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रूस की सेना के लिए लड़ रहे एक गुजराती युवक ने यूक्रेनी सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. अब यह ख़बर गुजरात में चर्चा का विषय बन गई है.
बीबीसी को मिली जानकारी के मुताबिक़, युवक का नाम साहिल माजोठी है. गुजरात एटीएस ने साहिल की मां हसीना और मामा फ़ारूक़ माजोठी से पूछताछ की है.
गुजरात में मोरबी के कालिका प्लॉट इलाके़ में साहिल के घर के बाहर लोग इकट्ठा होकर माजोठी परिवार के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
अधिकतर लोग मीडिया से बात करने से बच रहे हैं, हालांकि कुछ ने कहा कि “माजोठी परिवार का लोगों से ज़्यादा मेल-जोल नहीं था.”
मंगलवार से साहिल माजोठी का एक वीडियो वायरल है, जिसमें वह कथित तौर पर अपने साथ हुई घटनाओं के बारे में बता रहे हैं.
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वायरल वीडियो में साहिल ने क्या कहा?
वीडियो में साहिल बताते हैं कि वह रूसी सेना में कैसे पहुंचे और एक अक्तूबर को उन्हें युद्ध के मोर्चे पर कैसे भेजा गया.
वह कहते हैं, “मुझे ड्रग्स के एक मामले में रूसी पुलिस ने गिरफ़्तार किया था, जिसके बाद कोर्ट ने सात साल की सज़ा सुनाई. लेकिन रूसी सरकार ने मुझसे कहा कि अगर मैं सेना में शामिल हो जाऊं, तो मेरी सज़ा माफ़ कर दी जाएगी और सेना में काम करने की सैलरी भी मिलेगी.”
22 साल के साहिल ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और रूसी सेना में शामिल हो गए. सिर्फ़ 16 दिन की ट्रेनिंग के बाद उन्हें एक अक्तूबर को युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया.
साहिल ने कहा, “तीन दिन तक मोर्चे पर रहने के बाद मेरी कमांडर से बहस हो गई, जिसके बाद मैंने यूक्रेनी सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.”
एटीएस अधिकारी ने बीबीसी से पुष्टि की कि साहिल को ड्रग्स से जुड़े एक मामले में गिरफ़्तार कर सात साल की सज़ा दी गई थी.
परिवार के हवाले से एटीएस सूत्रों ने बताया कि साहिल कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए रूस गया था और गिरफ़्तारी के बाद से परिवार से उसका कोई संपर्क नहीं था.
‘साहिल बहुत होनहार छात्र था’
बुधवार को माजोठी परिवार के ज़्यादातर पड़ोसी मीडिया से बात करने से बचते दिखे. साहिल के मामा अब्दुल्ला माजोठी ने बीबीसी को बताया, “हसीना का परिवार पढ़ा-लिखा है. साहिल बचपन से ही होनहार छात्र था. रूस जाने से पहले वह सिरेमिक फैक्ट्री में काम करता था और क़रीब ढाई साल पहले कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए गया था.”
“मुझे नहीं पता आगे क्या हुआ, अब मीडिया में ख़बर आ रही है कि उसने यूक्रेनी सेना के सामने आत्मसमर्पण किया है. ख़बर आने के बाद एटीएस ने हसीना और फ़ारूक़ से पूछताछ की.”
एटीएस ने कहा कि पूछताछ के बाद दोनों को घर जाने की अनुमति दी जाएगी.
माल ढुलाई का काम करने वाले अब्दुल्ला बताते हैं कि हसीना की शादी मोहम्मद हुसैन से हुई थी.
वह कहते हैं, “साहिल के जन्म के बाद दोनों का तलाक़ हो गया. उसके बाद हसीना अपने भाई फ़ारूक़ के साथ कालिका प्लॉट इलाके में रहती है. फ़ारूक़ मोरबी और मालिया के बीच गाड़ी चलाकर यात्रियों को ले जाते हैं.”
“हसीना के पिता शमसुद्दीन अब नहीं हैं, वह राजस्थान की पाली नगरपालिका में सरकारी नौकरी करते थे. उनकी मां हुरबाई को पाली नगरपालिका से पेंशन मिलती है, जिससे परिवार का गुज़ारा चलता है.”
यूक्रेन कैसे पहुंचा?
बीबीसी से फ़ोन पर बात करते हुए हसीना ने बताया कि साहिल पढ़ाई के लिए रूस गया था, लेकिन कुछ महीनों बाद ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया.
उन्होंने कहा, “साहिल बहुत होनहार है, वह कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए रूस गया था. पढ़ाई के साथ वह खाने-पीने का सामान डिलीवर करने का काम भी करता था. अप्रैल 2024 में किसी ने खाने के पैकेट के साथ ड्रग्स रख दिए और पुलिस ने उसे पकड़ लिया.”
“पुलिस ने केस दर्ज किया और उसे छह महीने की सज़ा सुनाई गई.”
हसीना ने बताया कि परिवार ने रूस में उसके लिए वकील रखा था. उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता वो यूक्रेन कैसे पहुंचा. मुझे इस बारे में वायरल वीडियो देखकर ही पता चला.”
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‘मां के सपने पूरे करना चाहता था’
साहिल के एक रिश्तेदार आसिफ़ क़ादर माजोठी ने बीबीसी को बताया कि साहिल ढाई साल पहले भारत से गया था और तब से वापस नहीं आया, हालांकि वह अपनी मां के संपर्क में था.
2018 में साहिल ने मोरबी के एक प्राइवेट स्कूल से साइंस पढ़ी थी. शिक्षकों का कहना है कि वह औसत छात्र था और गुजराती माध्यम में पढ़ता था.
स्कूल की पूर्व प्रिंसिपल ने कहा, “साहिल अपनी मां के सपनों को पूरा करना चाहता था.”
पड़ोसियों के मुताबिक़, हसीना एक क्रिश्चियन संस्था में काम करती हैं, जो कालिका प्लॉट इलाके में बच्चों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराती है.
साहिल के समाज के नेता कासम सुमरा ने इस मामले में भारतीय सरकार से दख़ल की मांग की है.
उन्होंने कहा, “कई साहिल जैसे युवा पढ़ाई या काम के लिए रूस गए और उन्हें युद्ध में झोंक दिया गया. हम सरकार से अपील करते हैं कि साहिल और ऐसे अन्य युवाओं को भारत वापस लाया जाए.”
सुमरा ने बताया कि जैसे ही साहिल के आत्मसमर्पण की ख़बर आई, उन्होंने उनके मामा को इसकी जानकारी दी.
उन्होंने कहा, “साहिल कंप्यूटर इंजीनियरिंग पढ़ने गया था, लेकिन खर्च चलाने के लिए डिलीवरी एजेंट के रूप में भी काम करता था. परिवार को उसके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों की जानकारी थी.”
पिछले महीने भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि रूस में भारतीय नागरिकों की रिहाई और वतन वापसी के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है और प्रभावित परिवारों से संपर्क में है.
(अहमदाबाद से बीबीसी संवाददाता रॉक्सी गागडेकर छारा के इनपुट के साथ)
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