बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले, चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के सत्यापन का फैसला लिया है। इस प्रक्रिया में, अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों और दोहरे मतदाताओं को हटाने का लक्ष्य है।
बिहार में कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले इलेक्शन कमिशन ने घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन करने का फैसला लिया है। इस दौरान सभी मतदाताओं से पहले से भरे हुए आयोग के गणना फॉर्म जमा कराए जाएंगे। हर मतदाता को घोषणा करनी होगी कि उसकी आयु 18 साल या ज्यादा है। उसे अपने संसदीय या विधानसभा सीट का सामान्य निवासी होने का भी ऐलान करना होगा। इसके लिए मतदाता को जन्म प्रमाणपत्र समेत आयोग की ओर से तय 11 दस्तावेज देने होंगे और नागरिकता प्रमाणित करनी होगी। आयोग जमा किए गए दस्तावेजों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा, ताकि किसी को ऐतराज हो तो वह आयोग के समक्ष विरोध दर्ज करा सके।
घुसपैठिए होंगे बाहर: बिहार की मतदाता सूची की ऐसी जांच चुनाव आयोग ने 21 साल पहले की थी। मौजूदा जांच का मकसद अवैध बांग्लादेशियों और दूसरे विदेशी घुसपैठियों के साथ ही उन वोटर्स के नाम लिस्ट से हटाना है, जो दो बार दर्ज हैं। राज्य के सीमांचल इलाके में पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज जिले आते हैं। माना जाता है कि इन जिलों में अवैध बांग्लादेशियों की संख्या ज्यादा है। वे यहां के वोटर भी बन चुके हैं। इन दिनों अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के भारत में बसने, आधार कार्ड और राशन कार्ड बनवाने के साथ ही वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने के कई मामले सामने आए हैं।
अवैध वोटर: बिहार के दूसरे इलाकों में भी स्थानीय जनसंख्या में घुलमिल चुके अवैध बांग्लादेशियों के वोटर बनने की खबरें हैं। CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए हिंसक आंदोलनों में जो नाम सामने आए, उनमें बड़ी संख्या बांग्लादेशी घुसपैठियों की रही। चुनाव आयोग की गहन जांच में इनके नाम मतदाता सूची से बाहर होने की संभावना है। माना जा रहा है कि इसका नुकसान BJP विरोधी दलों को होगा।
दोहरी नागरिकता : नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में कई वोटर्स के पास दोहरी नागरिकता है। वे नेपाल और भारत, दोनों देशों के नागरिक और वोटर हैं। इनमें से कई की खेती-बाड़ी, रोजगार और कारोबार दोनों ओर हैं। सीमावर्ती जिलों में दोहरी नागरिकता ही बड़ी समस्या नहीं है, फर्जी नागरिकता और फर्जी दस्तावेजों के जरिए मतदाता सूची में शामिल होने का खेल भी बड़ा है। इससे एक बड़ा स्थानीय वर्ग नाराज है। इन लोगों को चुनाव आयोग का यह फैसला पसंद आया है। लोग चाहते हैं कि असली मतदाता को उसका अधिकार मिल सके और फर्जी वोटर का नाम बाहर हो।
बाहर रहने वालों पर असर: चुनाव आयोग की इस जांच प्रक्रिया के दायरे में राज्य के अप्रवासी निवासी भी आने वाले हैं। सरकारी अनुमानों के मुताबिक, बिहार के ढाई से तीन करोड़ निवासी पढ़ाई, रोजगार या दूसरे कारणों से राज्य से बाहर हैं। आयोग लंबे समय से राज्य से बाहर रह रहे उन निवासियों का नाम वोटर लिस्ट से हटाने जा रहा है, जिनका नाम उनकी रहने वाली जगह पर भी मतदाता सूची में दर्ज है। सभी दलों के पास ऐसे वोटर्स का समर्थन है। हाल ही में कई दलों ने इन प्रवासी मतदाताओं को साधने के लिए कार्यक्रमों की भी योजना बनाई थी। चुनाव आयोग के अभियान का असर सभी दलों पर पड़ेगा।
राहुल के आरोप: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कुछ बूथों पर मतदाताओं की संख्या 20% से 50% तक बढ़ गई। महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इन आरोपों का बिल्कुल सही जवाब दिया कि जिन इलाकों में वोटर बढ़े, उनमें से कई जगह कांग्रेस और उसके सहयोगियों को भी जीत मिली है। हालांकि राहुल गांधी के आरोपों से तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव भी सहमत हैं। चुनाव आयोग के हालिया फैसलों का असर सबसे ज्यादा उन वोटरों पर पड़ सकता है, जिनकी पहचान इन दलों के परंपरागत समर्थकों के रूप में होती है। मतदाता सूची से नाम हटने का खामियाजा सीधे तौर पर इन्हीं दलों को उठाना पड़ेगा।
आम लोगों का समर्थन: हालांकि, आयोग के इस कदम से एक तरफ जहां अवैध घुसपैठ पर लगाम लगेगी, वहीं उन इलाकों में रहने वाले लोगों को राहत भी मिलेगी, जो वर्षों से जनसंख्या दबाव और पहचान के संकट से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि आम लोग चुनाव आयोग की सख्ती का समर्थन कर रहे हैं। इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण आवाज यह भी उठ रही है कि ग्रामीण क्षेत्रों के उन नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करने की प्रक्रिया आसान और पारदर्शी बनाई जाए जो सही हैं, लेकिन जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं।
दूसरे राज्यों में भी अभियान: अगर आयोग का यह अभियान पूरी मुस्तैदी से लागू होता है, तो सबसे पहले इसका असर बिहार की राजनीति पर दिखेगा। इसके बाद देशभर की राजनीति की दिशा बदल सकती है। चुनाव आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि बिहार के बाद ऐसा ही अभियान अन्य राज्यों में भी चलाया जाएगा।