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‘विभाजन का फैसला जनता का नहीं, कांग्रेस वर्किंग कमेटी का था’, अमित शाह का बड़ा बयान 

Byadmin

Oct 11, 2025


नीलू रंजन, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने धर्म के आधार पर देश के विभाजन को बहुत बड़ी गलती बताया है। शुक्रवार को नरेन्द्र मोहन स्मृति व्याख्यान में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि विभाजन का फैसला देश की जनता का नहीं, बल्कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी का था। शाह के अनुसार विभाजन के साथ ही अन्य बहुत सारी गलतियां हुई और अब मोदी सरकार उन गलतियों का तर्पण कर रही है।

अमित शाह के अनुसार भारत का विभाजन अंग्रेजों का बड़ा षड़यंत्र था। कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने विभाजन को स्वीकार कर इस षडयंत्र को सफल बनाने का काम किया। उन्होंने कहा कि इससे भारत माता की दो भुजाओं को काटकर अलग कर दिया। शाह ने साफ किया कि भारत में हजारों सालों से अनेक प्रकार के धर्म रहे हैं, लेकिन कभी धर्म के आधार पर विवाद नहीं हुआ। जैन और बौध धर्म हजारों सालों से तो सिख थर्म सैंकड़ों सालों से भारत है।

‘धर्म के आधार पर कैसे हो सकता है राष्ट्रीयता का निर्धारण?’

उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर धर्म के आधार पर राष्ट्रीयता का निर्धारण कैसे हो सकता है। शाह के अनुसार धर्म और राष्ट्रीयता को अलग-अलग करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और यही आज सारे विवाद की जड़ है। घुसपैठ और शरणार्थी के बीच अंतर को स्पष्ट करते हुए अमित शाह ने कहा कि विभाजन के परिप्रेक्ष्य में बांग्लादेश और पाकिस्तान में जिनके साथ अन्याय हुआ वह शरणार्थी हैं।

‘पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं का भी इस मिट्टी पर अधिकार’

उनके अनुसार आजादी के समय हालात को देखते हुए पाकिस्तान में फंसे हिंदुओं को बाद में आने और भारत में उन्हें नागरिकता देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया। शाह ने साफ किया कि ”जितना अधिकार मेरा इस देश की मिट्टी पर है, उतना ही पाकिस्तान, बांग्लादेश के हिंदुओं का अधिकार भी इस देश की मिट्टी पर है। यह गृहमंत्री के रूप में मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं।”

सीएए पर क्या बोले अमित शाह?

अमित शाह के बताया कि विभाजन के समय हुई गलतियों को सुधारने का काम चल रहा है और इस सिलसिले में उन्होंने नागरिका संशोधन कानून (सीएए) का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि कैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए शरणार्थियों की चार-चार पीढि़यों तक नागरिकता नहीं दी गई। इसके कारण उन्हें सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ सरकारी सेवाओं के भी वंचित रहना पड़ा। मोदी सरकार ने सबसे पहले लंबी अवधि का वीजा देकर और बाद सीएए लाकर उन्हें नागरिकता देने का काम किया।

‘तो नहीं पड़ती धर्म के आधार पर जनगणना की जरूरत’

शाह ने कहा कि ”विभाजन के परिप्रेक्ष्य में जिनके साथ भी वहां अन्याय हुआ है, वह आएं, उनका स्वागत है।” अमित शाह ने 1951 में धर्म के साथ जनगणना कराने के तत्कालीन नेहरू सरकार के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इस फैसले से भाजपा और उसके पूर्ववर्ती संगठन जनसंघ का कोई लेना-देना नहीं था। उनके अनुसार धर्म के आधार पर देश के विभाजन और धर्म के आधार पर जनगणना एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि यदि देश का विभाजन नहीं होता तो धर्म के आधार पर जनगणना की कभी जरूरत नहीं पड़ती।

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