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राजस्थान में हनुमानगढ़ ज़िले के राठीखेड़ा गांव में निर्माणाधीन एथेनॉल फ़ैक्ट्री का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है.
यहाँ बीते डेढ़ साल से फ़ैक्ट्री के विरोध में बड़ी संख्या में लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन, बीती दस दिसंबर की तारीख़ को फ़ैक्ट्री के ख़िलाफ़ लोगों का ग़ुस्सा आगजनी और तोड़फोड़ में तब्दील हो गया.
दरअसल बुधवार को हुई एक महापंचायत के बाद किसान निर्माणाधीन फ़ैक्ट्री की तरफ़ बढ़ने लगे. इस दौरान पुलिस की लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे जाने से नाराज़ किसान उग्र हो गए.
उसके बाद कई गाड़ियों में तोड़फोड़ के साथ आगजनी हुई. घटना के दौरान कई किसान और पुलिस जवान भी घायल हुए हैं.
इस हिंसा के लिए राज्य की बीजेपी सरकार ने विपक्षी कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराया है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि वह किसानों के मुद्दों को निडरता से उठाती रहेगी.
हिंसा के मामले में पुलिस ने सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने से जुड़ी धाराओं के तहत एक अज्ञात के अलावा 107 नामजद लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करके 40 लोगों को गिरफ़्तार किया है.
इस फ़ैक्ट्री के विरोध में राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा और पंजाब के कई गांव भी शामिल हैं.
शुक्रवार देर शाम सादुलशहर से बीजेपी विधायक गुरवीर सिंह बराड़ के साथ एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन के साथ बातचीत कर मांग पत्र सौंपा है.
इसके बाद प्रशासन ने फ़ैक्ट्री को लेकर लोगों की आशंकाओं पर रिव्यू करने तक फ़ैक्ट्री के निर्माण कार्य को फ़िलहाल रोकने का आश्वासन दिया है.
आंदोलनकारी और संघर्ष समिति के सदस्य जगजीत सिंह ने बीबीसी न्यूज़ हिन्दी से कहा, “हमारी सिर्फ़ एक ही मांग है कि यह फ़ैक्ट्री यहां नहीं बनेगी. हमारे आंदोलन को भारतीय किसान यूनियन समेत पंजाब और देश के सभी किसान संगठनों का समर्थन मिल रहा है. आगे की रणनीति के लिए 17 दिसंबर को हनुमानगढ़ में बड़ी सभा बुलाई गई है.”
जगजीत सिंह ने बताया है कि 17 दिसंबर की सभा में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और पंजाब के कई किसान नेता भी शामिल होंगे.
क्या हैं ताज़ा हालात
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राजस्थान का कृषि विभाग संभाल रहे कैबिनेट मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने अलवर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मामले को लेकर कांग्रेस पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, “हनुमानगढ़ में टिब्बी के राठीखेड़ा में हुई किसान हिंसा विपक्ष का उकसाया हुआ मुद्दा है. बड़े बड़े नेता ही किसानों को भड़का रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “अशोक गहलोत, सचिन पायलट और गोविंद सिंह डोटासरा ने बयान दिए हैं. जिस प्रोजेक्ट को पब्लिक इंट्रेस्ट में आप लेकर आए, उसी पर अब जनता को बरगलाया जा रहा है.”
साल 2022 में कांग्रेस की तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार में ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का सरकार के साथ 1320 केएलपीडी की फ़ैक्ट्री लगाने को लेकर एमओयू हुआ था और उसी के तहत यहाँ फ़ैक्ट्री का निर्माण हो रहा है.
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा, “हनुमानगढ़ के टिब्बी में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस के बलप्रयोग की कड़ी निंदा करता हूँ. भाजपा सरकार को किसानों से इतनी नफ़रत क्यों है? किसानों की आवाज़ को कांग्रेस हमेशा निडरता से उठाती रहेगी.”
हनुमानगढ़ ज़िला मुख्यालय से क़रीब चालीस किलोमीटर दूर टिब्बी तहसील का राठीखेड़ा गांव है. इसी गांव में एक एथेनॉल फैक्ट्री निर्माणाधीन है.
इस इलाक़े में ज़्यादातर लोगों की ज़ुबान पर फ़ैक्ट्री का विरोध और बुधवार को हुए उग्र प्रदर्शन की चर्चा है. उसके बाद से पूरे इलाक़े में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और बीते चार दिनों से इंटरनेट सेवाएं बंद हैं.
राठीखेड़ा गांव में क़रीब अस्सी बीघा ज़मीन पर निर्माणाधीन एथेनॉल फ़ैक्ट्री की बाउंड्री वॉल तोड़ दी गई है. फ़ैक्ट्री में बने कंपनी के कार्यालय में हुई तोड़फोड़, आगजनी और पथराव के निशान मौजूद हैं.
आसपास कई गाड़ियां और मशीनें आगजनी में पूरी तरह जल गई हैं.
एहतियातन निर्माणाधीन फ़ैक्ट्री के आसपास और अंदर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात हैं. बीकानेर के डिविज़नल कमिश्नर, रेंज आईजी और एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ख़बर लिखे जाने तक हनुमानगढ़ में ही मौजूद थे.
इन सबकी ज़िला कलेक्टर और एसपी से लगातार मामले को लेकर बैठक चल रही थी. वहीं दस तारीख़ को हुए उग्र प्रदर्शन और उसके बाद हुई पुलिस कार्रवाई से लोगों में डर भी है.
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गांवों में शांति और तनाव दोनों महसूस किए जा सकते हैं. इसका अंदाज़ा यहां की सुनसान गलियों और सड़कों से लगाया जा सकता है.
राठीखेड़ा से क़रीब दो किलोमीटर दूर टिब्बी के एक गुरुद्वारे में आंदोलनकारी महिलाएं और पुरुष ठहरे हुए हैं, इनमें कई घायल हैं.
आंदोलनकारी प्रियंका चहर बीबीसी न्यूज़ हिन्दी से कहती हैं, “लोगों को ज़बरदस्ती पुलिस पकड़ रही है. इसलिए हम सब दस तारीख़ से गुरुद्वारे में ही हैं. 107 नामजद लोगों पर एफ़आईआर दर्ज कर हमें डराने की कोशिश की जा रही है, लेकिन हम फ़ैक्ट्री बंद होने तक पीछे नहीं हटेंगे.”
वो उग्र आंदोलन को लेकर आरोप लगाती हैं, “पुलिस ने ही लोगों को महापंचायत से फ़ैक्ट्री तक जाने दिया. फ़ैक्ट्री की बाउंड्री के भीतर पहले से ही दो-तीन सौ लोग मौजूद थे, उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर पथराव किया, जिससे प्रदर्शनकारी उग्र हुए. पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़कर बेरहमी से लोगों को पीटा है.”
राठीखेड़ा में एथेनॉल फ़ैक्ट्री लगा रही ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर ने बीबीसी से कहा, “हमारे पास एनवायरमेंट एनओसी और बाक़ी सभी परमिशन हैं. स्थानीय राजनीति की वजह से यह सब हो रहा है.”
लोग क्यों कर रहे हैं विरोध
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हनुमानगढ़ में टिब्बी इलाक़े में लोगों के पास बड़ी ज़मीनें हैं. यहाँ की उपजाऊ काली मिट्टी और भूजल स्तर भी काफ़ी अच्छा (पचास फ़ुट) है. ऐसे में लोगों को चिंता सता रही है कि अगर फ़ैक्ट्री की वजह से भूजल स्तर घट गया और प्रदूषण से ज़मीन (मिट्टी) ख़राब हो गई, तो क्या होगा.
सादुलशहर से विधायक गुरवीर सिंह बराड़ ने विधानसभा के पिछले सत्र में इस एथेनॉल फ़ैक्ट्री का ज़िक्र करते हुए कहा था, “पूरे देश में एथेनॉल फ़ैक्ट्री लग रही है. ज़ोर इस बात पर है कि हम एथेनॉल के इंपोर्ट से बच सकें और जो पेट्रोल-डीज़ल में मिलाया जा रहा है, हम इसके विरोध में नहीं हैं.”
“हमारा हनुमानगढ़ कृषि प्रधान ज़िला है. हमारा ज़िला डार्क ज़ोन (जहाँ भूजल का स्तर कम हो) में नहीं है इसलिए फ़ैक्ट्री की परमिशन वहां दी गई है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमारे ज़िले को डार्क ज़ोन में बदलकर छोड़ें.”
आगे उन्होंने कहा था, “हनुमानगढ़ में 1320 केएलपीडी की एथेनॉल फ़ैक्ट्री लगाई जा रही है. एक लीटर एथेनॉल तैयार करने के लिए चार लीटर पानी चाहिए, ऐसे में क़रीब 54 लाख लीटर पानी रोज़ ज़मीन से निकालेंगे तो हमारे जैसे ज़िले भी नहीं बचेंगे.”
हनुमानगढ़ ज़िले से हरियाणा और पंजाब राज्य की सीमाएं भी लगती हैं. कुछ ही किलोमीटर दूर इन राज्यों के किसान और आम लोगों को भी आशंका है कि फ़ैक्ट्री बनने के बाद उन पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा. इसलिए वे भी इस आंदोलन में शामिल हैं.
भूजल के ख़त्म होने की आशंका
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निर्माणाधीन फ़ैक्ट्री के ठीक सामने बलवीर सिंह के चालीस बीघा में खेत हैं.
वह बीबीसी न्यूज़ हिन्दी से कहते हैं, “हमारे यहाँ पंजाब से अच्छी पैदावार होती है. जगह-जगह ढाणियां (कच्चे मकानों की बस्ती) हैं, लोग रहते हैं. यह सब उजड़ जाएगा. फ़ैक्ट्री बन गई तो हमारे खेत बर्बाद हो जाएंगे. पानी ख़त्म हो जाएगा और कैंसर जैसी बीमारियां फैल जाएंगी.”
“हमारे लिए तो सबसे बेहतर है कि फ़ैक्ट्री नहीं बने, बन गई तो बच्चों की ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी. हमारे इलाक़े में शांति है और भरपूर पानी है. सब बर्बाद हो जाएगा क्योंकि ठीक सामने ही हमारी ज़मीन है.”
राठीखेड़ा पंचायत से चार बार के सरपंच रह चुके बुज़ुर्ग प्यारा सिंह कहते हैं, “हमारी पंचायत के एक नंबर वार्ड में फ़ैक्ट्री बना रहे हैं, आसपास लोग रहते हैं. हमारी सरकार से मांग है कि यहाँ फ़ैक्ट्री बंद कर दो. अगर लगानी है तो हमें मार दो. हम जीते जी तो फ़ैक्ट्री नहीं लगने देंगे.”
‘फ़ैक्ट्री हटाओ क्षेत्र बचाओ संघर्ष समिति’ के सदस्य मदन दुर्गेश्वर कहते हैं, “ज़िला प्रशासन फ़ैक्ट्री का प्रतिनिधि बनकर काम कर रहा है. हमारी बात को जयपुर तक नहीं पहुँचाया जा रहा है. हमारी कहीं पर सुनवाई नहीं हो रही है.”
मदन दुर्गेश्वर आगे कहते हैं, “हम डेढ़ साल से फ़ैक्ट्री का विरोध कर रहे हैं. लेकिन, ज़िला प्रशासन दुष्प्रचार कर रहा है कि कुछ ही लोगों का विरोध है जबकि पूरा इलाक़ा फ़ैक्ट्री के विरोध में एक साथ खड़ा है.”
वह आगे कहते हैं, “यह 1320 केएलपीडी का प्लांट है जो एशिया की सबसे बड़ी एथेनॉल फ़ैक्ट्री होगी. हमने पंजाब में एसी 100 से 300 केएलपीडी तक की फ़ैक्ट्री देखी हैं, वहां भूजल गिर गया है और इलाक़ा प्रदूषण से प्रभावित है. ऐसे में हमारा तो इलाक़ा ही समाप्त हो जाएगा.”
अखिल भारतीय खेत मज़दूर यूनियन के हनुमानगढ़ ज़िला अध्यक्ष जगजीत सिंह कहते हैं, “हमारी रणनीति स्पष्ट है कि फ़ैक्ट्री नहीं लगने देंगे. हमारे इस आंदोलन को देशभर से समर्थन मिल रहा है. इससे पानी ख़त्म होने से लेकर दमा और चर्म रोग फैलेगा.”
वो कहते हैं, “हमारा यह इलाक़ा खेती पर ही निर्भर है और टिब्बी में बहुत अच्छी धान के फसल होती है. लोगों की बसावट के बीच जहाँ फ़ैक्ट्री लगाई जा रही है, वहाँ चावल, गेहूं और मक्के की अच्छी फसलें होती हैं. सरकार को हमारी बात माननी ही पड़ेगी. हमारा आंदोलन जारी रहेगा.”
बातचीत का क्या रहा नतीजा
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10 दिसंबर को महापंचायत के बाद हुए उग्र प्रदर्शन और 17 दिसंबर को हनुमानगढ़ में प्रस्तावित देशभर के बड़े किसान संगठनों की सभा से प्रशासन और सरकार ने फ़ैक्ट्री के विरोध में उठ रही आवाज़ों पर ध्यान दिया है.
डिविज़नल कमिश्नर विश्राम मीणा, एडीजी कानून व्यवस्था वीके सिंह, बीकानेर रेंज आईजी हेमंत कुमार शर्मा, कलेक्टर डॉक्टर खुशाल यादव और एसपी हरि शंकर के साथ 12 दिसंबर को देर शाम ‘फ़ैक्ट्री हटाओ क्षेत्र बचाओ संघर्ष समिति’ के पंद्रह प्रतिनिधियों की एक बातचीत हुई.
इस बातचीत में प्रतिनिधिमंडल ने फ़ैक्ट्री लगने से बीमारियों, गिरते भूजल स्तर, प्रदूषण समेत आठ तरह की आशंका ज़ाहिर करते हुए ज्ञापन सौंपा है.
ज़िला कलेक्टर डॉ. खुशाल यादव ने बीबीसी से बताया कि, “महापंचायत में भीड़ अनियंत्रित होने के कारण यह घटना हुई. प्रशासन लगातार प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर रहा है. जो चीज़ें होंगी वो गांव वालों की सहमति से ही की जाएंगी. संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल से हमारी बात हुई है, उन्होंने जो आशंकाएं बताई हैं, हम उनकी जांच कराएंगे और उसके बाद फिर से प्रतिनिधिमंडल से वार्ता करेंगे. तब तक ड्यून एथेनॉल प्लांट के अधिकारियों ने भी आश्वस्त किया है कि समाधान निकलने तक वे काम नहीं करेंगे”
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संघर्ष समिति सदस्य जगजीत सिंह ने बीबीसी से कहा, “हमारी मांग सिर्फ़ फ़ैक्ट्री बंद करवाना है. इस आश्वासन पर प्रशासन काम करे लेकिन हमारा आंदोलन जारी रहेगा. 17 दिसंबर को प्रस्तावित सभा में आगे का फ़ैसला लिया जाएगा.”
हनुमानगढ़ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) हरि शंकर ने बीबीसी से कहा, “उग्र आंदोलन करने पर 107 नामजद लोगों पर एफ़आईआर दर्ज हुई है. एक एफ़आईआर फ़ैक्ट्री के प्रतिनिधियों की ओर से भी दर्ज करवाई गई है.”
एसपी हरि शंकर ने कहा कि, “इस मामले में दो एफ़आईआर दर्ज हुई हैं. एक पुलिस की ओर से की गई है जबकि दूसरी एफ़आईआर एथेनॉल फ़ैक्ट्री बना रही कंपनी की ओर से दर्ज कराई गई है.”
“एक एफ़आईआर की जांच हम कर रहे हैं और एक एफ़आईआर की जांच सीआईडी सीबी कर रही है. हमारे पास जो टेक्निकल एविडेंस हैं, हम उनकी जांच कर रहे हैं. इन्वेस्टिगेशन पूरा होने पर क़ानून हाथ में लेने वालों पर सख़्त कार्रवाई करेंगे.”
आंदोलनकारियों के आरोप हैं कि महापंचायत स्थल से फ़ैक्ट्री तक लोग पहुंच गए लेकिन पुलिस ने नहीं रोका और फैक्ट्री में पहले से ही मौजूद सैकड़ों लोगों ने उन पर पथराव किया? इस सवाल पर एसपी कहते हैं, “हमारे स्तर पर पूरी व्यवस्था की गई थी. तीन स्तर पर बैरिकेडिंग की गई थी, लोगों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी. फैक्ट्री में हमारे पुलिसकर्मियों से भी उन्होंने बहस की, ट्रैक्टरों से फैक्ट्री के परिसर में तोड़फोड़ की गई और जो हुआ वो वीडियो में सब दिखाई दे रहा है.”
उन्होंने बताया कि, “अभी तक चालीस लोगों को गिरफ्तार किया गया है. कंपनी की ओर से दर्ज कराई गई एफ़आईआर में तोड़फोड़ और आगजनी से जुड़ी धाराएं लगाई गई हैं.”
इन एफ़आईआर को लेकर एडीजी क़ानून व्यवस्था वीके सिंह ने कहा, “जो निष्पक्ष कार्रवाई है और उसमें आगे क्या कंडक्ट रहता है, उसके मुताबिक़ हम आगे कार्रवाई करेंगे.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.