Warning to OTT platforms केंद्र ने ओटीटी प्लेटफॉर्म को कानून द्वारा बैन सामग्री प्रसारित करने के खिलाफ चेतावनी दी है। ओटीटी प्लेटफॉर्म और स्व-नियामक निकायों को जारी की गई सलाह में उन्हें आईटी नियम-2021 के तहत निर्धारित आचार संहिता का पालन करने को कहा है। इसी के साथ सामग्री को साझा करने से पहले ऐज वैरिफिकेशन का सख्त पालन भी शामिल है।
पीटीआई, नई दिल्ली। Warning to OTT platforms रणवीर इलाहाबादिया और समय रैना के अश्लील टिप्पणियों का मामला जैसे ही तूल पकड़ा, केंद्र सरकार एक्शन मोड में आ गई। केंद्र ने अब सोशल मीडिया पर फैली अश्लीलता और अश्लील चुटकुलों को लेकर उठे विवाद के बीच सख्ती बरतना शुरू कर दिया है।
OTT प्लेटफॉर्म को केंद्र की चेतावनी
सख्ती दिखाते हुए केंद्र ने ओटीटी प्लेटफॉर्म को कानून द्वारा बैन सामग्री प्रसारित करने के खिलाफ चेतावनी दी है। ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म और स्व-नियामक निकायों को जारी की गई सलाह में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उन्हें सामग्री प्रकाशित करते समय आईटी नियम-2021 के तहत निर्धारित आचार संहिता का सख्ती से पालन करने को कहा है। इसी के साथ सामग्री को साझा करने से पहले एज वेरिफिकेशन का सख्त पालन भी शामिल है।
तो होगी सख्त कार्रवाई
सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म के स्व-नियामक निकायों को प्लेटफॉर्म द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन के लिए उचित सक्रिय कार्रवाई करने को भी कहा है। मंत्रालय ने कहा कि उसे ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया के कुछ प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित अश्लील, पोर्नोग्राफिक और अश्लील सामग्री के कथित प्रसार के संबंध में संसद सदस्यों, वैधानिक संगठनों और सार्वजनिक शिकायतों से शिकायतें मिली हैं।
ओटीटी प्लेटफॉर्म सामग्री प्रकाशित करते समय लागू कानूनों के विभिन्न प्रावधानों और आईटी नियम 2021 के तहत निर्धारित आचार संहिता का पालन करें, जिसमें आचार संहिता के तहत निर्धारित सामग्री के आयु-आधारित वर्गीकरण का कड़ाई से पालन करना शामिल है।
इसमें कहा गया है कि अगर सामग्री में कुछ ऐसा है जो बच्चों के लिए सही नहीं है, तो ऐसी सामग्री तक पहुंच को प्रतिबंधित करने के लिए इसे ‘ए’ रेटेड सामग्री टैग करना चाहिए। वहीं, इस सिस्टम को लागू करने और उचित सावधानी बरतना आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
बता दें कि केंद्र का ये परामर्श सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामग्री पर कंट्रोल का सुझाव देने के मद्देनजर भी आया है। शीर्ष अदालत ने YouTube जैसे प्लेटफॉर्म पर खुलेआम अश्लील सामग्री चलने की बात कही और कहा कि इसमें कानून की कोई रोक नहीं दिख रही है।
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