वक्फ संशोधन विधेयक पर गठित संसदीय समिति में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच लगातार तीखे होते टकराव की दशा-दिशा अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के हस्तक्षेप पर निर्भर करेगा। विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के सांसदों ने जेपीसी अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल पर एकतरफा पक्षपाती फैसले लेने का आरोप लगाते हुए स्पीकर से उनकी शिकायत करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक पर गठित संसदीय समिति में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच लगातार तीखे होते टकराव की दशा-दिशा अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के हस्तक्षेप पर निर्भर करेगा। विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के सांसदों ने जेपीसी अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल पर एकतरफा पक्षपाती फैसले लेने का आरोप लगाते हुए स्पीकर से उनकी शिकायत करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया है।
जेपीसी में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ विधेयक पर अध्ययन के लिए कर्नाटक समेत कुछ अन्य जगहों पर जाने के पाल के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए इसे मनमाना बताया है। विपक्षी सांसदों स्पीकर से मुलाकात के बाद दावा किया कि बिरला ने उनकी बातों को धैर्यपूर्वक सुनते हुए जल्द इस बारे में फैसला लेने का आश्वासन दिया है।
जेपीसी में शामिल विपक्षी सदस्यों के संयुक्त हस्ताक्षर से एक पत्र भी स्पीकर को सौंपा गया है जिसमें बैठकों की अध्यक्षता के दौरान पाल के कथित पक्षपाती रवैये का उदाहरण देते हुए इस पर गहरी चिंता जताई गई है। जेपीसी की मंगलवार को हुई बैठक से निकलने के बाद विपक्षी सांसदों ने बिरला से मुलाकात की।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने स्पीकर से हुई बातचीत को सकारात्मक बताते हुए कहा कि हमारी बातों पर गौर करने का आश्वासन दिया है। विपक्षी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल द्रमुक नेता ए राजा और आप सांसद संजय सिंह ने भी बैठक को सार्थक बताते हुए स्पीकर के हस्तक्षेप से गतिरोध का हल निकलने की उम्मीद जताई।
स्पीकर से मुलाकात के बाद विपक्षी खेमे ने साफ संकेत दिया है कि बिरला का रूख देखने के बाद जेपीसी से अलग होने पर कोई फैसला लिया जाएगा। समझा जाता है कि स्पीकर को सौंपे गए पत्र पर जेपीसी में शामिल कांग्रेस के मोहम्मद जावेद और इमरान मसूद, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, द्रमुक से ए राजा, आप के संजय ¨सह तथा एआइएमआइएम के असदुद्दीन ओवैसी सहित अन्य सभी विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर हैं।
पत्र में जेपीसी की बैठकों की तारीखें तय करने से लेकर पाल के तौर-तरीके पर गंभीर सवाल उठाते हुए गवाहों को बुलाने के संदर्भ में भी एकतरफा निर्णय लेने का आरोप लगाया गया है। विपक्षी सांसदों ने स्पीकर से आग्रह किया कि जेपीसी अध्यक्ष को ऐसे मुद्दों पर निर्णय लेने से पहले समिति के सदस्यों के साथ औपचारिक परामर्श करने का निर्देश उनकी ओर से दिया जाए।जगदंबिका पाल की कार्यशैली के खिलाफ जेपीसी से अलग होने को लेकर अभी विपक्ष ने तत्काल कोई निर्णय नहीं लिया है मगर विकल्प खुला रखा है। विपक्षी सांसदों के अनुसार पाल तथा भाजपा सदस्यों की ओर से बैठकों में हमें अपनी बातें रखने तथा सवाल उठाने से रोका जा रहा है और यह सिलसिला नहीं थमा तो हम जेपीसी से अलग होने को बाध्य होंगे।