संजीव गुप्ता, जागरण, नई दिल्ली। विघ्नों से भरे इस संसार में कृपालु श्रीगणेश की अनगिनत लीलाएं हैं। ऐसी ही लीलाओं के आख्यान वाली कृति ‘वक्रतुण्ड’ के रचयिता डॉ. महेंद्र मधुकर को जागरण साहित्य सृजन सम्मान से सम्मानित किया गया है। दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक स्वर्गीय नरेन्द्र मोहन जी की स्मृति में शुरू किया गया यह पहला जागरण साहित्य सृजन सम्मान है।
शुक्रवार शाम दिल्ली में आयोजित समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह सम्मान प्रदान किया। 86 वर्षीय डॉ. मधुकर चलने-फिरने में थोड़ा असहज रहने लगे हैं। उनकी इस अवस्था को समझते हुए अमित शाह ने स्वयं मंच से नीचे उतरकर उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने डॉ. मधुकर को शाल ओढ़ाया, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिह्न भेंट किया। साथ ही उन्हें 11 लाख रुपये की सम्मान राशि भी दी गई। शाह ने उन्हें बधाई देते हुए कहा, आप बहुत अच्छा कर रहे हैं, ऐसे ही करते रहिए।
डॉ. मधुकर ने भी इस दौरान शाह को अपनी तीन पुस्तकें भेंट की तथा उनके कार्य की सराहना की। मंच से अपने संक्षिप्त उद्बोधन में डॉ. मधुकर ने धर्मवीर भारती की पंक्ति ‘सृजन की थकन भूल जा देवता..’ का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ईश्वर भी सृजन करता है और प्रजापति भी जैसा चाहे संसार को बदलता है। हालांकि बाद में वह इस प्रक्रिया में आने वाली थकान को भूल जाता है। उसी तरह से लेखक साहित्यकार के लिए रचना सृजन आत्मिक अभिव्यक्ति और आत्मा की संतुष्टि जैसा है।
डॉ. मधुकर ने कहा कि वह आज भी साहित्य सृजन में संलग्न हैं। वह बोले- लिखोगे, पढ़ोगे, रचोगे तो ‘जीवित’ रहोगे। ज्ञात हो कि डॉ. महेंद्र मधुकर को पहला जागरण साहित्य सृजन सम्मान देने का निर्णय तीन सदस्यीय चयन समिति द्वारा लिया गया। इस समिति में ख्याति प्राप्त गीतकार और कवि प्रसून जोशी, वरिष्ठ साहित्यकार डा. शरण कुमार लिंबाले, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव और कथाकार कवि डॉ. सच्चिदानंद जोशी शामिल रहे।
राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित डॉ. मधुकर की कृति ‘वक्रतुण्ड’ को पुरस्कृत करने का निर्णय जूरी ने सर्वसम्मति से किया। ये सम्मान दैनिक जागरण के अपनी भाषा हिंदी को समृद्ध करने के अभियान ‘हिंदी हैं हम’ के अंतर्गत दिया गया।