Year Ender 2024 साल 2024 हादसों का भी साल रहा है। इस साल कई भीषण हादसों में सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जहां वायनाड में प्राकृतिक आपदा ने कहर बरपाया तो राजकोट से लेकर झांसी तक लोगों की लापरवाही बड़ी दुर्घटना का कारण बनी। पढ़ें इस साल के ऐसे ही कुछ बड़े हादसों के बारे में जिन्होंने पूरे देश को झकझोर दिया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2024 खत्म होने को है और लोग नए साल के स्वागत की तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन अगर पीछे मुड़कर देखा जाए तो यह साल कई दुखद घटनाओं का भी रहा है। जहां देश ने कई महान हस्तियों को इस साल खोया तो वहीं कई ऐसे बड़े हादसे भी हुए, जहां सैकड़ों लोगों की जान गंवानी पड़ी।
इन हादसों से सरकार और समाज, दोनों को सीख लेने की जरूरत है और सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि फिर से ऐसी कोई दुखद घटना न घटे। आइए नजर डालते हैं साल 2024 की कुछ ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर, जिनमें कई मासूम और निर्दोष लोग मारे गए।
राजकोट के गेमिंग जोन में लगी आग
गुजरात के राजकोट में गेमिंग जोन में आग लगने से कई मासूमों की जान चली गई थी। 26 मई को टीआरपी गेमिंग जोन में बच्चे खेल रहे थे, तभी अचानक वहां पर आग भड़क गई। आग इतनी जल्दी तेज हो गई कि लोगों को वहां से बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिला। उस समय गर्मी की छुट्टियां चल रही थीं, इसलिए गेमिंग जोन में बच्चों की संख्या भी ज्यादा थी।
भयानक हादसे में आग लगने से 35 लोगों की मौत हो गई, जिसमें कई बच्चे भी शामिल थे। गुजरात हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने इस मामले का संज्ञान लिया था और इसे मानव निर्मित आपदा बताया था। साथ ही जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई के भी निर्देश दिए थे।
सत्संग में मची भगदड़
उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दुखद हादसे में सत्संग के बीच भगदड़ मच गई, जिसमें 121 लोगों की जान चली गई। हाथरस में 2 जुलाई को नारायण साकार हरि यानी सूरज पाल जाटव का सत्संग चल रहा था। तभी लोगों के बीच नारायण साकार हरि के चरणों की धूल लेने की होड़ मची, जिसके बाद अफरा-तफरी मच गई।
प्रशासन ने इस घटना के लिए आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि लोगों के इसमें शामिल होने की संख्या की सही जानकारी नहीं दी गई थी। पुलिस में दर्ज की गई शिकायत के मुताबिक प्रशासन को बताया गया था कि आयोजन में 80 हजार लोग शामिल होंगे, जबकि ढाई लाख से अधिक लोग इसमें शामिल हुए थे।
वायनाड में प्राकृतिक आपदा ने मचाई तबाही
केरल के वायनाड में 29 जुलाई की रात जब लोग अपने घरों में आराम कर रहे थे, तभी अचानक ऐसी भयानक आपदा आई, जिससे उबरने में वहां के लोगों को महीनों लग गए। भारी बारिश के बाद 29 जुलाई को वायनाड में कई जगहों पर भूस्खलन हुआ। इस आपदा में 400 से भी अधिक लोग मारे गए।
सरकार और सुरक्षाबलों को कई हफ्ते तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ा। आपदा में सैकड़ों घर तबाह हो गए और कई दिनों तक लाशों को ढूंढ़ने का कार्य जारी रहा। 2018 की बाढ़ के बाद यह केरल में सबसे भीषण प्राकृतिक आपदा थी।
मेडिकल कॉलेज में कई बच्चे जिंदा जले
उत्तर प्रदेश के झांसी में दिल दहला देने वाली घटना में मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में 15 नवंबर को भीषण आग लग गई। अचानक आग लगने से वार्ड में अफरातफरी मच गई। दर्दनाक हादसे में 10 नवजात शिशुओं को मौत हो गई। वहीं 16 से अधिक लोग घायल हो गए।
घटना की वीभत्सता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई शिशुओं को उनकी मां ने जन्म देने के बाद देखा तक नहीं था। 39 बच्चों को वार्ड से रेस्क्यू किया गया था, जिन्हें दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया था। बाद में जांच में सामने आया था कि शॉर्ट सर्किट के कारण ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में चिंगारी निकलने से आग फैली थी।
जयपुर में LPG टैंकर फटा, तबाही की लपटों में सब कुछ राख
साल के अंत होते-होते राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक भीषण सड़क हादसा देश ने देखा, जहां एलपीजी से भरे एक टैंकर में एक्सीडेंट के बाद आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि आसपास के 35 से अधिक वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया। हादसा उस वक्त हुआ, जब 20 दिसंबर की सुबह जयपुर-अजमेर हाईवे पर एलपीजी से भरे टैंकर को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी।
एक्सीडेंट के कारण टैंकर के नोजल से गैस लीक होने लगी, जिससे आग भड़क गई। जल्द ही आसपास के वाहनों में भी आग लग गई। हादसे में टैंकर के पीछे चल रही एक बस और हाईवे किनारे मौजूद पाइप फैक्ट्री भी जल गई। हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई। वहीं कई लोग घायल हुए।
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