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‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने के मौक़े पर सोमवार को लोकसभा में इस पर चर्चा की शुरुआत हुई. इस चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से हुई.
पीएम मोदी ने इस दौरान कई दावे किए. उन्होंने इस चर्चा के दौरान महात्मा गांधी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना का ज़िक्र किया.
पीएम मोदी ने सवाल किया कि जब बापू को ‘वंदे मातरम नेशनल एंथम के रूप में दिखता था तो इसके साथ अन्याय क्यों हुआ?’
साथ ही उन्होंने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने वंदे मातरम के ख़िलाफ़ सवाला उठाया था और जवाहरलाल नेहरू ने ‘वंदे मातरम की जांच शुरू की थी.’
वहीं विपक्ष ने स्वतंत्रता आंदोलन में आरएसएस की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ही ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया था.
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इस मुद्दे पर चर्चा को लेकर कहा कि ‘देश का ध्यान ज़रूरी मुद्दों से भटकाने के लिए सदन में बहस की जा रही है.’
पीएम मोदी ने लोकसभा में क्या-क्या कहा?

लोकसभा में चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि उन परिस्थितियों को भी नई पीढ़ियों को बताने का उनका दायित्व है जिनकी वजह से वंदे मातरम के साथ विश्वासघात किया गया.
पीएम मोदी ने कहा, “वंदे मातरम को लेकर मुस्लिम लीग की विरोध की राजनीति तेज़ होती जा रही थी. मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्तूबर 1937 को वंदे मातरम के ख़िलाफ़ नारा बुलंद किया. कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा, बजाय इसके कि मुस्लिम लीग के आधारहीन दावों को वो करारा जवाब देते, इसके उलट उन्होंने वंदे मातरम की ही पड़ताल शुरू कर दी.”
“जिन्ना के विरोध के पांच दिन के बाद ही 20 अक्तूबर को नेहरू जी ने नेताजी सुभाष बाबू को चिट्ठी लिखी. उस चिट्ठी में जिन्ना की भावना से नेहरू जी अपनी सहमति जताते हुए कहते हैं कि वंदे मातरम की आनंद मठ वाली पृष्ठभूमि मुसलमानों को उत्तेजित कर सकती है. मैं नेहरू जी का वक्तव्य पढ़ता हूं. नेहरू जी कहते हैं- ‘मैंने वंदे मातरम गीत का बैकग्राउंड पढ़ा है.’ नेहरू जी फिर लिखते हैं- ‘मुझे लगता है कि यह जो बैकग्राउंड है उससे मुस्लिम भड़केंगे’.”
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पीएम मोदी ने कहा, “इसके बाद कांग्रेस की तरफ़ से बयान आया कि 26 अक्तूबर को कांग्रेस कार्य समिति की एक बैठक कोलकाता में होगी जिसमें वंदे मातरम के उपयोग की समीक्षा की जाएगी. पूरा देश हतप्रभ था. पूरे देश में देशभक्तों ने देश के कोने-कोने में प्रभात फेरियां निकालीं.”
“लेकिन देश का दुर्भाग्य की 26 अक्तूबर को कांग्रेस ने वंदे मातरम पर समझौता कर लिया. वंदे मातरम के टुकड़े कर दिए गए. उस फ़ैसले के पीछे नकाब ये पहना गया कि यह तो सामाजिक सद्भाव का काम है. लेकिन इतिहास इस बात का गवाह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक दिए और मुस्लिम लीग के दबाव में यह किया.”
पीएम मोदी ने कहा, “कांग्रेस का तुष्टिकरण की राजनीति को थामने का यह तरीक़ा था. तुष्टिकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस वंदे मातरम के बंटवारे के लिए झुकी इसलिए कांग्रेस को एक दिन भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा.”
महात्मा गांधी पर भी बोले
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पीएम मोदी ने कहा, “दक्षिण अफ़्रीका से प्रकाशित एक साप्ताहिक पत्रिका इंडियन ओपिनियन में महात्मा गांधी ने 2 दिसंबर 1905 को लिखा था- ‘गीत वंदे मातरम जिसे बंकिम चंद्र ने रचा है, पूरे बंगाल में अत्यंत लोकप्रिय हो गया है. स्वदेशी आंदोलन के दौरान बंगाल में विशाल सभाएं हुईं, जहां लाखों लोग इकट्ठा हुए और बंकिम का यह गीत गाया’.”
“गांधी जी आगे लिखते हैं- ‘यह गीत इतना लोकप्रिय हो गया है जैसे ये हमारा नेशनल एंथम बन गया है. इसकी भावनाएं महान हैं और यह अन्य राष्ट्रों के गीतों से अधिक मधुर है. इसका एकमात्र उद्देश्य हममें देशभक्ति की भावना जगाना है. यह भारत को मां के रूप में देखता है और उसकी स्तुति करता है’.”
पीएम मोदी ने आगे कहा, “जो वंदे मातरम 1905 में महात्मा गांधी को नेशनल एंथम के रूप में दिखता था, देश के हर कोने में, हर व्यक्ति के लिए वंदे मातरम की ताकत बहुत बड़ी थी. वंदे मातरम इतना महान था, जिसकी भावना इतनी महान थी तो फिर पिछली सदी में इसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हुआ, वंदे मातरम के साथ विश्वासघात क्यों हुआ? ये अन्याय क्यों हुआ?
उन्होंने कहा, “वो कौन सी ताकत थी जिसकी इच्छा खुद पूज्य बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ गई? जिसने वंदे मातरम जैसी पवित्र भावना को भी विवादों में घसीट दिया.”
इस चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने आपातकाल का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, “150 वर्ष की यह यात्रा अनेक पड़ावों से गुज़री है. वंदे मातरम के जब 50 वर्ष पूरे हुए तब देश ग़ुलामी में जीने के लिए मजबूर था. वंदे मातरम के 100 साल हुए तब देश आपातकाल की ज़ंजीरों में जकड़ा हुआ था. जब उत्तम पर्व था तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था.”
“जब वंदे मातरम 100 साल का हुआ तब देशभक्ति के लिए जीने मरने वाले लोगों को देश की सलाख़ों के पीछे बंद कर दिया गया था. जिस वंदे मातरम के गीत ने देश को आज़ादी की ऊर्जा दी, उसके जब 100 साल हुए दुर्भाग्य से एक काला कालखंड हमारे इतिहास में उजागर हो गया.”
“150 वर्ष उस महान अध्याय को उस गौरव को फिर से स्थापित करने का अवसर है. मैं मानता हूं सदन और देश को इस अवसर को जाने नहीं देना चाहिए. यही वंदे मातरम है जिसने 1947 में देश को आज़ादी दिलाई.”
विपक्ष ने पीएम मोदी के भाषण पर क्या कहा?
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पीएम मोदी के भाषण पर विपक्ष ने सदन के अंदर और बाहर जवाब दिया है.
लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने अपनी बात रखी. गौरव गोगोई ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ही वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया था.
वहीं कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस भी चर्चा में भाग लिया. उन्होंने दावा किया कि “देश का ध्यान ज़रूरी मुद्दों से भटकाने के लिए सदन में ‘वंदे मातरम’ पर बहस की जा रही है.”
उन्होंने कहा, “ये सरकार वर्तमान की असलियत छिपाना चाहती है. आज देश बेहद मुश्किल में है. ऐसे में बेरोज़गारी, महंगाई, पेपर लीक जैसे मुद्दों पर सदन में चर्चा क्यों नहीं हो रही? आरक्षण के साथ खिलवाड़ और महिलाओं की स्थिति पर सदन में चर्चा क्यों नहीं हो रही है?”
इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने कहा कि “नरेंद्र मोदी जी जितने साल से देश के प्रधानमंत्री हैं, जवाहरलाल नेहरू जी उतने साल देश के लिए जेल में रहे हैं.”
“नेहरू जी ने अगर इसरो नहीं बनाया होता, तो मंगलयान नहीं होता. डीआरडीओ नहीं बनाया होता, तो तेजस नहीं बनता. आईआईटी नहीं बनवाए होते, तो हम आईटी में आगे नहीं होते. एम्स नहीं बनवाते, तो कोरोना का सामना कैसे होता. बीएचईएल-एसएआईएल जैसे पीएसयू नहीं बनवाए होते, तो विकसित भारत कैसे बनता. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी इस देश के लिए जिए और देश की सेवा करते-करते उन्होंने दम तोड़ा.”

गौरव गोगोई ने कहा, “जिस मुस्लिम लीग ने कहा कि पूरे ‘वंदे मातरम्’ का बहिष्कार करो, उस मुस्लिम लीग को हमने संविधान सभा में करारा जवाब दिया. हमने सीधे कहा था कि हम मुस्लिम लीग की बात मानने वाले नहीं हैं और हम ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रीय गीत का दर्जा देंगे.”
“उसी संविधान सभा में यह भी कहा गया था कि ‘जन-गण-मन’ हमारा राष्ट्रगान होगा और ‘वंदे मातरम्’ हमारा राष्ट्रीय गीत होगा. हमारे इस प्रस्ताव से सहमत होने वाले लोगों में राजेंद्र प्रसाद जी, सी. राजगोपालाचारी जी, जीबी पन्त जी, मौलाना आजाद जी और रविशंकर शुक्ल जी मुख्य थे.”
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इसके साथ ही गौरव गोगोई ने कहा, “आज देश के लोग अनेक समस्या उठा रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के भाषण में वो बातें ही नहीं हैं. देश की राजधानी में बम विस्फोट हुआ, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी उसकी बात नहीं की.”
“हम ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं जयंती मना रहे हैं, लेकिन क्या हम वर्तमान के भारत को सुरक्षा दे पा हे हैं? क्या हमने दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के लोगों को सुरक्षा दी?”
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संसद परिसर के बाहर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने सवाल किया, “प्रधानमंत्री जी बस एक सवाल का जवाब दे दीजिए कि जब देश की आज़ादी की लड़ाई पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के नेतृत्व में लड़ी जा रही थी. मुंबई में जब ‘अंग्रेज़ो भारत छोड़ा’ का नारा दिया गया था तब आपकी मातृ संस्था जिसके आपके ख़ुद सदस्य रहे हैं और जो आज तक रजिस्टर्ड नहीं है वो अंग्रेज़ों की फ़ौज में भर्ती होने के लिए क्यों कह रही थी.”
“वो अंग्रेज़ों का साथ देने के लिए क्यों कह रही थी. उस समय अंग्रेजों के साथ खड़े होने के लिए क्या आप लोकसभा में माफ़ी मांगेंगे? क्या पूरे देश से माफ़ी मांगेंगे क्योंकि आज़ादी के आंदोलन में आपका रवैया अंग्रेज़ों के साथ था, देशभक्तों के साथ नहीं था.”
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि इतिहास खंगालिए और देखिए कि कौन से आरएसएस कार्यक्रम में इसका गुणगान हुआ, कौन नेता इनका लाठी खाकर जेल गया और सड़क पर लाठी खाकर कांग्रेसी नारे लगा रहे थे.
उन्होंने कहा, “गुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर ने इसके दो पैराग्राफ़ शामिल कराए थे, तो अब उनके ख़िलाफ़ बोलना शुरू कर दो. इतिहास की जानकारी नहीं है और अधूरी बातें बताएंगे. नेहरू जी ने देश को आत्मनिर्भर बनाया, उन्होंने वैज्ञानिक सोच पैदा की. उन्होंने देश को आगे ले जाने के लिए ब्लू प्रिंट तैयार किया.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.