सोने से नहीं हुआ मुनाफा
कंपनी का टैक्स से पहले का मुनाफा करीब 1,396 करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल के बराबर ही है। इसकी वजह सोने पर आयात शुल्क में कमी है। सरकार ने सोने पर टैक्स कम कर दिया था जिससे कंपनी को पहले से रखे सोने पर थोड़ा नुकसान हुआ। कंपनी को ज्वेलरी से 14,697 करोड़ रुपये की कमाई हुई। यह पिछले साल से 26% ज्यादा है।
क्या है कंपनी का प्लान?
टाइटन के एमडी सीके वेंकटरमन ने कहा, ‘हम अपने सभी कारोबारों, खासकर नए कारोबारों में निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि उन्हें तेजी से बढ़ने में मदद मिल सके। हम अपने प्रदर्शन को लेकर आशावादी हैं और उम्मीद करते हैं कि अच्छी वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष का अंत होगा।’
क्या है शेयर की स्थिति?
कंपनी के शेयरों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। मंगलवार को इसमें 0.22% की मामूली बढ़त आई। इस बढ़त के साथ कंपनी के शेयर 3588 रुपये पर पहुंच गए। पिछले 6 महीने में कंपनी के शेयर में 6.28% और एक साल में मात्र एक फीसदी की तेजी आई है। हालांकि 5 साल के रिटर्न की बात करें तो इसमें 180 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है।
घड़ी से हुई थी शुरुआत
टाइटन कंपनी की शुरुआत घड़ी बनाने वाली कंपनी के रूप में हुई थी। इसके बाद इस कंपनी ने लाइफस्टाइल सेक्टर में पैर पसारने शुरू किए। आज यह घड़ियां, ज्वेलरी (तनिष्क), आईवियर (आईप्लस), परफ्यूम आदि बेचती है। टाइटन ने तनिष्क की लॉन्चिंग साल 1994 में की थी।
बंद करने की दे दी थी सलाह
तनिष्क ब्रांड शुरुआत में सफल नहीं हुआ था। काफी लोगों ने रतन टाटा को सुझाव दिया था कि इस ब्रांड का बंद कर दिया जाए। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। बाद में उन्होंने इसे मुनाफा कमाने वाला कारोबार में बदल दिया।
शुरुआत में तनिष्क 22 के बजाय 18 कैरेट सोने की ज्वेलरी बेचता था। कंपनी का मानना था कि कम कीमत के कारण ग्राहक इस ब्रांड की ओर आकर्षित होंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। साल 2001 तक टाइटन को 5 साल में 150 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका था। कंपनी का शेयर 4 रुपये से गिरकर दो रुपये से भी नीचे आ गया था।
घाटे के बिजनेस को मुनाफ में बदला
साल 2002 में टाइटन ने उन चुनौतियों के बारे में विश्लेषण किया जो तनिष्क को चलाने में आ रही थीं। इसके लिए मैकिन्से (McKinsey) की मदद ली गई। मैकिन्से की रिपोर्ट से पता चला कि ग्राहकों में विश्वास की कमी थी। वह तनिष्क की ज्वेलरी पर विश्वास नहीं कर रहे थे। इसके बाद रतन टाटा ने सभी स्टोर में 18 कैरेट की जगह 22 कैरेट के सोने का इस्तेमाल करने को कहा।
कंपनी ने ग्राहकों के विश्वास को और बढ़ाने के लिए अपने सभी स्टोर में कैरेटमीटर नामक एक डिवाइस लगाई। इसे जर्मनी से खरीदा गया था। यह मशीन सोने की शुद्धता जांचती थी। यह एक बड़ा बदलाव था। इससे ग्राहक तनिष्क की ओर खिंचते चले गए। इसके बाद तनिष्क ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज यह कंपनी टाटा ग्रुप की टॉप कंपनियों में शामिल है।