रूस-चीन नज़दीक, फिर कैसा होगा भारत-रूस संबंधों का भविष्य? द लेंस
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दौरे से भारत और रूस के संबंधों की गर्मजोशी दिखाई दी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद एयरपोर्ट पहुंचकर उनका स्वागत किया. फिर अगली सुबह पुतिन का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक भव्य स्वागत हुआ.
यानी हर तरह से भारत की ओर से ये संकेत साफ़ तौर पर दिया जा रहा था कि ये दोस्ती ख़ास है.
दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ा है. प्रतिबंधों के बावजूद भारत का रूस से कच्चा तेल ख़रीदना जारी है, भारतीय सेना आज भी रूस से मिले हथियारों पर भरोसा करती है.
इससे पहले पुतिन करीब चार साल पहले भारत आए थे. मगर तब से अब तक बहुत कुछ बदल गया है. रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है.
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बने, भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव है और रूस-चीन करीब आ गए हैं.
ऐसे में सवाल कई हैं. पश्चिमी देश रूस को अलग-थलग करने में लगे हैं, तब भारत क्यों उसके क़रीब खड़ा है? ये यात्रा इतनी अहम क्यों मानी गई? इस दौरे का सबसे बड़ा हासिल क्या है?
अमेरिका इस यात्रा को कैसे देख रहा होगा? रूस और चीन की नज़दीक़ी के संदर्भ में भारत और रूस संबंधों का भविष्य क्या होगा?
द लेंस के आज के एपिसोड में इन सभी सवालों पर चर्चा की गई.
इस चर्चा में कलेक्टिव न्यूज़रूम के डायरेक्टर ऑफ़ जर्नलिज़म मुकेश शर्मा के साथ शामिल हुए वरिष्ठ पत्रकार विनय शुक्ला और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एडजंक्ट प्रोफ़ेसर डॉक्टर अनुराधा मित्रा चेनॉय.
प्रोड्यूसरः शिल्पा ठाकुर / सईदुज़्जमान
गेस्ट कोऑर्डिनेटरः संगीता यादव
वीडियो एडिटिंगः जमशैद अली
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.