One Big Beautiful Bill अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वन बिग ब्यूटीफुल बिल को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में मंजूरी मिल गई है जिससे भारत पर असर पड़ सकता है। इस बिल में विदेश से भेजे जाने वाले पैसों पर 3.5 फीसदी टैक्स लगाने का प्रस्ताव है जिससे भारत को हर साल अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की “वन बिग ब्यूटीफुल बिल” को हाल ही में अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में 215-214 के मामूली अंतर से मंजूरी मिल गई है।
इस बिल (One Big Beautiful Bill) में एक ऐसा प्रावधान है जो वैश्विक रेमिटेंस (विदेश से भेजे गए पैसे) के फ्लो को बदल सकता है। इसका सबसे ज्यादा असर पड़ने वाले देशों में भारत शामिल है।बिल में गन साइलेंसर और इंडोर टैनिंग सर्विसेज पर लगने वाले एक्साइज टैक्स को खत्म करने, SALT डिडक्शन कैप को 10,000 से बढ़ाकर 40,000 रुपये करने (500,000 से कम आय वाले जोड़ों के लिए), और ग्रीन एनर्जी टैक्स क्रेडिट्स को खत्म करने जैसे प्रावधान भी हैं। साथ ही स्टूडेंट लोन प्रोग्राम्स में भारी कटौती का प्रस्ताव है। हालांकि, सीनेट में इस बिल को लेकर विरोध हो रहा है।
एलन मस्क ने भी की आलोचना
इस प्रस्ताव की आलोचना अरबपति एलन मस्क ने भी की है। ट्रम्प-मस्क के रिश्ते में हाल ही में अभूर्तपूर्व तरीके बद से बदतर स्थिति तक पहुंच गए हैं। दोनों शख्सियत खुलेआम एक-दूसरे पर लगातार आरोप लगा रहे हैं।मस्क ने कहा, “मुझे लगता है कि कोई बिल बड़ा हो सकता है या खूबसूरत, लेकिन दोनों एक साथ होना मुश्किल है।”

भारत पर क्या होगा असर?
यह टैक्स भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि भारत को हर साल अरबों डॉलर रेमिटेंस के रूप में मिलते हैं, जिनमें से बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है।
- भारत दुनिया में सबसे ज्यादा रेमिटेंस पाने वाला देश है।
- बिल में विदेशी कामगारों, जैसे ग्रीन कार्ड धारकों और एच-1बी वीजा वालों की ओर से अमेरिका से विदेश भेजे जाने वाले पैसों पर 3.5 फीसदी टैक्स लगाने का प्रस्ताव है।
- पहले यह टैक्स 5 फीसदी था, लेकिन दबाव के बाद इसे कम किया गया।
- विश्व बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुताबिक, 2024 में भारत को करीब 129 अरब डॉलर का रेमिटेंस मिला।
- यह राशि पाकिस्तान (67 अरब डॉलर) और बांग्लादेश (68 अरब डॉलर) के सालाना बजट को मिलाकर भी ज्यादा है।
- इस रेमिटेंस का सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका में काम करने वाले भारतीयों से आता है। अगर 3.5 फीसदी टैक्स लागू हुआ, तो भारत को हर साल अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है।
- यह राशि लाखों भारतीय परिवारों की आजीविका का आधार है।
भारत का रेमिटेंस 10 सालों में काफी बढ़ा
पिछले 10 सालों में भारत का रेमिटेंस 57 फीसदी बढ़ा है। 2014 से 2024 तक भारत को कुल 982 अरब डॉलर का रेमिटेंस मिला। इस टैक्स का सबसे ज्यादा असर उन राज्यों पर पड़ेगा जहां रेमिटेंस से घर चलते हैं, जैसे केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार। ये राज्य रेमिटेंस पर बहुत निर्भर हैं।
- भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रवासी आबादी 1990 में 66 लाख थी, जो 2024 तक बढ़कर 185 लाख हो गई।
- हालांकि खाड़ी देशों में अभी भी ज्यादा भारतीय काम करते हैं।
- लेकिन अब अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी भारतीय पेशेवरों की संख्या बढ़ रही है।
ये लोग आईटी, स्वास्थ्य, वित्त और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में काम करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में 78 फीसदी भारतीय उच्च आय वाले पेशों में हैं, जिसके चलते रेमिटेंस में बड़ा इजाफा हुआ। 2023-24 में अमेरिका से भारत को मिलने वाला रेमिटेंस कुल का 28 फीसदी था, जो 2020-21 में 23.4 फीसदी था।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने चेतावनी दी है कि अगर यह बिल कानून बनकर लागू हुआ, तो भारत को हर साल अरबों डॉलर के विदेशी मुद्रा फ्लो का नुकसान होगा। यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर झटका होगा।(एजेंसी इनपुट के साथ)यह भी पढ़ें: भारत के विकास पर विश्व बैंक की मुहर, 10 सालों में तेजी से कम हुए गरीब; 27 से घटकर 5.3 फीसद हुई गरीबी दर