पीटीआई, नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा सचिवालय में नियुक्तियों और प्रोन्नति के मामले में अनियमितता के आरोपों की प्राथमिक जांच की मांग वाली सीबीआइ की याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि राजनीतिक लड़ाइयों में केंद्रीय एजेंसी मशीनरी का इस्तेमाल क्यों कर रही है।
पिछले साल 14 नवंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर 2024 के हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई थी, जिसमें राज्य विधानसभा में नियुक्तियों और प्रोन्नतियों में अनियमितता के आरोपों की सीबीआइ जांच के निर्देश दिए गए थे।
मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने सीबीआइ की अंतरिम याचिका पर सुनवाई करते हुए सवाल उठाया कि हम पूर्व में भी कई बार ये सवाल उठा चुके हैं कि सीबीआइ राजनीतिक लड़ाइयों में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल क्यों करती है।
बता दें कि मामला 2003 से 2007 के बीच हुई भर्तियों और प्रोन्नतियों से जुड़ा हुआ है। 2019 में जांच रिपोर्ट के आधार पर दो अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति भी दे दी गई है।
झारखंड विधानसभा सचिवालय और अन्य पक्षों ने हाईकोर्ट के 23 सितंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी थी। 14 नवंबर 2024 के बाद इस मामले में कोई प्रभावी सुनवाई नहीं हुई थी।