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राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य अपने बयानों के कारण चर्चा में हैं.
बीते शुक्रवार को आए विधानसभा चुनाव परिणामों में आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को बड़ी हार मिली. आरजेडी सिर्फ़ 25 सीटें ही जीत पाई जबकि महागठबंधन का खाता 34 सीटों पर ही सिमट गया.
वहीं एनडीए ने 202 सीटों पर विजय हासिल की. बीजेपी को अकेले 89 सीटें मिलीं, जबकि जेडीयू के खाते में 85 सीटें आई हैं.
इन सबके बीच लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के बयान ने उनके परिवार में नया विवाद खड़ा कर दिया है.
रोहिणी आचार्य ने अपने परिवार से नाता तोड़ने और राजनीति छोड़ने का एलान किया है.
ये वही रोहिणी आचार्य हैं, जिन्होंने लालू प्रसाद यादव को अपनी एक किडनी दी थी और उन्हें देशभर में काफ़ी सुर्ख़ियाँ मिली थीं.
अब रोहिणी आचार्य ने यहाँ तक कह दिया है कि उनका कोई परिवार नहीं है.
उन्होंने मीडिया के सामने बयान दिया , “मेरा कोई परिवार नहीं है. अब ये जाकर आप संजय, रमीज़, तेजस्वी यादव से पूछिए. उन्हीं लोगों ने मुझे परिवार से निकाला है क्योंकि उन्हें ज़िम्मेदारी लेनी नहीं है. पूरा देश, पूरी दुनिया सवाल कर रही है कि पार्टी का ऐसा हाल क्यों हुआ.”
रोहिणी ने तेजस्वी के अलावा जिन दो लोगों का ज़िक्र किया, उनमें से एक नाम रमीज़ का था जबकि दूसरा नाम आरजेडी के राज्यसभा सदस्य संजय यादव का था, जिन्हें तेजस्वी यादव का ‘राजनीतिक रणनीतिकार’ माना जाता है.
इस बयान के बाद अचानक ही सबकी नज़र जिस व्यक्ति पर जाकर टिक गई हैं, वो हैं रमीज़ ख़ान क्योंकि संजय यादव के बारे में काफ़ी जानकारियां मौजूद हैं.
कौन हैं रमीज़?
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रमीज़ ख़ान प्रथम श्रेणी के क्रिकेटर रहे हैं और उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले में तुलसीपुर के रहने वाले हैं.
लखनऊ से लगभग 250 किलोमीटर दूर तुलसीपुर नेपाल से सटा हुआ क़स्बा है.
ईएसपीएन के मुताबिक़ रमीज़ 39 साल के हैं. उन्होंने प्रथम श्रेणी के 30 मैच खेले हैं और 1487 रन बनाए हैं.
रमीज़ की राजनीतिक और व्यक्तिगत पृष्ठभूमि ने इस विवाद को और दिलचस्प बना दिया है.
वह बलरामपुर के चर्चित नेता रिज़वान ज़हीर के दामाद हैं, जो इस समय हत्या के एक मामले में जेल में बंद हैं.
रमीज़ और उनकी पत्नी ज़ेबा रिज़वान भी इस मामले में अभियुक्त हैं. दोनों को साल 2022 में गिरफ़्तार किया गया था.
तुलसीपुर के सर्किल ऑफ़िसर जितेंद्र कुमार ने बीबीसी को बताया, “इन लोगों पर गैंगस्टर एक्ट के अलावा कई केस हैं, लेकिन रमीज़ और उनकी पत्नी अभी ज़मानत पर हैं.”
रमीज़ की पत्नी ज़ेबा रिज़वान से बीबीसी न्यूज़ हिन्दी ने कई बार फ़ोन पर संपर्क करने की कोशिशें कीं लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई है.
क्रिकेट से शुरू हुई दोस्ती राजनीति तक पहुँची
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आरजेडी के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि तेजस्वी की टीम में रमीज़ की रणनीतिक भूमिका को देखते हुए कुछ नेता उन्हें ‘शैडो स्ट्रैटेजिस्ट’ के रूप में देखने लगे थे.
उनका कहना है कि लगातार विवादों में घिरे रहने के कारण उनकी मौजूदगी पार्टी की छवि के लिए चुनौती बनती जा रही है.
तेजस्वी और रमीज़ की दोस्ती क्रिकेट के मैदान से शुरू हुई थी.
तेजस्वी और रमीज़ ने दिल्ली और झारखंड में फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट खेला है.
साल 2008-09 में रमीज़ ने झारखंड की अंडर-22 टीम की कप्तानी भी की थी.
यही दोस्ती आगे चलकर राजनीतिक रिश्तों में बदल गई.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार रमीज़ चुपचाप लेकिन बेहद प्रभावी तरीक़े से तेजस्वी यादव के लिए काम करते रहे.
उन्होंने तेजस्वी के निजी सोशल मीडिया प्रबंधन से लेकर कुछ महत्वपूर्ण चुनावी रणनीति टीमों तक में भागीदारी निभाई.
रमीज़ आमतौर पर पर्दे के पीछे रहने वाले व्यक्ति माने जाते हैं, लेकिन उनका प्रभाव लगातार बढ़ रहा था.
बीबीसी न्यूज़ हिन्दी की पटना संवाददाता सीटू तिवारी के मुताबिक़ ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि रमीज़ ने साल 2016 में आरजेडी की सदस्यता ली थी. हालाँकि पटना स्थित आरजेडी कार्यालय ने इसकी पुष्टि बीबीसी से नहीं की है.
तेजस्वी के क़रीबी लोगों में से एक रमीज़, तेजस्वी की रोज़मर्रा की गतिविधियों की ज़िम्मेदारी संभालते हैं.
संजय यादव के राज्यसभा सदस्य बनने के बाद तेजस्वी के पीएस की अनौपचारिक तौर पर ज़िम्मेदारी रमीज़ भी संभालते हैं.
साल 2024 में लोकसभा चुनाव और हाल ही में बिहार अधिकार यात्रा के दौरान भी रमीज़ तेजस्वी की सोशल मीडिया ज़िम्मेदारी संभालते थे.
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यूपी के बलरामपुर से रिश्ता
रमीज़ ख़ान का जन्म साल 1986 में बलरामपुर ज़िले के तुलसीपुर क्षेत्र में हुआ था.
हालाँकि वे बचपन में ही दिल्ली आ गए थे. उनकी स्कूली शिक्षा एक प्राइवेट स्कूल में हुई और आगे की पढ़ाई उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पूरी की.
उनके पिता जामिया से जुड़े रहे हैं और परिवार दिल्ली में ही रहता है.
रमीज़ की शादी ज़ेबा रिज़वान से हुई है. ज़ेबा के पिता रिज़वान ज़हीर क्षेत्र के प्रभावशाली नेता रहे हैं और तीन बार विधायक के साथ-साथ दो बार सांसद रहे हैं.
रिज़वान ज़हीर शुरुआत में निर्दलीय विधायक चुने गए थे. बाद में वह समाजवादी पार्टी में शामिल हुए, फिर बीएसपी में गए, कुछ समय कांग्रेस में रहे और फिर समाजवादी पार्टी में लौट आए.
साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में रमीज़ की पत्नी ज़ेबा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह दूसरे स्थान पर रहीं. बीजेपी के उम्मीदवार जीते और समाजवादी पार्टी तीसरे स्थान पर रही.

विवादों में रमीज़
रोहिणी आचार्य के आरोपों से पहले भी रमीज़ का विवादों से रिश्ता रहा है.
रमीज़ का राजनीतिक करियर विवादों से प्रभावित रहा है. पुलिस के मुताबिक़, साल 2021 के ज़िला पंचायत चुनावों में उन पर मारपीट का आरोप लगा था.
साल 2022 में रमीज़, उनकी पत्नी ज़ेबा, ससुर रिज़वान ज़हीर और तीन अन्य लोगों को नगर पंचायत तुलसीपुर के पूर्व अध्यक्ष फ़िरोज़ अहमद पप्पू की हत्या की साज़िश के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
हालाँकि रमीज़ और उनकी पत्नी को ज़मानत मिल गई है, लेकिन मामला अब भी अदालत में लंबित है.
फ़िरोज़ अहमद पप्पू के भाई नावेद ख़ान ने बीबीसी न्यूज़ हिन्दी से कहा, “मेरे भाई की हत्या में रमीज़, उनकी पत्नी और रिज़वान ज़हीर नामजद अभियुक्त हैं. राजनीतिक कारणों से मेरे भाई की हत्या हुई थी.”
फ़िरोज़ अहमद पप्पू नगर पंचायत तुलसीपुर के पूर्व चेयरमैन थे. वह पहले निर्दलीय जीते थे और उनकी हत्या के समय उनकी पत्नी चेयरमैन थीं.
नावेद ख़ान ने कहा, “मेरे भाई की लोकप्रियता बढ़ रही थी, इसलिए उनकी हत्या कर दी गई. हालाँकि पहले दोनों लोग साथ थे, लेकिन ज़िला पंचायत चुनाव से रंजिश बढ़ गई थी.”
तुलसीपुर के सर्किल ऑफ़िसर जितेंद्र कुमार ने कहा, “रमीज़ के ख़िलाफ़ बलरामपुर में हत्या, हत्या के प्रयास और गैंगस्टर एक्ट के तहत मामले दर्ज हैं.”
बलरामपुर प्रशासन की ओर से 2021 और 2022 में उन पर लगाए गए एनएसए के दोनों मामले न्यायालय ने रद्द कर दिए थे.
रिज़वान ज़हीर के क़रीबी रिश्तेदार ख़ुर्शीद अनवर का दावा है कि ये सारे मुक़दमे फ़र्ज़ी हैं.
उन्होंने कहा, “उन्हें राजनीतिक कारणों से फँसाया गया था. मामला अदालत में चल रहा है और हमें न्यायपालिका पर भरोसा है.”
रमीज़ पर रोहिणी के आरोप पर उन्होंने कहा, “यह लालू यादव का पारिवारिक मामला है, इस पर बोलना उचित नहीं है.”

ज़ेबा रिज़वान और परिवार का राजनीतिक सफ़र
रमीज़ के ससुर रिज़वान ज़हीर का राजनीतिक सफ़र भी विवादों से भरा रहा है.
उन पर कुल 20 मामले दर्ज थे, जिनमें से 12 में वह बरी हो चुके हैं.
उन्होंने 1998 और 1999 में सपा के टिकट पर बलरामपुर से सांसद के रूप में जीत हासिल की थी.
वह 1989, 1993 और 1996 में तुलसीपुर से विधायक भी रहे हैं.
2004 में उन्होंने बसपा से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.