इमेज कैप्शन, रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से ज़्यादा काम कर के भी कम कमा रही हैं (सांकेतिक तस्वीर)
एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार भारत अमीरों और ग़रीबों के बीच असमानता के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है.
इनकम और वेल्थ से जुड़े से आंकड़े वर्ल्ड इनइक्वेलिटी रिपोर्ट 2026 में सामने आए हैं. इस रिपोर्ट को अर्थशास्त्री लुकस चांसेल, रिकार्डो गोमेज़-कैरेरा, रोवाइडा मोशरिफ़ और थॉमस पिकेटी ने तैयार किया है.
रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत की कुल इनकम का लगभग 58 फ़ीसदी हिस्सा 10 फ़ीसदी लोग ही कमा रहे हैं. नीचे के 50 फ़ीसदी लोगों का भारत की इनकम में हिस्सा महज़ 15 फ़ीसदी ही है.
भारत में ये असमानता सिर्फ़ इनकम में ही नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार वेल्थ के पैमाने पर ये खाई और भी गहरी है. देश के सबसे अमीर 10 फ़ीसदी लोग देश की लगभग 65 फ़ीसदी वेल्थ के मालिक हैं. और इनमें से भी टॉप एक फ़ीसदी अमीर लोगों के पास देश की 40 फ़ीसदी धन-संपत्ति है.
जेंडर के आधार पर वेतन की असमानता दुनिया के सभी क्षेत्रों में बनी हुई है. रिपोर्ट कहती है कि महिलाएं पुरुषों से अधिक काम करने के बावजूद कम वेतन पा रही हैं.
भारत के बारे में रिपोर्ट में क्या-क्या?
साल 2018 और 2022 के बाद ये तीसरी वर्ल्ड इनइक्वेलिटी रिपोर्ट है. ये रिपोर्ट दुनियाभर में वर्ल्ड इनइक्वेलिटी लैब से जुड़े 200 से अधिक स्कॉलर्स की मदद से तैयार की गई है.
वर्ल्ड इनइक्वेलिटी लैब के को-डायरेक्टर थॉमस पिकेटी ने इस रिपोर्ट के बारे में कहा, “ये रिपोर्ट राजनीतिक लिहाज़ से चुनौतीपूर्ण समय पर आई है लेकिन ये पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है. ऐतिहासिक तौर पर बराबरी के लिए चलाए गए आंदोलनों को जारी रखते हुए ही हम आने वाले दशकों में सामाजिक और जलवायु से संबंधित चुनौतियों से निपट पाएंगे.”
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014 से 2024 के बीच भारत में आय के लिहाज़ से शीर्ष 10 फ़ीसदी और निचले 50 फ़ीसदी के बीच फ़ासला स्थिर रहा है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय (पर्चेज़िंग पावर पैरिटी यानी क्रय क्षमता के हिसाब से) सालाना 6,200 यूरो, जो भारतीय मुद्रा के हिसाब से करीब साढ़े छह लाख रुपये होते हैं.
इनइक्वेलिटी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्रति व्यक्ति वेल्थ करीब 28 हज़ार यूरो है, जो भारतीय मुद्रा में क़रीब 29 लाख रुपये से अधिक है.
महिलाओं की गैरबराबरी
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इमेज कैप्शन, रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है और यह अंतर दुनियाभर में है (सांकेतिक तस्वीर)
रिपोर्ट कहती है कि लैंगिक आधार पर वेतन की असमानता दुनियाभर में बनी हुई है. ये दिक्कत असंगठित क्षेत्र में अधिक है.
ये रिपोर्ट बताती है कि अगर महिलाओं के घर में किए गए काम के घंटों को भी जोड़ लिया जाए तो वो एक सप्ताह में औसतन 53 घंटे काम करती हैं, जबकि पुरुष 43 घंटे.
रिपोर्ट कहती है कि अगर महिलाओं के इन अवैतनिक कामों को छोड़ भी दिया जाए तो भी वह पुरुषों को प्रति घंटे मिलने वाले वेतन का सिर्फ़ 61 फ़ीसदी ही कमाती हैं.
अगर अवैतनिक श्रम को भी जोड़ें तो यह आंकड़ा घटकर सिर्फ़ 32 फ़ीसदी रह जाता है.
रिपोर्ट कहती है कि भारत में महिलाओं की श्रम क्षेत्र में हिस्सेदारी भी बहुत कम है. रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ़ 15.7 फ़ीसदी महिलाएं ही लेबर फ़ोर्स का हिस्सा हैं. इस आंकड़े में पिछले एक दशक से कोई सुधार नहीं हुआ है.
रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में महिलाओं और पुरुषों के बीच ज़िम्मेदारियों के इस ग़ैरबराबर बंटवारे से महिलाओं के लिए करियर के मौके सीमित होते हैं. इसकी वजह से राजनीति में उनकी भागीदारी घटती है और वह संपत्ति भी कम जुटा पाती हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आय, संपत्ति और लैंगिक असामानता गहराई से जमी हुई है. ये अर्थव्यवस्था के भीतर मौजूद लगातार बने हुए ‘स्ट्रक्चरल डिवाइड’ यानी विभाजन को उजागर करती है.
रिपोर्ट में और अहम बातें
रिपोर्ट बताती है कि असमानता के कई मोर्चों पर दुनिया के कई देशों का यही हाल है.
रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के शीर्ष 10 फ़ीसदी कमाने वाले लोग बाकी 90 फ़ीसदी की कुल कमाई से अधिक कमाते हैं. यानी 90 प्रतिशत लोगों का दुनिया की कुल इनकम में हिस्सा महज़ 10 प्रतिशत है.
संपत्ति के मामले में ये फ़ासला और गहरा है. क्योंकि शीर्ष 10 फ़ीसदी अमीर लोगों के पास वैश्विक संपत्ति का तीन चौथाई हिस्सा है, जबकि कम आय वालों के हिस्से में सिर्फ़ दो फ़ीसदी संपत्ति है.
रिपोर्ट के मुताबिक ग़ैरबराबरी लगातार बढ़ती ही जा रही है. नब्बे के दशक से दुनिया में अरबपतियों की संपत्ति सालाना आठ फ़ीसदी की दर से बढ़ी है. ये आबादी के निचले आधे हिस्से की वृद्धि दर से लगभग दोगुनी रफ़्तार है.
रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान ग़रीबों ने भी तरक्की की है लेकिन यह अरबपतियों की जमा की जा रही दौलत की तुलना में न के बराबर है.
अगर धन-दौलत के औसत की बात की जाए तो यह आंकड़ा भी चौंकाने वाला है.
मिसाल के तौर पर निचले 50 फ़ीसदी लोगों के पास औसतन लगभग 6,500 यूरो की संपत्ति है, जबकि शीर्ष 10% लोगों के पास औसतन करीब 10 लाख यूरो की संपत्ति होती है.
दुनिया के 56 हज़ार वयस्क लोगों की औसत संपत्ति लगभग एक अरब यूरो है. सिर्फ़ 56 लोगों की औसत संपत्ति प्रति व्यक्ति लगभग 53 अरब यूरो है.
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि नीतियों के ज़रिए इस असमानता को कम किया जा सकता है.
बीबीसी हिन्दी के लिए कलेक्टिवन्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.