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रंगों के पर्व होली को मिलेगी वैश्विक पहचान, UNESCO की लिस्ट में होगा शामिल

Byadmin

Mar 13, 2025


रंगों के पर्व होली को वैश्विक पहचान मिलेगी। यूनेस्को की सूची में शामिल किए जाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। दीपावली के बाद होली को भी यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने के लिए संस्कृति मंत्रालय एक प्रस्ताव भेजेगा। इसके लिए जानकारियां जुटाई जा रही हैं। इस मौके पर देश के कई हिस्सों में गाए जाने वाले फाग को इसके साथ शामिल किया जाएगा।

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। भारत वैसे तो त्योहारों और मेलों का देश है। इनमें होली और दीपावली सबसे खास है। यह बात अलग है कि अब तक इन्हें वैसी वैश्विक पहचान नहीं मिल पाई थी, जिसके हकदार थे। हालांकि अब इन दोनों ही त्योहारों को वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिश तेज हुई है।

संस्कृति मंत्रालय ने जल्द ही दीपावली के बाद रंगों के पर्व होली को भी यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) सूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है। इसके लिए जरूरी दस्तावेज तैयार किए जा रहे है। इनमें होली के मौके पर देश के कई हिस्सों में गाए जाने वाले फाग लोकगीत को भी शामिल किया जाएगा।

यूनेस्को के लिए होली पर्व का प्रस्ताव

संस्कृति मंत्रालय ने हाल ही में दीपों के पर्व दीपोत्सव या दीपावली को यूनेस्को की आईसीएच की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा है। मंत्रालय से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक रंगों का पर्व होली देश के अलग- अलग हिस्सों में जिस तरह से मनाया जाता है, उसके सभी रूप और रंगों को इस प्रस्ताव में शामिल किया जाएगा।

145 देशों की विरासतें यूनेस्को की सूची में हैं शामिल

प्रेम, उल्लास व भाईचारे का यह त्योहार अभी देश में अलग-अलग स्वरूपों में मनाया जाता है। इनमें मथुरा, वृंदावन व बरसाना और काशी में मनायी जाने वाली होली के रंगों को भी शामिल किया जाएगा। गौरतलब है कि यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की सूची में मौजूदा समय में करीब 145 देशों के 730 से अधिक अमूर्त विरासतें शामिल है। इनमें कोलकाता की दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, रामलीला, छऊ नृत्य और गरबा सहित भारत की भी करीब दर्जन भर अमूर्त विरासतें शामिल है।

यूनेस्को की आईसीएच सूची में अभी ये मेले और त्योहार है शामिल

  • महाकुंभ मेला: प्रत्येक 12 वर्ष में किया जाता है आयोजित
  • दुर्गा पूजा: कोलकाता की वार्षिक दुर्गा पूजा
  • गरबा नृत्य: गुजरात का एक पारंपरिक नृत्य। 2023 में इसे शामिल किया गया।
  • वैदिक जप की परंपरा: वैदिक मंत्रों के उच्चारण की एक प्राचीन परंपरा। रामलीला: रामायण के प्रदर्शन का एक रूप।
  • कुटियाट्टम: संस्कृत थियेटर का एक रूप
  • रम्माण: गढ़वाल हिमालय के धार्मिक उत्सव और परंपरा का मंचन
  • छऊ नृत्य: पुरुलिया, सरायकेला और मयूरभंज में छऊ नृत्य।
  • मुदियेट्टू: केरल का सांस्कृतिक थियेटर और नृत्य नाटक।
  • कालबेलिया: राजस्थान के कालबेलिया समुदाय के लोक गीत और नृत्य।
  • नौरोज या नवरोज :- एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसे बारह देश साझा करते हैंयोग- यह एक आध्यात्मिक गतिविधि है, जो मन और शरीर के बीच सामंजस्य लाती है।

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