इमेज स्रोत, Getty Images
उनकी असाधारण प्रतिभा सबके सामने थी. उनके प्रदर्शन को क्रिकेट की दुनिया आश्चर्यचकित होकर देख रही थी. उसे यकीन ही नहीं हो रहा था प्रतिभा का ऐसा भी विस्फोट हो सकता है.
गोल चेहरे वाले 14 वर्षीय बल्लेबाज़ी वैभव सूर्यवंशी की राशिद ख़ान, मोहम्मद सिराज, इशांत शर्मा और प्रसिद्ध कृष्णा जैसे गेंदबाजों के ख़िलाफ़ अभूतपूर्व आक्रामक बैटिंग देख कर क्रिकेट प्रेमियों ने दांतों तले उंगलियां दबा ली थीं.
हालांकि ये वंडर बॉय बाद की दो पारियों में जब सिर्फ शून्य और चार पर आउट हुआ तो इसके प्रदर्शन को लेकर चिंता दिखने लगी थी.
लेकिन गुजरात टाइटंस के ख़िलाफ़ वैभव की 101 रन की पारी को कैसे भुलाया जा सकता था.
थोड़े ही वक़्त में इस शानदार बल्लेबाज़ की खेली ये पारियां पूरे देश की सामूहिक चेतना में तैरने लगी थीं.
फिर भारतीय सेना का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ हुआ और आईपीएल के मैच रुक गए. लेकिन जब आईपीएल के मैच दोबारा शुरू हुए तो इस बैटिंग सनसनी ने गलतियां सुधारी.
पहले पंजाब किंग्स के ख़िलाफ़ 40 और फिर चेन्नई सुपर किंग्स के ख़िलाफ़ 57 रन की पारियां खेल कर उसने अपने प्रदर्शन को पुख़्ता किया.
वैभव की पारियों को देखने के बाद भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज़ सबा करीम कहते हैं, ”मैंने वैभव की यूथ टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ अंडर-19 और कुछ दूसरी पारियों के वीडियो हाइलाइट्स देखे थे. ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ उस मैच में उन्होंने 58 गेंदों में 100 रन बनाए थे. इसे देखने के बाद ही मैं समझ गया था कि इस बच्चे में ख़ास प्रतिभा है.”
वैभव की प्रतिभा के बारे में वो कहते हैं, ”मैं उनसे धुआंधार शतक की उम्मीद तो नहीं कर रहा था. लेकिन इस 14 साल को बल्लेबाज़ 145 किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा रफ़्तार से फेंकी गई बेहद उम्दा गेंदों के ख़िलाफ़ खेलते देखना एक शानदार अनुभव था.”
सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली जैसी दो असाधारण प्रतिभाओं के साथ टेस्ट क्रिकेट खेल चुके प्रवीण आमरे भी वैभव के प्रदर्शन को लेकर अपने उत्साह को छिपा नहीं पाते.
वो कहते हैं,”वैभव के खेल में जो चीज मुझे सबसे पसंद है वो है टाइमिंग. चाहे आप नए बल्लेबाज़ हों या फिर अनुभवी, बैटिंग पूरी तरह टाइमिंग का मामला है. उस दिन वैभव ने दिखाया उसकी टाइमिंग कितनी बेहतरीन है. वो जानता है कि चौका-छक्का कैसे मारा जाए. उससे भी ज्यादा वो ये जानता है कि गेंदबाजों पर हावी होकर कैसे खेला जाए.”
जबरदस्त प्रतिभाओं के धनी कुछ दूसरी ही मिट्टी के बने होते हैं. ऐसी सभी प्रतिभाएं अपनी क्षमताओं को लेकर आत्मविश्वास से भरी होती हैं. उनमें असाधारण फोकस होता है. उनके सामने ये साफ होता है कि उन्हें क्या करना है.
वैभव के कोच और बिहार के रणजी बल्लेबाज़ रह चुके मनीष ओझा कहते हैं, ”मुझे अच्छी तरह वो दिन याद है जब वैभव और उनके पिता संजीव पहली बार 2018 में मेरी एकेडमी में आए थे. सात साल की उम्र में भी वैभव का लक्ष्य साफ था कि उसे एक दिन देश के लिए खेलना है. उनके पिता के अंदर भी ये बात साफ़ थी. पहले ही दिन मैंने वैभव से कुछ ड्रिल करवाई और फिर नेट पर बैटिंग करने के लिए कहा. मैंने वैभव को उनकी उम्र के हिसाब असाधारण तौर पर प्रतिभाशाली पाया.”
कड़ी मेहनत का सफ़र
इमेज स्रोत, Getty Images
और फिर शुरू हुआ बेमिसाल बलिदान और कड़ी मेहनत का सफ़र.
पटना के बाहरी इलाके में जेन-नेक्स्ट क्रिकेट एकेडमी चलाने वाले एनसीए लेवल-2 कोच मनीष कहते हैं, ”वैभव की मां हर दिन तड़के दो बजे उठकर बेटे और पिता के लिए खाना बनाती थीं. साढ़े सात बजे एकेडमी पहुंचने के लिए दोनों चार बजे सुबह घर छोड़ देते थे. और फिर वैभव की ट्रेनिंग दोपहर बाद तीन से चार बजे तक चलती थी. इस दौरान उनके पिता अपनी कार में पूरे धैर्य के साथ बैठे रहते,अपने बेटे को मशक्कत करते देखते हुए.”
बाएं हाथ की ये बैटिंग प्रतिभा एकेडमी में सप्ताह में तीन से चार-दिन इस तरह की ट्रेनिंग करती थी.
ट्रेनिंग के दौरान दोनों पिता-पुत्र 90 किलोमीटर की यात्रा करते. समस्तीपुर के एक गांव ताजपुर से पटना के बाहरी इलाके में बने कोचिंग एकेडमी तक. और अगले पांच साल तक दोनों का ये रूटीन बदस्तूर जारी रहा.
और इतना सब भी शायद काफ़ी नहीं था. संजीव ने अपने कम उम्र के इस असाधारण प्रतिभाशाली बच्चे के लिए घर के सामने ही प्रैक्टिस नेट लगवा दिए थे ताकि उसकी प्रतिभा और निखर सके.
मनीष कहते हैं, ”मुझे पिता-पुत्र की एक बात बिल्कुल अलग लगी. दोनों में पूरा आत्मविश्वास था और वो बिना रुके अपने सपने को पूरा करने की राह पर थे. मेरे सामने ऐसा पहला उदाहरण था.”
शुरुआती संकेत
इमेज स्रोत, Getty Images
सात साल की उम्र में भी वैभव की टाइमिंग बेदाग दिख रही थी.
मनीष कहते हैं,”जब वो (वैभव) मेरे पास आए तो मैंने उनके खेल में दो-तीन ख़ासियतें देखीं. उनके पास ज़बरदस्त टाइमिंग थी. शॉट लगाते वक़्त उनकी बॉडी का बैलेंस अच्छा रहता. उनके पास स्ट्रोक की बड़ी रेंज थी. हालांकि ताक़त और प्लेसमेंट की कमी थी. क्योंकि उस समय उम्र भी काफी कम थी. लेकिन उनमें जल्दी सीखने की क्षमता और बैटिंग की कभी न ख़त्म होने वाली भूख थी.”
वो कहते हैं, ”कई बार मैं एक ही दिन में उनसे किसी ख़ास शॉट को 400 बार खेलने के लिए कहता. वो भी अलग-अलग तरह से. कभी थ्रो डाउन के तौर पर तो कभी मशीन की बॉलिंग के तौर पर. या फिर कभी मैच सिम्युलेशन में. यानी मैच की तरह की परिस्थिति में. आइडिया ये था कि हर शॉट को इतनी बार खेला जाए कि वो वैभव की मसल मेमोरी का हिस्सा बन जाए.”
28 अप्रैल 2025 का दिन टी-20 क्रिकेट के इतिहास में वास्तव में एक चमकते दिन के तौर पर दर्ज हो गया.
उस दिन क्रिकेट प्रेमियों ने एक टीनएजर बल्लेबाज़ को महज 35 गेंदों में शानदार शतक बनाते देखा.
यानी वैभव उस दिन अपनी विस्फोटक पारी की बदौलत ऐसा करने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र के बल्लेबाज़ बन गए.
ये तो एक दिन होना ही था. संजीव और मनीष ने इसके संकेत काफी पहले देख लिए थे.
मनीष कहते हैं, ”2022 में हमारी एकेडमी में एक मैच खेला गया था. वैभव विरोधी टीम की गेंदबाजी का सामना कर रहे थे. इसमें रणजी और अंडर-23 में खेलने वाले कुछ तेज गेंदबाज़ थे.लेकिन वैभव ने उनके ख़िलाफ़ बेख़ौफ़ खेलते हुए 118 रन बनाए थे. उस पारी की ख़ास बात ये थी कि वैभव के लगाए सभी छक्के 80-90 मीटर लंबे थे.”
वो बताते हैं ” दूसरी पारी अंडर-19 में ऑस्ट्रेलियाई टीम के ख़िलाफ़ यूथ टेस्ट मैच में खेली गई थी. सितंबर 2024 में खेली गई इस पारी वैभव ने 62 गेंदों पर पर 104 रन बनाए थे. इस शानदार पारी को देखकर मैंने वैभव के पिता संजीव से कहा था कि वैभव जो कर रहे हैं वो तो नॉर्मल बैटिंग नहीं है. ये सितारों का खेल है जो उनसे असाधारण तरीके से बैटिंग करवा रहा है. ये भगवान का आशीर्वाद है.”
वैभव की बैटिंग से विशेषज्ञ भी अचंभित
इमेज स्रोत, Getty Images
वैभव का बल्ला जैसे घूमता है और जिस रफ़्तार से घूमता है, उसने क्रिकेट जानकारों को हैरान कर दिया है. इतनी कम उम्र में उनके शॉट्स में वो ताकत है जो बड़े-बड़े अनुभवी बल्लेबाज़ भी नहीं निकाल पाते.
उनकी बल्लेबाज़ी की सबसे ख़ास बात है उनका अनोखा बैट स्विंग. पहले उनका बल्ला नीचे जाता है, फिर लगभग सीधा ऊपर उठता है, और फिर गेंद पर पड़ने से पहले पूरी ताकत के साथ नीचे आता है. गेंद को मारने के बाद बल्ला उनके दाएं कंधे के पीछे जाकर रुकता है. यही तकनीक उन्हें लंबी दूरी तक छक्के मारने में मदद करती है.
पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज़ सबा करीम इसे कुछ ऐसे समझाते हैं, ”अगर आप बेसबॉल बल्लेबाज़ के स्टांस को देखें, तो उसमें तीन चरण होते हैं. पहला है स्टांस, दूसरा पिक-अप और तीसरा है लॉन्च या टाइमिंग. आज के ज़्यादातर टी20 बल्लेबाज़, जानकर या अनजाने में, इसी पैटर्न का पालन करते हैं, क्योंकि ताकतवर शॉट्स लगाने का यही तरीका है. लेकिन वैभव के लिए इस तरह की तकनीक का होना बिल्कुल स्वाभाविक है.”
“उनके बैट स्विंग में एक ‘व्हिप’ यानी चाबुक जैसी तेजी है, जो तभी आ सकती है जब आपके पास ‘पेरिस्कोपिक’ यानी ऊंची बैक-लिफ्ट हो. लेकिन उस मोमेंटम को पैदा करने के लिए शरीर का मूवमेंट बेहद फ्लूइड और लचीला होना चाहिए. बल्ले की झूले जैसी गति बहुत स्मूद होनी चाहिए, तभी आप बैक-लिफ्ट को ऊंचा ले जा सकते हैं. यही एक तरीका है जिससे बैटिंग में वो ‘व्हिप’ बनती है, जो इतनी ज़बरदस्त ताकत देती है.”
वैभव की बल्लेबाज़ी की एक और अहम खूबी है गेंद की लेंथ को जल्दी पहचान लेना. सबा कहते हैं, “हां, बल्लेबाज़ के लिए ये सबसे अहम चीज़ होती है. लक्ष्य होता है लेंथ को जल्दी समझना. तभी आप सही समय पर पोज़िशन में आ सकते हैं और गेंद को देर से खेल सकते हैं मतलब ये कि आप गेंद को अपने शरीर तक आने देते हैं.”
वैभव के प्रदर्शन को लेकर चिंता भी
इमेज स्रोत, ANI
38 गेंदों पर 101 रन की यादगार पारी खेलने के बाद वैभव अगले दो मैचों में शून्य और चार पर आउट हो गए.
दोनों बार वैभव उस गेंद को मारने निकले जो ऑफ स्टम्प पर गिर कर दूर चली गई थी. तो क्या गेंदबाजों ने वैभव की कमजोरी खोज ली थी.
निश्चित तौर पर ये वैभव की लड़खड़ाहट थी. उनकी ओर से हाल में खेली गई 40 और 58 रन की पारी यही बताती है.
प्रवीण आमरे कहते हैं, ”बल्लेबाज़ी के कई हिस्से हैं जिनमें वैभव को सुधार करने की ज़रूरत है. ऐसा स्वाभाविक है. लेकिन अनुभव और मैच्योरिटी आने के साथ वो ये सीख जाएंगे. लंबे समय तक लगातार अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें अपनी बेहतर पारियों की तर्ज़ पर खेलना होगा. यानी उन्हें उन पारियों में खेले गए शॉट दोहराने होंगे. यहीं इस खेल का मानसिक पहलू सामने आएगा.और मुझे पूरी उम्मीद है कि वैभव को सिखाने वाले कोच इन हालातों से उन्हें जूझने के काबिल बना देंगे.”
सबा करीम की भी यही राय है. वो कहते हैं, ”मुझे यकीन है कि मिचेल स्टार्क और जसप्रीत बुमराह जैसे बेहतरीन गेंदबाज उन्हें आउट करने का दांव खोजेंगे. वैभव को ऐसी डिलीवरी डाली जा सकती जो उनसे दूर जाती दिखे. लेकिन मैंने वैभव के कई वीडियो में ये भी देखा है वो ऑफ साइड में काफी अच्छा खेलते हैं. उनका सामना अच्छे गेंदबाजों से जितना ज्यादा होगा वो इस खेल के पहलुओं को और ज्यादा समझ सकेंगे. वो ये समझ पाएंगे आख़िर उनके ख़िलाफ़ गेंदबाज क्या करने की कोशिश कर रहे हैं.”
वो कहते हैं, ”मुझे इस बात की काफी खुशी है कि वैभव राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेल रहे हैं जिसमें राहुल द्रविड़, विक्रम राठौर, साईराज बहुतुले और ज़ुबिन भरूचा जैसे कोच हैं. उन्होंने युवा खिलाड़ियों के आगे बढ़ने के लिए बिल्कुल सही माहौल बना रखा है. वो इन खिलाड़ियों के खेल को निखारने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं.”
युवा खिलाड़ियों के करियर की शायद सबसे बड़ी चुनौती ये है कि इतनी असरदार शुरुआत के बाद वो आगे भी अपने फोकस को बना कर रख पाएंगे या नहीं?
प्रवीण आमरे कहते हैं, ”एक अच्छा रूटीन बेहद अहम है. वैभव को अच्छा रूटीन तैयार करना होगा और अनुशासित होकर अपनी बेहतरीन प्रतिभा के साथ न्याय करना होगा. मैदान के बाहर वो जो करेंगे वो उनके खेल में बाधा नहीं बनना चाहिए. इससे उनका रूटीन प्रभावित नहीं होना चाहिए. मैंने कई ऐसे खिलाड़ी देखे हैं जो वैभव से अधिक प्रतिभाशाली थे लेकिन उन्होंने अपना फोकस खो दिया. हम नहीं चाहते कि इस बच्चे के साथ भी ऐसा हो.”
वैभव का करियर कैसे आगे बढ़ेगा?
इमेज स्रोत, Getty Images
बैटिंग की सनसनी बन चुका ये बल्लेबाज़ अब अपने करियर को कैसे आगे बढ़ाएगा?
ये पूछने पर सबा क़रीम ने कहा,”उन्हें अपनी फ़िटनेस, खान-पान और तेवर पर काम करना होगा. साथ ही चीजों को जितना सहज और सरल रख पाएंगे वो उनके लिए उतना ही अच्छा होगा. उन्हें अपने परिवार और अपने पहले के कोच के संपर्क में रहना होगा, जो उनके खेल को बेहतर जानते हैं. बहुत ज्यादा चमक-दमक युवाओं की सहजता को ख़त्म कर देती है. मैं चाहूंगा कि वो इनसे बचें. उन्हें इतनी आज़ादी नहीं दी जानी चाहिए कि वो भटक जाएं और अपना फोकस खो दें.”
सबा कहते हैं, ”वैभव के लिए एक और सुझाव ये होगा वो अपनी शिक्षा पूरी करें. स्टेट एसोसिएशन या राजस्थान रॉयल्स को ऐसा तरीका खोजना होगा जिससे वैभव अपनी शिक्षा पूरी कर सकें. कम से कम वो कॉलेज की शिक्षा तो पूरी कर ही लें.”
क्या ये कुछ चमकदार पारियां वैभव की काबिलियत बताने के लिए काफ़ी हैं. क्या उन्हें एक या दो साल के भीतर सीधे भारत की टी-20 टीम में जगह दे देनी चाहिए.
सबा कहते हैं, ”क्यों नहीं. वो अंडर-19 टीम के सदस्य तो रह ही चुके हैं. मुझे लगता है कि वैभव सही रास्ते पर हैं. अगर वो इसी तरह प्रदर्शन करते रहे तो उनके नाम पर विचार करने की मजबूत संभावना है.”
वैभव के कोच मनीष से जब ये सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा,” निश्चित तौर पर मैं चाहूंगा कि वैभव जल्द से जल्द भारत की टी-20 टीम में खेलें. कल्पना कीजिए कि एक बार भारत की इस टीम में खेलने के बाद वो कितना ग्रो करेंगे. मैं चाहता हूं कि वो सचिन और विराट की तरह बनें. खूब रन बनाएं और भारत और बिहार का गौरव बढ़ाएं.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित