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इस्लामिक कैलेंडर में सबसे पवित्र रमज़ान का महीना शुरू होने वाला है. इसमें पूरे महीने रोज़ा (उपवास) किया जाता है ऐसे में रोज़ा रखने वालों के लिए किस तरह के फ़ूड सेहतमंद होते हैं और कैसे प्यास से बचे रह सकते हैं.
माना जाता है कि इस्लाम की पवित्र किताब कुरान रमज़ान में ही पैगंबर मोहम्मद के सामने प्रकट हुई थी.
इस पूरे महीने रोज़ा रखा जाता है और यह इस्लाम के पांच मूल सिद्धांतों में से एक है और एक ऐसी ज़िम्मेदारी है जिसे सभी मुस्लिमों को निबाहना ज़रूरी है.
रमज़ान के दौरान, नमाज़ी मुसलमान सुबह सूरज उगने से पहले ही खाना खा लेते हैं, जिसे सहरी के नाम से जाना जाता है.
सूर्यास्त के बाद जबतक वे अपना रोज़ा नहीं ख़त्म करते तबतक दिन भर वे न तो कुछ खाते हैं और ना ही कोई पेय पदार्थ लेते हैं. शाम के भोजन को इफ्तार कहा जाता है.
लेकिन केवल उन्हीं लोगों से रोज़ा रखने की उम्मीद की जाती है जो स्वस्थ हैं. जबकि बीमारों, बच्चों, गर्भवती, स्तनपान कराने वाली या माहवारी के दौर से गुजर रहीं महिलाओं और यात्रियों को माना जाता है कि उन्हें रोज़ा रखने से छूट है.
कुछ लोगों को रोज़ा रखने में परेशानी नहीं होती है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह बहुत चुनौतीपूर्ण होता है और काम या अन्य रोज़मर्रे के काम के दौरान उन्हें भूख लगती है.
तो, किस तरह का भोजन करने से भूख और प्यास दूर रहती है और रमज़ान के पूरे महीने को आसानी से निकालने में मदद करता है? यहां इन सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश की गई है.
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सहरी, दरअसल पूरे दिन के रोज़ा की तैयारी है और पूरे दिन भूख से बचने के लिए सही भोजन करना बहुत ही अहम है.
पोषण मामलों के जानकार इसमत तामेर का कहना है, “रमज़ान के दौरान, पूरे दिन में शरीर को जो ऊर्जा और पोषण तत्व ज़रूरी होते हैं उसे पूरा करने के लिए आपको प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर भोजन खाना चाहिए. साथ ही आपको ये सुनिश्चित करना होगा कि पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं.”
वह हल्का, सेहतमंद और पर्याप्त नाश्ता करने की सलाह देते हैं.
वो कहते हैं, “सूरज उगने से पहले, आप दूध से बने पकवान और टमाटर और खीरे जैसी ताज़ा सब्ज़ियां खा सकते हैं, साथ ही चीज़ और अंडें भी ले सकते हैं. इसके अलावा आप सूप, ओलिव ऑयल में पकी सब्ज़ियां और फल का आनंद ले सकते हैं.”
न्यूट्रशनिस्ट ब्रिजेट बेनेलम कहती हैं कि सहरी के दौरान कांप्लेक्स कार्बोहाइड्रेट लेना अच्छा है, ख़ासकर साबुत अनाज के रूप में क्योंकि इससे धीरे धीरे ऊर्जा निकलती है जो आपको पूरे दिन चैतन्य रखने में मदद करेगी.
वो कहती हैं, “इसलिए ओट्स, होल ग्रेन ब्रेड और अनाज जैसी चीजें सहरी के लिए बेहतर विकल्प हैं.”
कुछ अध्ययनों में पता चलता है कि सेम, मटर और चना जैसी चीजों से मिलने वाले फ़ाइबर के स्रोत आपके पेट को 30 प्रतिशत तक भरा हुआ महसूस करा सकते हैं.
कुछ भी नमकीन खाने से सावधान करते हुए बेनेलम कहती हैं, “आपको पेय पदार्थ लेना होगा ताकि आप रोज़ा से पहले शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा को बनाए रख सकें.”
उनके अनुसार, “नमकीन खाने से आपको प्यास अधिक लग सकती है और यही एक प्रमुख बात है जिससे आप निपटना चाहेंगे. क्योंकि कई घंटों तक आपको प्यासे रहना होता है.”
प्यास को रोकने के लिए सहरी के दौरान कैफ़ीन युक्त चीजें लेने से भी बचना चाहिए और रोज़ा के दौरान खुद को हाईड्रेटेड रखने के लिए सहरी और इफ़्तार के बीच दो से तीन लीटर पानी लेने की सलाह दी जाती है.
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जब शाम को इफ़्तार के दौरान रोज़ा ख़त्म किया जाता है, उस समय अधिक मात्रा में पेय पदार्थ लेना चाहिए और ऐसा खाना लेना चाहिए जिसमें प्राकृतिक मिठास हो ताकि ऊर्जा मिल सके, खजूर एक विकल्प है, जोकि पैग़ंबर मुहम्मद के ज़माने से ही उपवास तोड़ने का एक आम विकल्प रहा है.
न्यूट्रशनिस्ट ब्रिजेट बेनेलम कहती हैं, “खजूर और पानी, इफ़्तार में खाने से पहले रोज़ा ख़त्म करने का सबसे बढ़िया विकल्प है. ये आपको ऊर्जा और शरीर में पानी, दोनों की ज़रूरत पूरा करता है.”
वो कहती हैं, “रोज़ा ख़त्म करने का एक और अच्छा विकल्प है सूप, क्योंकि इसमें बीन्स, दालें और सब्ज़ियों के अलावा ऐसी बहुत सारी चीज़ें होती हैं जो आपको अधिक खाए बिना पर्याप्त पोषण और फ़ाइबर मुहैया कराती है.”
“पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए रहने के बाद आप नहीं चाहते हैं कि खाने की शुरुआत किसी भारी या प्रोटीन से भरपूर खाने को खाएं क्योंकि इससे आप थकावट, सुस्ती और बीमार महसूस कर सकते हैं.”
रोज़ा ख़त्म करने यानी इफ़्तार के बाद भोजन अलग अलग संस्कृतियों और परंपराओँ में अलग अलग होता है, लेकिन आम तौर पर उनमें कई किस्म के भोजन होते हैं.
आपको ये तय करना चाहिए कि इफ़्तार में जो खाना खाते हैं उसमें स्टार्च, साबुत अनाज, फ़ाइबर से भररूप सब्ज़ियां और फल, प्रोटीन से भरपूर खाना जैसे कि मांस, मछली, अंडा और बीन्स संतुलित मात्रा में हों.
यह भी सुझाव दिया जाता है कि आपको अधिक मीठा खाने की इच्छा से बचना चाहिए क्योंकि इससे वज़न बढ़ सकता है.
कुछ न्युट्रशनिस्ट इफ़्तार के भोजन को एक बार में ही करने की बजाय दो हिस्सों में बांटने की सलाह भी देते हैं, इससे खून में ग्लूकोज की मात्रा के तेज़ी से बढ़ने को नियंत्रित करने में आसानी होती है, साथ ही हाजमा गड़बड़ाने का ख़तरा भी कम हो जाता है.
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आम तौर पर रोज़ा सेहत के लिए फ़ायदेमंद होता है और इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग (दिन में कुछ समय के लिए कुछ भी न खाना) वज़न कम करने का लोकप्रिय तरीक़ा होता जा रहा है.
क्या खाना है इस पर फ़ोकस करने की बजाय इंटरिटेंट फ़ास्टिंग में खाने के समय को लेकर बात होती है. इसमें हर दिन कुछ निश्चित घंटों के लिए खुद को भूखा रखना शामिल है.
इसके पीछे का विचार है कि आपका शरीर एक बार शरीर में पूरी शुगर को इस्तेमाल कर लेता है, तो इसके बाद यह फ़ैट का इस्तेमाल करता है और इससे वज़न कम होता है- इस प्रक्रिया को ‘मेटाबोलिक स्विचिंग’ के नाम से जाना जाता है.
अध्ययनों ने दिखाया है कि इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग से सेहत को जो फ़ायदा होता है उसमें है ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्राल का कम होना, शरीर के अंदर सूजन में कमी आना, इंसुलिन रेस्पांस में सुधार और टाइप 2 डायबीटीज़ का ख़तरा कम होना.
रमज़ान के रोज़ा में भी ये सारे फ़ायदे होते हैं.
द अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में हाल ही में छपे एक अध्ययन में रमज़ान के दोरान रखे जाने वाले रोज़ा को फ़ायदेमंद मेटाबोलिक बदलावों और गंभीर बीमारियों के ख़तरे में कमी आने से जोड़ा गया है.
इस अध्ययन के निष्कर्ष में बताया गया है कि रमज़ान का उवपास फेफड़े, आंत और स्तन कैंसर के ख़तरों को कम करता है.
न्यूट्रशनिस्ट ब्रिजेट बेनेलम का कहना है कि आम तौर पर रमज़ान में लोगों का वज़न एक किलोग्राम तक कम हो जाता है, लेकिन वह चेतावनी भी देती है, “अगर आप इफ़्तार में अधिक भोजन लेंगे तो वज़न बढ़ भी सकता है.”
उनके मुताबिक़, “इंसानों में अधिक खाने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है. हमें जितने ही पकवान दिए जाएं हम उतना ही खाते हैं और स्वाभाविक है कि इफ़्तार के दौरान खानों से सज़ी एक बड़ी मेज इसका सटीक उदारहण है.”
बेनेलम कहती हैं, “आपके सामने जो कुछ भी आए, सब खाने की ज़रूरत नहीं है. इसलिए चुनिंदा चीजें खाएं और धीरे धीरे.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित