इमेज कैप्शन, पति नमांश स्याल को अंतिम सलामी देते हुए उनकी पत्नी
दुबई में तेजस विमान हादसे में मारे गए भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर नमांश स्याल का अंतिम संस्कार रविवार को उनके पैतृक गांव में हो गया. उनका पार्थिव शरीर रविवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा था.
अंतिम विदाई देने के लिए हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में स्थित उनके गांव पटियालकर में सुबह से ही लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था.
नमांश स्याल की पत्नी और विंग कमांडर अफ़शां स्याल, एयरफोर्स की वर्दी पहनकर अंतिम यात्रा में पहुंचीं. उन्होंने सैन्य सम्मान के साथ अपने पति को अंतिम सलामी दी.
पैतृक गांव पहुंचने से पहले विंग कमांडर नमांश का पार्थिव शरीर कोयम्बटूर के सुलूर एयर बेस लाया गया था.
यहां भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके बाद पार्थिव देह को रविवार दोपहर करीब एक बजे एयरफोर्स के विशेष विमान से कांगड़ा हवाई अड्डे पर लाया गया.
पिता जगन नाथ स्याल ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हए कहा, “मैंने एक बेटा खोया है और देश ने एक होनहार पायलट खोया है…क्षति देश की भी हुई और मेरी भी. इसीलिए ज़रूरी है कि मैं खुद को संभालूं… और उसकी पत्नी को भी, जो खुद एयर फ़ोर्स में अफ़सर हैं,”
उन्होंने कहा, “उसका व्यक्तित्व हमेशा से शानदार था. एलकेजी से लेकर आज तक इसने कभी किसी को निराश नहीं किया. कभी एक थप्पड़ तक नहीं खाया. जिस भी प्रतियोगिता में गया, उसमें हमेशा अव्वल आया. नेशनल टैलेंट सर्च स्कॉलरशिप भी उसे मिली थी…”
आखिरी बातचीत को याद करते हुए वे कहते हैं, “मैंने पूछा था- बेटा, शो हो रहा है? उसकी कोई फोटो वगैरह? तो उसने कहा कि यूट्यूब पर आ रहा है, आप देख लो. मैंने यूट्यूब खोला… और वहाँ ये हाल था.”
वहीं एक स्थानीय शख़्स राजीव जमवाल ने कहा, “वह मेरे ही स्कूल, सैनिक स्कूल सुजानपुर टीरा में पढ़े थे. मैं यहां हमारे अपने पायलट नमांश के अंतिम संस्कार पर आया हूं. वह 12वीं के बाद एनडीए में चले गए थे.”
“एनडीए में वह सबसे अच्छे परफ़ॉर्मर थे और एयरफ़ोर्स में भी, वह सबसे अच्छे पायलटों में से एक थे. हम यहां उन्हें सम्मान देने आए हैं.”
उन्हीं के स्कूल के पंकज चड्ढा ने कहा, “हमने अपना एक अनमोल रत्न खो दिया. वह स्कूल का गर्व थे. उन्होंने हमेशा स्कूल का बहुत नाम किया.”
नमांश स्याल के गांव के संदीप कुमार ने कहा, “हमारे गांव में मातम का माहौल है…बहुत बुरा लग रहा है. शब्द नहीं हैं…ऐसा नहीं होना चाहिए था.”
कैसे हुआ हादसा
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इमेज कैप्शन, विंग कमांडर नमांश सयाल का पार्थिव शरीर कोयम्बटूर के सुलूर एयर बेस लाया गया, जहां भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
भारतीय वायु सेना का फाइटर जेट तेजस शुक्रवार को दुबई में एयर शो के दौरान क्रैश हो गया. इसमें पायलट विंग कमांडर नमांश स्याल की मौत हो गई.
दुबई में अल मख़तूम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यह हादसा स्थानीय समय के अनुसार, दोपहर बाद दो बजे के क़रीब हुआ. इस क्रैश का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.
वीडियो में दिख रहा है कि उड़ान भरने के ठीक बाद तेजस ज़मीन पर गिर गया और उससे आग की लपटें उठने लगीं.
इस हादसे पर भारतीय वायु सेना ने अपने बयान में कहा है, ”शुक्रवार को दुबई एयर शो में हवाई प्रदर्शन के दौरान एक भारतीय वायु सेना (आईएएफ़) का तेजस विमान दुर्घटना का शिकार हो गया. दुर्घटना में पायलट को जान गंवानी पड़ी.”
“भारतीय वायु सेना इस अपूरणीय क्षति पर गहरा दुख व्यक्त करती है और इस शोक की घड़ी में शोकाकुल परिवार के साथ दृढ़ता से खड़ी है. दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए एक कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित की जा रही है.”
भारतीय वायुसेना की ओर से मिली आधिकारिक जानकारी के अनुसार, तेजस विमान संयुक्त अरब अमीरात में एक प्रशिक्षण अभ्यास के दौरान तकनीकी समस्या के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.
स्वदेशी तेजस
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इमेज कैप्शन, सिंगल इंजन वाला तेजस लड़ाकू विमान पूरी तरह से स्वदेशी है
सिंगल इंजन वाला तेजस लड़ाकू विमान पूरी तरह से स्वदेशी है. इसकी निर्माता कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल है.
ये विमान दूर से ही दुश्मन के विमानों पर निशाना साध सकता है और दुश्मन के रडार को भी चकमा देने की क्षमता रखता है. ये विमान उतने ही हथियार और मिसाइल लेकर उड़ सकता है जितना इससे ज़्यादा वज़न वाला सुखोई विमान.
साल 2004 के बाद से तेजस में अपग्रेडेड इलेक्ट्रिट इंजन F404-GE-IN20 इस्तेमाल हो रहे हैं. वहीं तेजस मार्क 1 वेरिएंट वर्तमान में F404 IN20 इंजन का इस्तेमाल कर रहा है.
मार्क 1A संस्करण में भी यही इंजन इस्तेमाल होता रहेगा, जबकि भविष्य में आने वाले तेजस मार्क 2 में अधिक शक्तिशाली जनरल इलेक्ट्रिक F414 INS6 इंजन लगा होगा.
तेजस लड़ाकू विमान सुखोई लड़ाकू विमानों से हल्के होते हैं और ये आठ से नौ टन तक बोझ उठा सकते हैं. इसके अलावा ये ध्वनि की गति यानी मैक 1.6 से लेकर 1.8 तक की तेज़ी से उड़ सकते हैं, वो भी 52 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई तक.
तेजस में कुछ ख़ास तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. जैसे क्रिटिकल ऑपरेशन क्षमता के लिए ‘एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली-स्कैन्ड रडार’ यानी इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन रडार, बियांड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल, इलेक्ट्रानिक वारफेयर सुइट और एयर टू एयर रिफ़्यूलिंग की व्यवस्था.
इसी साल सितंबर महीने में भारतीय रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ 97 तेजस विमान खरीदने का सौदा किया था. इनकी आपूर्ति 2027 में शुरू होने की उम्मीद है.
इससे पहले साल 2021 में भारत सरकार ने एचएएल के साथ 83 तेजस एयरक्राफ़्ट की डील साइन की थी. इसकी डिलीवरी साल 2024 में ही होनी थी लेकिन अमेरिका से आयात किए जाने वाले इंजनों की कमी के कारण इसमें देर हुई.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित