अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक पूर्व वरिष्ठ सलाहकार ने कहा है कि नया प्रशासन यूक्रेन को कब्ज़े वाले क्षेत्र को वापिस पाने में मदद करने की बजाय शांति स्थापित करने पर ज़ोर देगा.
रिपब्लिकन पार्टी के रणनीतिकार ब्रायन लांज़ा ने बीबीसी को बताया कि ट्रंप प्रशासन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से “व्याहारिक शांति के विकल्प” के बारे में पूछ सकता है.
उन्होंने कहा, “अगर राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की बातचीत के लिए तैयार हो जाते हैं, लेकिन वो ये कहते हैं कि शांति तभी हो सकती है जब क्राइमिया हमें वापिस मिल जाए, तो इसका मतलब होगा कि वो गंभीर नहीं है. क्राइमिया अब जा चुका है.”
ब्रायन लांज़ा के इस बयान के बाद, ट्रंप के एक प्रवक्ता ने उनकी इन टिप्पणियों से आगामी ट्रंप प्रशासन को अलग किया है. प्रवक्ता ने कहा है कि “लांज़ा को नव निर्वाचित राष्ट्रपति की ओर से बात करने की इजाज़त नहीं है.”
ब्रायन लांज़ा ने कहा था, “यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की कह सकते हैं कि उनका मक़सद क्राइमिया को हासिल करना है, लेकिन न तो ये अमेरिका का उद्देश्य है और न ही यूरोपीय मुल्कों का.”
“हम जानते हैं कि जब 2014 में रूस ने क्राइमिया पर हमला किया तो यूरोप ने कुछ नहीं किया.”
रूस ने साल 2014 में क्राइमिया पर कब्ज़ा कर लिया था. इसके आठ साल बाद, 24 फ़रवरी 2022 को रूस ने फिर से यूक्रेन के ख़िलाफ़ “विशेष अभियान” शुरू किया.
इस जंग के दौरान उसने यूक्रेन की सीमा के भीतर बढ़त बनाई है और उसके पूर्वी क्षेत्र के कुछ इलाक़ों पर कब्ज़ा कर लिया है.
ट्रंप लगातार कहते रहे हैं कि जंग को ख़त्म करना है और यूक्रेन को सैन्य सहायता के रूप में दिए जा रहे अमेरिकी संसाधनों की बर्बादी को रोकना है.
लेकिन अभी तक उन्होंने अपनी पूरी मंशा को ज़ाहिर नहीं किया है और ऐसा लग रहा है कि उनके विभिन्न सलाहकारों से यूक्रेन के भविष्य को लेकर अलग-अलग बातें सुनाई दे सकती हैं.
बीबीसी के कार्यक्रम में लांज़ा ने क्या कहा?
ब्रायन लांज़ा 2016 और 2024 के प्रचार अभियान में ट्रंप के राजनीतिक सलाहकार रहे हैं.
उन्होंने अपने ताज़ा बयान में पूर्वी यूक्रेन के इलाक़ों का ज़िक्र नहीं किया, जिनके एक बड़े हिस्से पर रूस ने कब्ज़ा कर लिया है.
इसकी बजाय उन्होंने कहा कि रूस से क्राइमिया को वापिस लेना काल्पनिक है और “यह अमेरिका का लक्ष्य नहीं है.”
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के वीकेंड प्रोग्राम में उन्होंने कहा, “जब ज़ेलेंस्की कहते हैं कि हम लड़ाई तभी रोकेंगे और शांति तभी आएगी जब क्राइमिया हमें वापस मिल जाएगा, तो राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के लिए हमारे पास एक ख़बर – क्राइमिया हाथ से निकल चुका है.”
उन्होंने कहा, “और, अगर क्राइमिया को वापस पाना आपकी प्राथमिकता है और इसके लिए चाहते हैं कि अमेरिकी सैनिक लड़ें तो इस मामले में आप अकेले हैं.”
ग़ौरतलब है कि अमेरिका ने यूक्रेन में जंग लड़ने के लिए अपने सैनिकों की कभी तैनाती नहीं की, न ही यूक्रेन ने ऐसी कोई अपील की है. यूक्रेन केवल अपनी सुरक्षा के लिए हथियार और अपने सैनिकों को हथियारों से लैस करने के लिए अमेरिका से सैन्य मदद की अपील करता रहा है.
ब्रायन लांज़ा ने कहा कि उन यूक्रेनी लोगों के प्रति उनके दिल में बहुत सम्मान है, जिनका “दिल शेर जैसा है.” लेकिन उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्राथमिकता “शांति लाना और हत्याओं को रोकना” है.
उन्होंने कहा, “हम यूक्रन से कहने जा रहे हैं कि आपको क्या दिखाई देता है? आपको जो दिखाई देता है वही शांति के लिए वास्तविक नज़रिया है. यह नज़रिया जीत के लिए नहीं बल्कि यह शांति के लिए है. आईए एक ईमानदार वार्ता की शुरुआत करें.”
यूक्रेन की प्रतिक्रिया
यूक्रेन के विदेशी मामलों की समिति के सदस्य ओलेक्ज़ेंडर मेरेज़को ने कहा है कि क्राइमिया को रूस के हवाले करने वाले किसी भी समझौते पर यूक्रेन के सहमत होने का सवाल ही नहीं पैदा होता.
उन्होंने कहा, “हर नज़रिए से हम सहमत नहीं हो सकते क्योंकि हमारे संवैधानिक क़ानून के तहत इसका सवाल ही नहीं उठता. संविधान किसी भी सरकार या राष्ट्रपति को अपनी इलाक़ाई अखंडता को भंग करने या इसे दूसरे देश को देने की इजाज़त नहीं देता. उदाहरण के लिए क्राइमिया.”
उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह असंभव है. राजनीतिक रूप से भी यूक्रेन में किसी राष्ट्रपति के लिए यह अंसभव है. हमारे हिसाब से इसका सवाल ही नहीं पैदा होता है.”
वहीं ज़ेलेंस्की के सलाहकार दमित्रो लिटविन ने लांज़ा की टिप्पणी को ‘यूक्रेन पर शांति के लिए दबाव’ डालने वाला बताया है. उनका कहना है कि “यह पुतिन हैं जो जंग चाहते हैं.”
उन्होंने कहा, “मोर्चे पर हुई झड़पों में पुतिन ने अपने सबसे अधिक लोग खोए हैं. इसका क्या मतलब है? यह स्वाभाविक है कि वो जंग जारी रखना चाहते हैं.”
“यूक्रेन 2022 से ही शांति का प्रस्ताव देता आया है और उसने कई व्यावहारिक प्रस्ताव रखे हैं. रूस को बताना होगा कि शांति ज़रूरी है और शांति टिकाऊ होनी चाहिए, ताकि दोबारा यूक्रेन पर रूसी हमला न हो.”
रूस ने क्या कहा?
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता ने नए अमेरिकी प्रशासन की ओर से आ रहे संकेतों को “सकारात्मक” बताया है.
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वो शांति समझौता करा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि नए राष्ट्रपति कम से कम शांति के बारे में बातें तो कर रहे हैं, न कि रूस को हराने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं.
साथ ही उन्होंने कहा कि यह ट्रंप को मौजूदा अमेरिका प्रशासन से अलग करता है. यूक्रेन को चिंता है कि ट्रंप उसकी सैन्य मदद बंद कर देंगे और शांति के लिए उन पर दबाव बनाएंगे.
हालांकि ट्रंप के मातहत पहले काम कर चुके, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक सहयोगी ने नाम न ज़ाहिर करते हुए बुधवार को अंग्रेज़ी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल से कहा, “ट्रंप के मातहत चाहे कोई कितना भी वरिष्ठ क्यों न हो, अगर वो अलग नज़रिये का दावा करता है या यूक्रेन पर उनकी योजनाओं के बारे में विस्तृत बात करता है तो वो नहीं जानता कि वो किसके बारे में बात कर रहा है.”
उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति “राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अपने फ़ैसले” खुद लेते हैं और ऐसे वक़्त में उन्होंने “कई फै़सले लिए” भी हैं.
चुनाव जीतने के बाद ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से बात की थी और इस फ़ोन कॉल के दरम्यान अरबपति एलन मस्क भी मौजूद थे.
यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय के एक सूत्र ने बीबीसी को बताया कि “दोनों के बीच क़रीब आधे घंटे तक अच्छी और लंबी बात हुई.”
‘एक दिन में जंग ख़त्म’ करने वाला दावा
ट्रंप के डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वियों ने उनपर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ सहानुभूति रखने का आरोप लगाया है और कहा कि यूक्रेन जंग को लेकर उनका नज़रिया आत्मसमर्पण जैसा है, जो कि पूरे यूरोप को ख़तरे में डालेगा.
अपने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप लगातार कहते रहे हैं कि वो रूस और यूक्रेन के बीच जंग को “एक दिन में” ख़त्म करा सकते हैं, लेकिन इसके बारे में उन्होंने कभी भी विस्तृत जानकारी नहीं दी.
मई में उनके दो पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने एक पेपर लिखा था, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका को यूक्रेन के लिए हथियारों की सप्लाई करना जारी रखना चाहिए, लेकिन इस मदद के लिए यूक्रेन के सामने शर्त रखनी चाहिए कि वो रूस के साथ शांति वार्ता करे.
इसमें लिखा गया था कि यूक्रेन को रूस के कब्ज़े वाले अपने सभी इलाक़ों को पाने की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, बल्कि उसे मौजूदा सीमा के आधार पर वार्ता करनी चाहिए.
इस हफ़्ते की शुरुआत में पुतिन ने चुनावी जीत पर ट्रंप को बधाई दी थी और यूक्रेन जंग का अंत कराने में मदद करने के ट्रंप के दावे को “कम से कम ध्यान देने योग्य” बताया था.
ब्रायन लांज़ा के बयान पर टीम ट्रंप की प्रतिक्रिया
नए प्रशासन की तैयारी करने वाली ट्रंप की ट्रांज़िशन टीम के प्रवक्ता ने कहा कि “लांज़ा चुनाव प्रचार अभियान के लिए कांट्रैक्टर थे, लेकिन वो राष्ट्रपति ट्रंप के लिए काम नहीं करते और न ही उनकी तरफ़ से बोल सकते हैं.”
उम्मीद की जा रही है कि अगले साल राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण करने के बाद ट्रंप अपने क़रीबी दायरे में शांति को लेकर बातचीत चला सकते हैं.
लांज़ा की बाइडन प्रशासन की आलोचना
लांज़ा ने यूक्रेन को मदद देने के लिए बाइडन-हैरिस प्रशासन और यूरोपीय देशों की भी आलोचना की है. फ़रवरी 2022 में रूस के आक्रमण के साथ ही अमेरिका सरकार ने यूक्रेन को मदद देना शुरू कर दिया था.
उन्होंने कहा, “ज़मीनी हालात ये है कि यूरोपीय देश और राष्ट्रपति बाइडन ने यूक्रेन को शुरू में ही यह युद्ध जीतने के लिए हथियार नहीं दिए और यूक्रेन की जीत के लिए प्रतिबंधों को हटाने में वो नाकाम रहे.”
इसी साल की शुरुआत में, अमेरिकी हाउस ऑफ़ रिप्रजेंटेटिव्स ने यूक्रेन को 61 अरब डॉलर की सैन्य सहायता पैकेज को मंज़ूरी दी थी.
अमेरिका यूक्रेन का सबसे बड़ा हथियारों का सप्लायर है. एक जर्मन रिसर्च संगठन कीएल इंस्टीट्यूट फ़ॉर वर्ल्ड इकोनॉमी के अनसार, अमेरिका ने फ़रवरी 2022 से लेकर जून 2024 के बीच 55.5 अरब डॉलर के हथियार और उपकरण भेजे हैं.
यूरोपीय संघ ने क्या कहा?
ब्रायन लांज़ा के बयान से शुरू हुई बहस के बीच यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने यूक्रेन को समर्थन देना जारी रखने की बात कही है.
अमेरिकी चुनाव के नतीजे आने के बाद पहली बार कीएव पहुंचे जोसेप बोरेल ने कहा कि कोई नहीं जानता था कि नए राष्ट्रपति क्या करेंगे और इसीलिए अधिक सैन्य मदद दिए जाने की ज़रूरत है.
बोरेल के साथ प्रेस कांफ़्रेंस में मौजूद यूक्रेन के विदेश मंत्री एंद्रिये सिबिहा ने कहा कि यूक्रेन डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के साथ काम करने को तैयार है और उनके साथ मुलाक़ात की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.
वहीं एस्टोनिया के प्रधानमंत्री क्रिस्टन माइकल ने बीबीसी को बताया कि अगर इस संघर्ष में यूक्रेन झुका तो “रूस की भूख और बढ़ेगी.”
उन्होंने संडे विद लॉरा क्वेसनबर्ग से कहा, “सवाल शायद यह है कि अगर आप छोड़ना शुरू करते हैं, तो आपको और बहुत कुछ छोड़ने के लिए तैयार रहना होगा.”
उन्होंने कहा, “रूस के लिये ये बहुत साफ़ है कि अगर आप एक लक्ष्मण रेखा खींचते हैं और इसे बनाए रखने के लिए ताकत का इस्तेमाल करते हैं, तो वे भी यही करेंगे. लेकिन विनम्रता दिखाने से नहीं, योजना यह नहीं है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित