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विनोद कुमार शुक्ल ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में बताया था कैसे लेखक बने

Byadmin

Mar 23, 2025


कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल

इमेज स्रोत, Devendra Shukla

साहित्य का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ सम्मान इस बार हिंदी के कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को दिए जाने की घोषणा हुई है.

ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने की घोषणा पर विनोद कुमार शुक्ल ने बीबीसी से कहा, “ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने से मुझे खुशी हुई. मैं अभी भी यह महसूस करता हूं कि मैं क्या कुछ और लिख सकता हूं, उसे लिखूं. मैं यह भी महसूस करता हूं कि मेरे लिखने के लिए अभी बहुत कुछ बचा हुआ है.”

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 1 जनवरी 1937 को जन्मे विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के उन साहित्यकारों में से हैं, जिन्होंने साहित्य और भाषा में अपने मुहावरे गढ़े हैं.

उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ ऐसी रचनाएं हैं, जिन्हें दुनिया भर में सराहा गया. कई भाषाओं में इनके अनुवाद हुए. उनके कहानी संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’, ‘आदमी की औरत’ और ‘महाविद्यालय’ भी बहुचर्चित रहे हैं.

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