मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में कांग्रेस से जुड़े एक व्यापारी मनोज परमार और उनकी पत्नी ने शुक्रवार (13 दिसंबर) को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.
दंपति के पास से मिले एक नोट के बाद इस मामले पर राजनीतिक उठापटक शुरू हो गई है. उनके घर पर पांच दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापा मारा था. अब परिवार ने आरोप लगाया है कि मनोज परमार ने ईडी से तंग आकर यह कदम उठाया.
कांग्रेस का कहना है कि ईडी का छापा डालकर परिवार पर दबाव डाला गया था. वहीं बीजेपी ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
बीबीसी हिंदी ने ईडी से संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन इस ख़बर के लिखे जाने तक एजेंसी का जवाब नहीं आया है. हालांकि टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने ईडी में एक सोर्स के हवाले से लिखा है कि एजेंसी ने आरोपों से इनकार किया है.
पिछले साल पहली बार मनोज परमार और उनका परिवार सुर्खियों में उस समय आया था जब उनके बच्चों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान उन्हें एक गुल्लक भेंट की थी.
राहुल गांधी से मिलने के बाद, इन बच्चों की मुलाक़ात कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं से भी हुई.
कांग्रेस नेताओं से नज़दीकी के अलावा घटनास्थल यानी मृतक के घर से बरामद एक पत्र ने इस पूरे मामले को चर्चा के केंद्र में ला दिया है.
इस पत्र में मनोज परमार ने आरोप लगाया है कि ईडी के अधिकारी उनपर बीजेपी में शामिल होने के लिए दबाव बना रहे थे.
सीहोर पुलिस अधीक्षक दीपक शुक्ला ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, “कल पुलिस टीम को आत्महत्या की सूचना मिली थी जिसके बाद टीम मौके़ पर पहुंची. पुलिस ने मृतक के घर से संबंधित चीज़ें ज़ब्त की हैं, इनमें कुछ दस्तावेज़ भी हैं”.
अभी तक इस मामले में एफ़आईआर दर्ज न होने के सवाल पर दीपक शुक्ला कहते हैं, “हमने इस मामले में जांच शुरू कर दी है, क्योंकि मामला अस्वाभाविक मौत का है, इसलिए जांच के बाद जो भी साक्ष्य और तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई की जाएगी.”
घटना के बाद मनोज परमार के परिजनों ने आरोप लगाया कि उन पर एक मामले को लेकर राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा था और इसी के दबाव में उन्होंने यह कदम उठाया.
बेटी का आरोप- पिता पर था मानसिक दबाव
मनोज और नेहा परमार के तीन बच्चे थे, जिनमें एक बेटी और दो बेटे शामिल हैं.
बीबीसी से बात करते हुए मनोज परमार की बड़ी बेटी, 17 साल की जिया परमार ने आरोप लगाया कि उनके पिता पर मानसिक दबाव बनाया जा रहा था, जिसकी वजह से उनके माता-पिता यह कदम को उठाने पर मजबूर हुए.
उन्होंने यह भी कहा कि घटना से पहले वाली रात को उनकी माता-पिता से बात हुई थी, लेकिन वो परेशान नहीं लग रहे थे.
जिया परमार ने कहा, “आख़िरी बार हमारी बात गुरुवार की रात हुई थी. सब कुछ सामान्य था, हमने साथ में मिलकर खाना खाया था, हंसी मज़ाक किया. पापा डिप्रेशन में नहीं लग रहे थे. हमें कोई अंदेशा नहीं था कि आखिरी बार पापा- मम्मी को हंसते हुए देख रहे हैं.”
जिया परमार कहती हैं, “शायद पिताजी हम लोगों को परेशान होने से बचाने के लिए अपनी समस्याएं नहीं बताते थे. मेरे पिता ईडी की जांच और अधिकारियों से परेशान थे. वो बहुत परेशान हो गए थे.”
वहीं मनोज के बड़े भाई राजेश परमार ने बताया कि साल 2016 में उनके भाई पर प्रदेश की आर्थिक अपराध शाखा में धोखाधड़ी और फ्रॉड का केस दर्ज हुआ था.
राजेश परमार ने कहा, “साल 2016 के उसी मामले पर पहले आर्थिक अपराध शाखा, फिर सीबीआई और अब प्रवर्तन निदेशालय द्वारा केस दर्ज किया गया था. भाई एक ही मामले पर बार बार अलग अलग एजेंसियों द्वारा परेशान किए जाने को लेकर तंग था.”
“पांच दिसंबर को जब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के अधिकारियों ने छापा मारा था उस दिन भी मनोज को बहुत परेशान किया गया था. राजनीतिक दबाव लगातार बना हुआ था. इसी सब से परेशान होकर दोनों ने ऐसा कदम उठा लिया.”
आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है. अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं, यदि आपको आत्महत्या के विचार आ रहे हैं या आपकी जानकारी में किसी और के साथ ऐसा होता है, तो आप भारत में आसरा वेबसाइट या वैश्विक स्तर पर बीफ्रेंडर्स वर्ल्डवाइड के ज़रिए मदद ले सकते हैं. आप भारत सरकार की जीवन आस्था हेल्पलाइन 1800 233 3330 से मदद ले सकते हैं. आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.
पुलिस ने क्या बताया?
पुलिस ने मनोज परमार और नेहा परमार की आत्महत्या के बाद उनके घर से कुछ दस्तावेज़ भी ज़ब्त किए थे.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “वहां से कुछ दस्तावेज और अन्य संबंधित चीजें मिली हैं जिसमें एक लेटर भी है. इसमें कुछ जांच एजेंसियों के अधिकारियों और अन्य लोगों पर आरोप लगाए गए हैं.”
“लेकिन इसे अभी सुसाइड नोट नहीं कहा जा सकता है. यह लेटर कब और कैसे बनाया गया, किसने लिखा है, इसकी जांच की जा रही है. लेटर में किसी का हस्ताक्षर नहीं है इसलिए इसकी सत्यता की जांच की जा रही है.”
बीबीसी ने मनोज परमार की लिखी कथित चिट्ठी को देखा है.
इसमें कहा गया है, “पांच दिसंबर को जब सुबह ईडी के अधिकारी मेरे घर आए, तो सबसे पहले उन्होंने मेरे घर के कैमरे बंद किए. सब के फ़ोन छीन लिए और बच्चों को और मेरी पत्नी को एक कमरे में बंद कर दिया. हर आधे घंटे के अंतराल में मुझे बोलते रहे कि तुम बीजेपी में होते तो ये केस नहीं होता.”
कथित तौर पर मनोज परमार ने इस लेटर में लिखा है कि “कांग्रेस से जुड़ने के कारण हमें ईडी परेशान कर रही है जिसके कारण आज मुझे आत्महत्या करनी पड़ रही है.”
इसमें आगे राहुल गांधी से निवेदन करते हुए कहा गया है, “निवेदन है कि मेरे मरने के बाद इन बच्चों की ज़िम्मेदारी आपकी और कांग्रेस पार्टी की है… बच्चों को अकेला मत छोड़ना.”
इस मामले पर चल रही राजनीतिक बयानबाजी
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस मामले पर भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, “परमार दंपति के बच्चों का स्पष्ट आरोप है कि उनके पिता पर बार-बार बीजेपी में शामिल होने का दबाव बनाया जा रहा था. कसूर सिर्फ़ यह था, बच्चों ने भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी जी को गुल्लक भेंट की थी. बीजेपी की नफरत की इस राजनीति ने आज बेकसूर बच्चों को अनाथ कर दिया.”
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और मौजूदा राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी इस मामले में सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करके कहा, “मनोज परमार को बिना कारण ईडी द्वारा परेशान किया जा रहा था. मनोज परमार के बच्चों ने राहुल जी को भारत जोड़ो यात्रा के समय गुल्लक भेंट की थी. मनोज के घर पर ईडी का छापा डाला गया था.”
“मनोज के अनुसार उस पर छापा इसलिए डाला गया क्योंकि वह कांग्रेस समर्थक हैं. मैंने उनके लिए वकील की व्यवस्था भी कर दी थी, लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि वो इतना घबराए हुआ थे कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली.”
लेकिन भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मनोज परमार की आत्महत्या के मामले पर कांग्रेस के लगाए आरोपों को बेबुनियाद बताया.
उन्होंने कहा, “आज की तारीख में हम ऐसे लोगों को बीजेपी में लाकर, पार्टी की प्रतिष्ठा कम करना नहीं चाहते हैं”.
वहीं इस मामले पर बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कांग्रेस के आरोपों को ख़ारिज किया है.
उनका कहना है, “कांग्रेस इस त्रासदी का राजनीतिक लाभ उठाने के लिए इस्तेमाल कर रही है. यह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित