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यूक्रेन को टॉमहॉक मिसाइलें देकर रूस पर दबाव बनाने की अमेरिकी धमकियों के बीच, व्लादिमीर पुतिन और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फ़ोन पर बातचीत की.
और नतीजा ये हुआ कि दोनों बुडापेस्ट में शिखर सम्मेलन के लिए तैयार हो गए.
पिछले साल अगस्त में, रूस पर अतिरिक्त अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकियों के बीच, पुतिन ने ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से मुलाकात की थी.
नतीजा: अलास्का में अमेरिका-रूस शिखर सम्मेलन.
ऐसा लग रहा था कि घटनाक्रम फिर से दोहराया जाएगा.
लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
अलास्का में बैठक हुई. इसके लिए कोई ख़ास तैयारी नहीं की गई और कोई ख़ास नतीजा भी सामने नहीं आया.
लेकिन बुडापेस्ट शिखर सम्मेलन तो हो भी नहीं पाया.
सच कहूँ तो, इसे ‘शुरू’ होने का समय भी नहीं मिला था. अब राष्ट्रपति ट्रंप ने इस सम्मेलन को रद्द कर दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने संवाददाताओं से कहा, “ऐसा नहीं लग रहा था कि हम उस नतीजे पर पहुंच पाएंगे जहां हमें पहुंचना था.”
‘रूसियों को धमकियां पसंद नहीं’
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इतना ही नहीं .
इससे पहले ट्रंप ने रूस पर दबाव डालने की धमकियों पर अमल नहीं किया था. और रूस के साथ अपने व्यवहार में दंड की जगह लालच देने को प्राथमिकता दी थी.
लेकिन अब उन्होंने रूस को रियायत देना बंद दिया है.
इसके बजाय ट्रंप ने दो प्रमुख रूसी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए हैं.
लेकिन इस क़दम के कारण पुतिन के युद्ध रोकने की संभावना नहीं है. यह इस बात का संकेत है कि ट्रंप रूस की जंग ना ख़त्म करने की इच्छा से निराश हैं.
रूसी लोग ‘डंडा’ पसंद नहीं करते.
गुरुवार को राष्ट्रपति पुतिन ने संवाददाताओं से कहा कि नए अमेरिकी प्रतिबंध एक दोस्ताना कार्रवाई नहीं है. उन्होने इसे रूस पर दबाव बनाने का प्रयास बताया.
उन्होंने कहा, “कोई भी स्वाभिमानी देश और व्यक्ति कभी भी दबाव में आकर कोई निर्णय नहीं लेता.”
लेकिन पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने तो बिना लाग लपेट के अपनी प्रतिक्रिया दी.
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “अमेरिका हमारा दुश्मन है और उनके बातूनी ‘शांतिदूत’ अब रूस के साथ युद्ध की राह पर चल पड़े हैं. जो फ़ैसले लिए गए हैं, वे रूस के ख़िलाफ़ युद्ध की कार्रवाई हैं.”
गुरुवार को रूसी अख़बार ‘मोस्कोवस्की कोम्सोमोलेट्स’ ने ट्रंप के ‘मनमौजीपन और चंचलता’ की आलोचना की.
रूस का रवैया
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तो फिर क्या बदला है?
पहले शिखर सम्मेलन की तुलना में इस बार ट्रंप अधिक सतर्क थे.
उन्होंने विदेश मंत्री मार्को रुबियो से रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ शिखर सम्मेलन की नींव रखने को कहा था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बुडापेस्ट में कुछ हासिल हो सके.
जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि ऐसा नहीं होने वाला और अब शिखर सम्मेलन से किसी सफलता की संभावना नहीं है.
रूस यूक्रेन में वर्तमान युद्ध रेखा को स्थिर करने के डोनाल्ड ट्रंप के विचार का कड़ा विरोध कर रहा है.
रूस कम से कम पूर्वी यूक्रेन के पूरे डोनबास क्षेत्र को अपने नियंत्रण में रखना चाहता है. इसके ज़्यादातर हिस्से पर रूस का ही कब्ज़ा है.
राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की डोनबास के उन हिस्सों को रूस को सौंपने से इनकार कर रहे हैं जिन पर इस वक़्त यूक्रेन का नियंत्रण है.
ये भी संभव है कि रूस दूसरे अमेरिकी-रूस शिखर सम्मेलन का स्वागत करता.
अलास्का में हुआ पहला सम्मेलन रूस के लिए एक कूटनीतिक और राजनीतिक जीत साबित हुआ था.
वहां राष्ट्रपति पुतिन का भव्य स्वागत रूस की अंतरराष्ट्रीय मंच पर वापसी और उसे अलग-थलग करने में पश्चिमी देशों की नाकामी का प्रतीक था.
पिछले हफ़्ते से रूसी सरकारी मीडिया यूरोप में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ शिखर सम्मेलन की चर्चा कर रहा था. रूसी टिप्पणीकारों ने बुडापेस्ट में प्रस्तावित बैठक को यूरोपीय संघ के मुंह पर तमाचा बताया था.
साथ ही रूस में बहुत कम लोगों को इस बात पर यक़ीन था कि बुडापेस्ट शिखर सम्मेलन से वही परिणाम निकलेंगे जो रूस को मंज़ूर होंगे.
कुछ रूसी समाचारपत्र रूसी सेना से लड़ाई जारी रखने का आह्वान कर रहे हैं.
रूसी अख़बार मोस्कोवस्की कोम्सोमोलेट्स ने गुरुवार को लिखा, “रूस को युद्ध विराम पर सहमत होने की कोई वजह नहीं है.”
इसका मतलब यह नहीं है कि रूस शांति नहीं चाहता.
रूस बेशक शांति चाहता है. लेकिन सिर्फ़ अपनी शर्तों पर. पर फ़िलहाल यूक्रेन और शायद अमेरिका को भी ये मंज़ूर नहीं है.
ये शर्तें सिर्फ़ ज़मीन पर कब्ज़े से नहीं जुड़ी हैं. रूस की मांग है कि यूक्रेन युद्ध के “मूल कारणों” पर ध्यान दिया जाए. रूस अपनी मांगों को व्यापक बनाते हुए नेटो के विस्तार पर रोक लगाना भी शामिल कर रहा है.
यह भी माना जाता है कि रूस, यूक्रेन को दोबारा ‘रूसी प्रभाव क्षेत्र’ में लाना चाहता है.
क्या डोनाल्ड ट्रंप रूस पर और दबाव डालने के लिए तैयार हैं?
बुडापेस्ट शिखर सम्मेलन की घोषणा के बाद मोस्कोवस्की कोम्सोमोलेट्स ने लिखा, “ट्रंप के रस्साकशी के खेल में, रूस फ़िलहाल आगे चल रहा है.”
अख़बार ने लिखा, “बुडापेस्ट में होने वाली बैठक से कुछ हफ़्ते पहले, यूरोप ट्रंप को विपरीत दिशा में खींचने की कोशिश करेगा. और फिर पुतिन उन्हें दोबारा हमारी तरफ़ खींच लेंगे.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित