अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में व्यापारिक साझेदार देशों पर रेसीप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में सामने आया है कि अगर अमेरिका भारत पर ये टैरिफ लगा देता है तो कई सेक्टरों को नुकसान पहुंचने की संभावना है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत का सकल घरेलू उत्पाद भी आधा प्रतिशत घट जाएगा।
एएनआई, दिल्ली। अमेरिका अगर भारतीय निर्यात पर 20 प्रतिशत का पारस्परिक शुल्क लगाता है, तो भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आधा प्रतिशत घट जाएगा। भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि इस तरह का टैरिफ लागू होने के बाद विभिन्न सेक्टरों को नुकसान होगा और इसका प्रभाव अरबों डॉलर में हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पारस्परिक शुल्क से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने वाले होंगे और इन्हें 154.30 करोड़ डॉलर का अनुमानित नुकसान होगा। वित्तीय क्षेत्र को 142.60 करोड़ डालर का नुकसान हो सकता है।
कई सेक्टरों पर पड़ेगा प्रभाव
रसायन और रासायनिक उत्पादों को 110.60 करोड़ डॉलर, वस्त्र और वस्त्र उत्पाद सेक्टर को 107.60 करोड़ डॉलर का नुकसान हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के पारस्परिक शुल्क लगाने से भारत के निर्यात संचालित सेक्टरों पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा।
भारत और अमेरिका ने टैरिफ विवादों को सुलझाने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए कई दौर की चर्चाएं की हैं। यह आकलन उन कमजोरियों की याद दिलाता है, जो व्यापार प्रतिबंध की बात करते हैं। यह निर्यात पर निर्भर रहने वाली उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए झटका होगा।
अमेरिका के सामानों पर टैरिफ ज्यादा
भारत और अमेरिका दोनों ने पिछले कुछ सालों के दौरान अपनी शुल्क संरचनाओं को समायोजित किया है। पिछले कुछ सालों को देखें तो भारतीय निर्यात पर अमेरिकी शुल्क अपेक्षाकृत स्थिर रहे हैं, जबकि भारत ने अमेरिका से आने वाले सामान पर शुल्क को बढ़ाया है।
रुपये को लेकर आई रिपोर्ट
- वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट के अनुसार, निकट भविष्य में भारतीय मुद्रा के 86.5 से 87.5 प्रति डॉलर के बीच कारोबार करने की उम्मीद है। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि घरेलू नकदी की समस्या को देखते हुए विदेशी मुद्रा बाजार में आरबीआई के हस्तक्षेप करने की संभावना बहुत कम है।
- वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच, छह फरवरी, 2025 को भारतीय रुपया 87.58 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। हालांकि, पिछले सप्ताह कुछ वैश्विक चिंताओं के कम होने से भारतीय मुद्रा की स्थिति में सुधार हुआ है।
- दरअसल, अमेरिकी चुनावों के बाद रुपये पर दबाव बनना शुरू हुआ, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पारस्परिक शुल्क लगाने के एलान से डॉलर मजबूत हुआ है। इससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई, जिसका सीधा असर उभरते बाजारों की मुद्राओं पर पड़ा। इसमें रुपया भी शामिल है।
डॉलर की स्थिति पर निर्भर रुपया
रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये की चाल काफी हद तक डॉलर की स्थिति पर निर्भर करेगी। रिपोर्ट में इस बात की चेतावनी दी गई है कि टैरिफ में किसी भी तरह की वृद्धि या फेडरल रिजर्व के नीतिगत रुख में बदलाव एक बार फिर रुपये पर दबाव डाल सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियों के अलावा, घरेलू इक्विटी में लगातार कमजोरी के साथ निराशाजनक परिदृश्य भी रुपये पर दबाव डाल रहा है। इस बात की भी उम्मीद है कि आरबीआई मुद्रा और स्वतंत्र रूप से गिरने के लिए खुला छोड़ दे, क्योंकि घरेलू स्तर पर नकदी की स्थिति कमजोर है।यह भी पढ़ें: सुस्त पड़ रही भारत की रफ्तार! चार साल के निचले स्तर पर आ सकती है GDP ग्रोथ
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