस बात ने उन बच्चों पर बहुत असर डाला. “उन बच्चों के रवैए में बदलाव आया और उनमें भरोसे की कमी आ गई. वह किसी के नज़दीक नहीं जाना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि वह किसी पर भरोसा नहीं कर सकते.”
दक्षिण अफ़्रीका के ग़ैर क़ानूनी खनन उद्योग के बारे में उस वक़्त पूरी दुनिया में ख़बर बनी जब पिछले साल उत्तर पश्चिम के राज्य के शहर स्टीलफ़ोन्टीन के पास सोने की खान में पुलिस और खननकर्मियों के बीच तनाव हो गया था.
यहां अधिकारी लंबे समय से ग़ैर क़ानूनी खनन को रोकने की कोशिश कर रहे हैं.
दक्षिण अफ़्रीका की सरकार का कहना है कि ग़ैर क़ानूनी खनन की वजह से पिछले साल देश की अर्थव्यवस्था को 3.2 अरब डॉलर का नुक़सान उठाना पड़ा.
दक्षिण अफ़्रीका सरकार ने शुरू की कार्रवाई
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दक्षिण अफ़्रीका की सरकार ने दिसंबर 2023 में ‘वाला उमगोदी’ (छेद को बंद करना) के नाम से एक ऑपरेशन शुरू किया और इसके तहत ग़ैर क़ानूनी खनन करने वाले समूहों पर कठोर कार्रवाई करने का वादा किया था.
इस ऑपरेशन के तहत पुलिस ने स्टिलफ़ोन्टाइन की खान में पानी और रसद को रोक दिया था और इसके बारे में एक मंत्री का कहना था कि इससे ग़ैर क़ानूनी खानकर्मी “बाहर निकलेंगे.”
अधिकारियों का कहना था कि यह लोग गिरफ़्तार होने के डर से बाहर निकलने से इनकार कर रहे थे.
मगर जल्द ही इस खान के अंदर से फ़ुटेज सामने आना शुरू हो गया जिसमें दिखाया गया था कि दर्जनों बेबस लोग जान बचाने की भीख मांग रहे हैं और इसके अलावा बहुत सी लाशों के बैग भी देखे जा सकते थे.
आख़िरकार एक अदालत ने अधिकारियों को आदेश दिया कि वह उन खानकर्मियों को बचाएं.
उस खान से जिन लोगों को बचाया गया उनमें से बहुत से ऐसे खानकर्मी भी थे जिनका कहना था कि वह कम उम्र के हैं.
उनमें से कई अपना देश छोड़कर आए थे और उनके पास कोई पहचान पत्र नहीं था.
इसलिए इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी कि उनकी उम्र क्या थी? अधिकारियों ने उनकी उम्र जानने के लिए मेडिकल टेस्ट कराए थे.
उन मेडिकल टेस्ट्स के आधार पर दक्षिण अफ़्रीका के समाज कल्याण विभाग ने पुष्टि की थी कि स्टिलफ़ोन्टाइन की खान से बचाए जाने वाले कम से कम 31 खानकर्मी कम उम्र के थे.
यह सभी मोज़ांबिक के नागरिक थे और पिछले साल नवंबर में उनमें से 27 को वापस भेज दिया गया था.
बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन ‘सेव द चिल्ड्रन’ के दक्षिण अफ़्रीका के कार्यालय ने कम उम्र के बच्चों और रेस्क्यू वर्कर्स के इंटरव्यू का अनुवाद करने में मदद की.
दक्षिण अफ़्रीका में इस संगठन की प्रमुख गूगू साबा ने बीबीसी को बताया कि वह बच्चे गंभीर ट्रॉमा का शिकार हुए थे क्योंकि उनमें से कुछ ने दूसरों का यौन शोषण होते देखा था.
वह कहती हैं कि बस इस एहसास ने उन बच्चों को मानसिक तौर पर तोड़ कर रख दिया था कि वह शायद वहां से कभी बाहर नहीं आ पाएंगे.
वह कहते हैं कि खदानों में मौजूद बड़ी उम्र के कर्मियों ने उन बच्चों को लुभाया और उनसे ऐसा बर्ताव किया जैसे वह उन्हें पसंद करते हैं.
वह कहते हैं कि इसके बाद बच्चों का बड़ी उम्र के खानकर्मियों ने यौन शोषण किया. फिर वो अक्सर उनका रेप करते थे. “बड़ी उम्र के खानकर्मियों के पास ऐसे तीन से चार बच्चे होते थे और वह सब के साथ ऐसा ही करते थे.”
खानकर्मियों ने बच्चों का यौन शोषण किया
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गूगू साबा कहती हैं कि खनन करने वाले गैंग्स उन बच्चों को इसलिए रखते हैं क्योंकि उन्हें बहलाना भी आसान है और वह कम पैसे पर काम के लिए तैयार हो जाते हैं.
“बच्चे उस वक़्त यह बात नहीं समझ पाते जब आप उन्हें कहते हैं कि मैं आपको हर दिन 20 रैंड (एक डॉलर) दूंगा. बड़ी उम्र के खानकर्मी इतने पैसे पर काम करने से इनकार कर देते हैं लेकिन बच्चों के पास कोई चारा नहीं होता. इसलिए किसी बच्चे को काम पर लगाना और उसे वहां लाना आसान होता है.”
वह कहते हैं कि उनका आर्थिक शोषण करने के साथ-साथ यह गैंग उन्हें केवल यौन शोषण करने के लिए भी रखते हैं.
बहुत से ग़ैर क़ानूनी खानकर्मी कई महीने ज़मीन के अंदर वक़्त गुज़ारते हैं और इस दौरान वह शायद ही कभी खानों से ऊपर ज़मीन पर आते हैं. उन्हें ज़रूरत का हर सामान खान के अंदर खुली दुकानों से मिल जाता है.
“ज़्यादातर बच्चों को सेक्स स्लेव के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए स्मगल किया जाता है और यहां एक दलाल भी होता है जो इस काम के पैसे लेता है. इसका मतलब यह है कि हर दिन उस बच्चे को कमर्शियल सेक्स वर्कर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.”
इस बारे में बीबीसी ने पुलिस और समाज कल्याण विभाग से जानकारी मांगी कि क्या यौन शोषण के आरोपों पर किसी को चार्जशीट किया गया है, लेकिन उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया.
स्टीलफ़ोन्टीन के खानकर्मियों के मुक़दमों पर काम करने वाले एक स्रोत ने बताया कि बहुत से बच्चे इस बारे में गवाही नहीं देना चाहते थे.
एक तरफ देश में ग़ैर क़ानूनी खनन का उद्योग फल फूल रहा है और दूसरी तरफ़ अनुमान है कि 6000 संभावित खान खनन के लिए ख़ाली पड़े हैं.
ग़ैर क़ानूनी खनन एक ऐसा कारोबार है जिसके जल्द ख़त्म होने के आसार नहीं हैं और इससे हज़ारों बच्चों को ख़तरा है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित