इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में सोमवार (24 मार्च) को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई हुई.
जिसके बाद हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को अपना जवाब पेश करने के लिए और समय दे दिया.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, न्यायालय की लखनऊ बेंच ने यह भी आदेश दिया कि इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल से शुरू होने वाले हफ़्ते में लिस्ट की जाएगी.
जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस एके श्रीवास्तव की बेंच ने कर्नाटक के रहने वाले बीजेपी कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया.
उन्होंने दावा किया है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की नागरिकता भी है.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
पिछले साल नवंबर में इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से उसके पक्ष के बारे में जानकारी मांगी थी.
तब केंद्र की तरफ से पेश वकील ने बेंच को बताया था कि संबंधित मंत्रालय ने ब्रिटिश सरकार को एक पत्र लिखकर विस्तृत जानकारी मांगी है.
वकील ने ये भी बताया था कि इसी कारण सरकार को राहुल गांधी के चुनाव को रद्द करने की याचिकाकर्ता की मांग पर फ़ैसला करने के लिए समय चाहिए.
तब से केंद्र ने कई बार अदालत से वक़्त की मांग की है. उसने सोमवार को अदालत से फिर समय मांगा. जिसके बाद बेंच ने इस मामले को 21 अप्रैल से शुरू होने वाले हफ़्ते में लिस्ट कर दिया.
याचिकाकर्ता की क्या है दलील?
याचिकाकर्ता का दावा है कि उनके पास ब्रिटिश सरकार के सभी दस्तावेज़ और कुछ ई-मेल मौजूद हैं, जो इस बात को साबित करते हैं कि राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की नागरिकता है. इसी कारण वे भारत में चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं है और लोकसभा सदस्य नहीं बन सकते.
याचिकाकर्ता ने अदालत से इस मामले की जाँच सीबीआई से भी कराने का अनुरोध किया था.
याचिका के मुताबिक़ उन्होंने इस अनुरोध के लिए गृह मंत्रालय को दो बार ज्ञापन भी भेजा था, जहाँ उन्होंने मंत्रालय से राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को रद्द करने की मांग की थी.
इसमें कहा गया है कि जब उन्हें इस मामले में कोई जवाब नहीं मिला, तो उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख़ करना पड़ा.
याचिका में ये भी कहा गया है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और पासपोर्ट एक्ट के तहत अपराध है. इसलिए सीबीआई को इस मामले में मामला दर्ज कर जांच शुरू करने के लिए कहा जाना चाहिए.
इसी तरह की एक और याचिका सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की थी, जिसमें राहुल गांधी की नागरिकता को रद्द करने की मांग की गई थी.
वे राहुल गांधी पर आरोप लगाते रहे हैं कि उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों को सौंपे गए दस्तावेज़ों में ख़ुद को ब्रिटिश नागरिक घोषित किया है.
क्या होती है दोहरी नागरिकता?
दोहरी नागरिकता का मतलब ऐसे व्यक्ति से हैं जिसके पास एक ही समय में दो या उससे ज़्यादा देशों की नागरिकता होती है.
किसी व्यक्ति के पास दोहरी नागरिकता होने का मतलब है कि उसके पास यह अधिकार है कि वह कई देशों के पासपोर्ट को अपने पास रख सकता है.
उदाहरण के तौर पर अगर आप ब्रिटेन के नागरिक है और साथ में आपके पास अमेरिका की भी नागरिकता है तो आपके पास दोनों देशों के पासपोर्ट रहेंगे.
उसे उन देशों के राजनीतिक अधिकार (वोट डालना और चुनाव लड़ना) मिलेंगे.
साथ ही, उस व्यक्ति के पास संबंधित देशों में बिना किसी वीज़ा या वर्क परमिट के कहीं भी काम करने और आने-जाने का भी अधिकार होता है.
क्या भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति देता है?
इमेज स्रोत, Getty Images
इन सबके बीच ये सवाल भी उठता है कि क्या भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति देता है.
भारत का संविधान किसी व्यक्ति को एक ही समय में भारतीय नागरिकता और विदेशी नागरिकता दोनों रखने से रोकता है.
वहीं अगर कोई व्यक्ति विदेशी नागरिकता हासिल कर लेता है, तो उसका भारतीय पासपोर्ट रखना या उसका इस्तेमाल करना भारतीय पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के तहत अपराध माना जाता है.
काउंसलेट जनरल ऑफ इंडिया, अमेरिका की वेबसाइट के मुताबिक, एक बार जब आप विदेशी नागरिकता हासिल कर लेते हैं, तो आपको अपना भारतीय पासपोर्ट कैंसल कराने के लिए उसे संबंधित भारतीय दूतावास को सौंपना होगा. यानी उस देश में स्थित भारतीय दूतावास में सौंपना होगा, जहां की नागरिकता आप हासिल कर लेते हो. जिसके बाद भारतीय दूतावास इसे कैंसल कर देगा और आपको आपका पासपोर्ट एक सरेंडर सर्टिफिकेट के साथ वापस कर देगा.
हालांकि विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, उत्तरी अमेरिका और दूसरे विकसित देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों की तरफ से ‘दोहरी नागरिकता’ की लगातार मांग को देखते हुए सरकार ने अगस्त 2005 में नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करके ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) स्कीम की शुरुआत की थी.
क्या है ओसीआई स्कीम?
इमेज स्रोत, Getty Images
विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, यह स्कीम भारतीय मूल के सभी व्यक्तियों को भारत के विदेशी नागरिक (ओसीआई) के रूप में पंजीकृत करती है.
इस स्कीम के मुताबिक़, वह लोग ओसीआई स्कीम का फ़ायदा उठा सकते हैं, जो 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत के नागरिक थे या 26 जनवरी 1950 को भारत के नागरिक बनने के पात्र थे.
इस स्कीम का फ़ायदा वे लोग नहीं ले सकते जो पाकिस्तान, बांग्लादेश या ऐसे देश के नागरिक हैं या रहे हैं, जिनके बारे में केंद्र सरकार ऑफिशियल गैजेट में नोटिफिकेशन के ज़रिए बताए.
हालाँकि ओसीआई को ‘दोहरी नागरिकता’ के रूप में नहीं समझना चाहिए क्योंकि ओसीआई ऐसे लोगों को भारत के राजनीतिक अधिकार नहीं देता है.
साथ ही ऐसे नागरिक सरकारी नौकरी के मामले में अवसर की समानता के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत भारत के नागरिकों को दिए गए अधिकारों के हकदार भी नहीं होंगे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित