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रेल टिकटों को लेकर हो रही धोखाधड़ी से सुप्रीम कोर्ट चिंतित, कहा- इससे अर्थव्यवस्था पर हो रहा जबरदस्त प्रभाव

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Jan 10, 2025


सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि रेलवे हमारे देश के बुनियादी ढांचे का एक आधार है और टिकटिंग प्रणाली की शुचिता से खिलवाड़ करने के किसी भी प्रयास को हरहाल में रोका जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि भारतीय रेलवे हमारे देश के बुनियादी ढांचे का आधार है। यह सालाना लगभग 673 करोड़ यात्रियों को गंतव्य तक ले जाता है और देश की अर्थव्यवस्था में इसका जबरदस्त प्रभाव है।

 पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि भारतीय रेलवे हमारे देश के बुनियादी ढांचे का एक आधार है और टिकटिंग प्रणाली की शुचिता से खिलवाड़ करने के किसी भी प्रयास को हरहाल में रोका जाना चाहिए। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ रेलवे टिकटिंग में धोखाधड़ी के आरोपित दो व्यक्तियों की दो अलग-अलग अपीलों पर सुनवाई कर रही थी।

रेलवे हमारे देश के बुनियादी ढांचे का आधार

पीठ ने कहा, ”भारतीय रेलवे हमारे देश के बुनियादी ढांचे का आधार है। यह सालाना लगभग 673 करोड़ यात्रियों को गंतव्य तक ले जाता है और देश की अर्थव्यवस्था में इसका जबरदस्त प्रभाव है। टिकटिंग प्रणाली की शुचिता को बाधित करने के किसी भी प्रयास को तुरंत रोका जाना चाहिए।”यह अपील रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 143 की व्याख्या को लेकर थी, जिसमें रेलवे टिकटों की खरीद और आपूर्ति के अनधिकृत कारोबार के लिए जुर्माना लगाने का प्रविधान है।

ये है पहला मामला

पहली अपील में केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें मैथ्यू के. चेरियन नामक व्यक्ति के खिलाफ अधिनियम की धारा 143 के तहत शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद कर दिया गया था। चेरियन अधिकृत एजेंट नहीं है। उस पर लाभ के लिए रेलवे टिकट खरीदने और बेचने के लिए आइआरसीटीसी पोर्टल के साथ फर्जी यूजर आइडी बनाने का आरोप था।

दूसरा मामला

दूसरी अपील में, जे रमेश ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें अधिनियम की धारा 143 के तहत उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद करने से इनकार कर दिया गया था। रमेश एक अधिकृत एजेंट है। उस पर विभिन्न ग्राहकों को कई यूजर आइडी के माध्यम से बुक किए गए ई-टिकट की आपूर्ति करने का आरोप था।

ड्रग इंस्पेक्टर किसी उत्पाद पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि केंद्र सरकार की अधिसूचना के बिना ड्रग इस्पेंक्टर किसी उत्पाद पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते। ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट, 1940 (डीएंडसी एक्ट) के तहत जनहित के मद्देनजर दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है। इसी के साथ कोर्ट ने स्थानीय अधिकारियों द्वारा इलायची के सुगंधित टिंचर की बिक्री को बिना केंद्रीय अधिसूचना के प्रतिबंधित करने का आदेश खारिज कर दिया।

मेडिकल दुकानों पर इलायची के सुगंधित टिंचर की बिक्री पर रोक

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस निर्णय के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें अपीलकर्ताओं की मेडिकल दुकानों पर इलायची के सुगंधित टिंचर की बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंधों को बरकरार रखा गया था। आगरा के कुछ मेडिकल हाल संचालकों ने दायर याचिका में तर्क दिया था कि उनके वैध व्यापार को मनमाने ढंग से प्रतिबंधित किया गया। यह व्यापार करने के उनके अधिकार का उल्लंघन करता है।

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