India Russia Trade मंगलवार को रूस और भारत के बीच कारोबार को लेकर बेहद ही अहम बैठक होने वाली है जिसमें भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के फर्स्ट डिप्टी विदेश मंत्री डेनिस मंटुरोव शामिल होंगे। इससे पहले एस जयशंकर ने कुछ अहम बातें बताई हैं जिनका दोनों देशों के कारोबार के बीच ध्यान रखना जरूरी है। पढ़ें जयशंकर ने क्या कहा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मंगलवार को नई दिल्ली में भारत-रूस के बीच व्यापार, आर्थिक, प्रौद्योगिक, विज्ञान व संस्कृति पर अंतर सरकारी आयोग की 25वीं बैठक में भारत की तरफ से रूस के साथ बढ़ते व्यापार घाटा और द्विपक्षीय कारोबार का भुगतान स्थानीय मुद्रा में करने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा।
रूस से ज्यादा तेल खरीदने की वजह से भारत का कारोबार घाटा काफी (वर्ष 2023-24 में 57 अरब डॉलर) काफी बढ़ गया है। ऐसे में भारत को इस बात की आशंका है कि वर्ष 2030 तक जब 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय कारोबार का लक्ष्य हासिल किया जाए तो कहीं कारोबार घाटा और भी ज्यादा ना हो जाए।
‘कारोबार का सेटलमेंट स्थानीय मुद्रा में करना जरूरी’
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को भारत-रूस बिजनेस फोरम की बैठक में कहा कि मौजूदा परिवेश में भारत-रूस के बीच कारोबार का सेटलमेंट स्थानीय मुद्रा (रुपये व रूबल) में करना बहुत महत्वपूर्ण है। जयशंकर ने जब यह बात कही तो रूस के फर्स्ट डिप्टी विदेश मंत्री डेनिस मंटुरोव भी उपस्थित थे। इन दोनों की अगुवाई में ही 12 नवंबर को अंतर-सरकारी आयोग की बैठक होने वाली है।
100 अरब डॉलर तक द्विपक्षीय कारोबार पहुंचाने का लक्ष्य
इसके बाद उन्होंने कहा, ‘दोनों देशों के बीच बढते कारोबार घाटा को कम करने पर तत्काल ध्यान देना होगा। अभी यह पूरी तरह से एकतरफा है। इसे दूर करने के लिए गैर-शुल्कीय बाधाओं और नियमन संबंधी अड़चनों को दूर कनरे पर सबसे ज्यादा ध्यान देना होगा।’ जयशंकर ने भारत व रूस के कारोबारी रिश्तों के संदर्भ में दस तथ्यों का जिक्र किया, जिस पर दोनों देशों की सरकारों को आने वाले दिनों में ध्यान देना होगा। इसमें पहला है द्विपक्षीय कारोबार अभी 66 अरब डॉलर का है जिसे वर्ष 2030 बढ़ा कर 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है।
दूसरे के तौर पर उन्होंने बढ़ते कारोबारा घाटे का जिक्र किया। इसके अलावा भारत और यूरेशिया इकोनोमिक जोन के बीच व्यापार समझौते के लिए शुरू हुई बातचीत को तेजी से आगे बढ़ाने, भारत व रूस के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि को लेकर शुरू की गई वार्ता को पूरी करने, स्थानीय मुद्रा में कारोबार को सेटलमेंट करने जैसी बातें भी शामिल है।
रूपये में कारोबार करने में हिचक रहीं रूसी कंपनियां
सनद रहे कि भारत और रूस की सरकारों व केंद्रीय बैंक के बीच विमर्श होने के बावजूद द्विपक्षीय कारोबार का सेटलमेंट रुपये या रूबल में करने में कोई ज्यादा सफलता नहीं मिली है। वैसे कुछ रूस की कंपनियों को रुपये में भुगतान किया गया है, जिसे उन्होंने वोस्ट्रो खाते में जमा कर रखा है। चूंकि भारत से रूस का आयात बहुत ही कम है, इसलिए इसका उपयोग नहीं हो पा रहा। यह एक बड़ी वजह है कि रूस की दूसरी कंपनियां भी रुपये में कारोबार करने से हिचक रही हैं। मंगलवार को होने वाली बैठक में इसका रास्ता निकालने की कोशिश होगी।