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बुधवार रात क़रीब साढ़े दस बजे लखनऊ के वज़ीरगंज थाना क्षेत्र में चेकिंग कर रहे एसएचओ राकेश त्रिपाठी को अंदाज़ा नहीं था कि वो एक फ़र्ज़ी आईएएस अधिकारी को पकड़ लेंगे.
ये रूटीन चेकिंग थी. राकेश त्रिपाठी ने एक फॉर्च्यूनर कार को रोका तो पिछली सीट पर बैठे एक युवा ने अपना विज़िटिंग कार्ड बढ़ा दिया.
इस पर लिखा था- डायरेक्टर आईटी, गृह मंत्रालय भारत सरकार.
राकेश त्रिपाठी बताते हैं, ”कार रोकने पर पीछे बैठे व्यक्ति ने भौकाल दिखाते हुए कहा कि जानते नहीं हो तुमने किसकी गाड़ी रोकी है और तुरंत विज़िटिंग कार्ड थमा दिया. इस पर अशोक की लाट भी बनी थी.”
आगे पुलिस पूछताछ हुई तो पता चला कि सिर्फ़ विज़िटिंग कार्ड ही नहीं पहचान पत्र और कई अन्य दस्तावेज़ भी फ़र्ज़ी थे.
अब सौरभ त्रिपाठी नाम का ये युवा गिरफ़्तार है और पुलिस उनसे जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है.
सौरभ त्रिपाठी फिलहाल जेल में हैं. इस रिपोर्ट के लिए उनका या उनसे जुड़े लोगों का पक्ष नहीं मिल सका.
कई महंगी गाड़ियां बरामद
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लखनऊ के डीसीपी (क्राइम) कमलेश कुमार दीक्षित ने बीबीसी को बताया, “सौरभ त्रिपाठी नाम के एक संदिग्ध युवक को गिरफ़्तार किया गया है जो कई सालों से आईएएस बनकर सचिवालयों और अन्य दफ़्तरों में आ-जा रहा था.”
डीसीपी कमलेश कुमार ने बताया, “अभी तक की जांच में पता चला है कि इस व्यक्ति ने कुछ साल पहले बिहार सरकार के साथ काम किया था और इसके पास सरकारी डोमेन डॉट एनआईसी की ईमेल आईडी भी थी जिसका ये दुरुपयोग कर रहा था.”
पुलिस ने इस युवक के पते से डिफेंडर, फॉर्च्यूनर, मर्सडीज और इनोवा जैसी छह महंगी गाड़ियां भी बरामद की हैं.
हालांकि, पुलिस को अभी ये पता नहीं चला है कि जो गाड़ियां बरामद की गई हैं उनके असली मालिक सौरभ त्रिपाठी ही हैं या कोई और है.
जांच अधिकारी राकेश त्रिपाठी कहते हैं, “जो गाड़ियां बरामद की गई हैं ये अलग-अलग मालिकों के नाम पर दर्ज हैं. ये सौरभ को कैसे मिली हैं इसका पता लगाया जा रहा है.”
पुलिस ने कई विभागों की फ़र्ज़ी मुहरें, दस्तावेज़, लेटरहेड और सचिवालयों के फ़र्ज़ी पास भी बरामद किए हैं.
पुलिस जांच में ये भी पता चला है कि इस फ़र्ज़ी आईएएस के पास उच्च सुरक्षा वाले इलाक़ों में आने-जाने के सुरक्षा पास भी थे.
अति आत्मविश्वास और धौंस
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सौरभ त्रिपाठी को गिरफ़्तार करने वाले पुलिस अधिकारी राकेश त्रिपाठी बताते हैं कि जब उनकी गाड़ी को रोका गया था तो वो आत्मविश्वास से भरे थे और लगातार धौंस दे रहे थे.
पुलिस ने शुक्रवार को एक और व्यक्ति को भी गिरफ़्तार किया है जो सौरभ त्रिपाठी के निजी सचिव के रूप में काम कर रहा था.
पुलिस जांच में ये भी पता चला है कि प्रभाव का इस्तेमाल कर सौरभ त्रिपाठी कई कार्यक्रमों में अतिथि के रूप में शामिल होते थे और अवार्ड भी बांटते थे.
राकेश त्रिपाठी बताते हैं, “जब उन्हें रोका गया तो उन्होंने ख़ुद को संयुक्त सचिव स्तर का आईएएस अधिकारी और केंद्रीय गृह मंत्रालय में कार्यरत बताया.”
राकेश त्रिपाठी बताते हैं, “मैंने विज़िटिंग कार्ड लेकर उस पर दिए गए ब्योरे को इंटरनेट पर चेक किया तो कुछ नहीं मिला, मुझे संदेह हुआ. जब उनसे कुछ देर रुकने के लिए कहा गया तो वो भड़क गए और कई शीर्ष अधिकारियों के नाम लेते हुए अंजाम भुगतने की धमकी दी.”
पुलिस के मुताबिक़ अभियुक्त के साथ मौजूद ड्राइवर को भी बस इतना ही पता था कि वो ‘बड़े आदमी हैं और आईएएस अधिकारी’ हैं.
डीसीपी कमलेश दीक्षित ने बताया, “सौरभ त्रिपाठी ने अपने साथ रहने वाले लोगों से भी अपनी पूरी पहचान छुपाई थी. अभी तक की जांच में पता चला है कि वो बिहार, यूपी और उत्तराखंड में सक्रिय थे. उनके नेटवर्क में कौन-कौन हैं इसकी तलाश की जा रही है.”
सरकारी ईमेल से लेते थे प्रोटोकॉल
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पुलिस ने शुक्रवार को एक और शख़्स को गिरफ़्तार किया जो उनके ‘ओएसडी’ के तौर पर काम करता था. वो डॉट एनआईसी डोमेन से ईमेल करके सौरभ त्रिपाठी को शीर्ष अधिकारी बताते हुए अलग-अलग ज़िलों में यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल यानी सुरक्षा लिया करते थे.
पुलिस को जांच के दौरान कई चौंकाने वाली जानकारियां भी मिली हैं. जांच अधिकारी के मुताबिक़, सौरभ त्रिपाठी जब किसी सरकारी कार्यालय में जाते थे तो फॉर्च्यूनर और इनोवा जैसी गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे और जब किसी क़ारोबारी से मिलते थे मर्सडीज़ कार का इस्तेमाल करते थे.
राकेश त्रिपाठी बताते हैं, “जब सौरभ को वज़ीरगंज थाने लाया गया तब भी उन्होंने कुछ देर धौंस जमाई लेकिन जब उन्हें अहसास हुआ कि उनका सच सामने आ गया है तो वो शहर छोड़ने का वादा करते हुए छोड़ देने की गुहार लगाते रहे.”
पुलिस मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मऊ ज़िले के रहने वाले 35 वर्षीय सौरभ त्रिपाठी के बारे में और जानकारियां जुटाने की कोशिश कर रही है.
जांच अधिकारी के मुताबिक़, शुरू में उन्होंने अपना पता भी ग़लत बताया था. जब उन्हें रोका गया तो वो सफ़ेद शर्ट, नीली पैंट और काले जूते पहने हुए थे और किसी पेशेवर अधिकारी की तरह व्यवहार कर रहे थे.
राकेश त्रिपाठी कहते हैं, “उन्होंने ख़ुद को संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी बताया था लेकिन उनकी उम्र कम लग रही थी, इसी से मुझे संदेह हुआ और आगे पूछताछ में पूरा सच सामने आ गया.”
सौरभ त्रिपाठी अपने साथ पुलिस वर्दी में निजी सुरक्षाकर्मी भी रखते थे. अब पुलिस ये जांच भी कर रही है कि उन्होंने ये वर्दी कहां से ली.
कैसे करते थे ठगी?
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इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी के मुताबिक़, सौरभ त्रिपाठी जब यूपी से बाहर जाते तो अपने आप को यूपी कैडर का शीर्ष अधिकारी बताते और जब वो यूपी में होते तो ख़ुद को केंद्र सरकार में तैनात अधिकारी बताते.
जांच अधिकारी के मुताबिक़, “सौरभ प्रभाव का इस्तेमाल करके लोगों का भरोसा जीतते. वो लोगों को ये बताते कि उन्हें जल्द ही यूपी में शीर्ष स्तर पर तैनाती मिलने जा रही है. अभी तक उन्होंने कितने लोगों को ठगा है ये पता नहीं चल सका है. इसकी जांच की जा रही है.”
पुलिस ने सौरभ त्रिपाठी का सोशल मीडिया अकाउंट भी खंगाला है. एसएचओ राकेश त्रिपाठी के मुताबिक़, “वह शीर्ष नेताओं, अधिकारियों और धर्म गुरुओं के साथ ली गईं तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करते ताक़ि लोगों को लगे कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं.”
सौरभ त्रिपाठी ने किराए पर महंगे घर भी ले रखे थे ताक़ि उनसे मिलने आने वाले लोगों को उनकी कहानी सच लगे.
राकेश त्रिपाठी के मुताबिक़, “उनका एक घर मऊ में है, नोएडा में गरिमा विहार में एक किराए का घर है और लखनऊ के गोमती नगर एक्सटेंशन में भी एक किराये का घर है. उन्होंने ये बड़े घर किराए पर लिए ताकि अपना प्रभाव दिखाया जा सके.”
डीसीपी कमलेश दीक्षित के मुताबिक़ सौरभ त्रिपाठी ने कंप्यूटर की पढ़ाई की है और वो आईटी क्षेत्र से जुड़े थे.
पहले भी पकड़े जा चुके हैं कई ठग
ये पहली बार नहीं है जब ख़ुद को शीर्ष अधिकारी बताने वाले किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया हो.
हाल ही में, उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में पुलिस ने हर्षवर्धन जैन को गिरफ़्तार किया था जिन्होंने कई काल्पनिक देशों के दूतावास खोल रखे थे. उनके पास भी महंगी गाड़ियां और दुनिया के कई शीर्ष नेताओं के साथ फ़र्ज़ी तस्वीरें मिलीं थीं.
पिछले सप्ताह ही राजस्थान के धौलपुर में पुलिस ने सड़क पर चेकिंग के दौरान पुलिस की वर्दी पहने और ख़ुद को आईपीएस बताने वाले सुप्रियो बनर्जी को गिरफ़्तार किया. उनकी गाड़ी पर नीली बत्ती भी लगी थी.
पिछले महीने गुरुग्राम में फ़र्ज़ी आईएएस अधिकारी जय प्रकाश पाठक को गिरफ़्तार किया गया था. उन्होंने भी ख़ुद को गृह मंत्रालय में कार्यरत आईएएस अधिकारी बताया था.
पुलिस जांच में पता चला वो नौकरियों और तबादले का झांसा देकर लोगों को ठग रहे थे. जय प्रकाश पाठक को इसी तरह के आरोप में इससे पहले यूपी में भी गिरफ़्तार किया जा चुका था.
अगस्त में ही ओडिशा के अंगुल में पुलिस ने ख़ुद को आईपीएस बताने वाले बिरंची नायक को गिरफ़्तार किया. नायक भी नौकरी दिलवाने के नाम पर ठगी कर रहे थे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित