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शशि थरूर की कांग्रेस से विदाई का काउंटडाउन शुरू, 23 जून के बाद होगा आर या पार वाला फैसला – countdown for shashi tharoor quit congress begun thiruvananthapuram mp will take a decision after june 23 assembly bypoll result

Byadmin

Jun 21, 2025


तिरुवनंतपुरम : पहलगाम हमले के बाद कांग्रेस समेत विपक्ष नरेंद्र मोदी सरकार से इंटेलिजेंस फेल्योर के लिए सवाल पूछ रहा था। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक बयान दिया, हमें केवल उन हमलों के बारे में पता चलता है, जिन्हें हम विफल करने में असफल रहे। ये किसी भी देश में सामान्य बात है। इजरायल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी देश के पास फूलप्रूफ इंटेलिजेंस नहीं होता है। केंद्र सरकार को क्लीन चिट देने वाले उनके इस बयान से कांग्रेस में खलबली मच गई। कांग्रेस के कई नेताओं ने उनकी खुली आलोचना की। ऐसे कयास लगे कि शशि थरूर अब कांग्रेस से विदाई लेने वाले हैं। दो दिन पहले थरूर ने एक बार फिर इशारा दिया कि उनका पार्टी नेतृत्व से मतभेद है, जिस पर उपचुनाव के नतीजों के बाद चर्चा करेंगे।

मोदी सरकार के फैसले से विवाद

फिर भारत सरकार ने पाकिस्तान में आतंकियों के गढ़ में ऑपरेशन सिंदूर चलाया। कूटनीतिक पहल करते हुए भारत सरकार ने 59 सदस्यों वाले सात प्रतिनिधिमंडल को दुनिया के 33 देशों में भेजा। इनमें से एक प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कांग्रेस नेता शशि थरूर को दी गई। मोदी सरकार के इस फैसले से फिर विवाद शुरू हुआ। कांग्रेस ने प्रतिनिधिमंडल के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, सैयद नासिर हुसैन, लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर राजा सिंह वारिंग का नाम भेजा। मगर मोदी सरकार ने कांग्रेस की ओर से पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, विदेश राज्य मंत्री रहे शशि थरूर, राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा, चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी और अमर सिंह को चुना।

जयराम रमेश और उदित राज का तंज

इस लिस्ट में चार नाम ऐसे थे, जिसे कांग्रेस ने नॉमिनेट नहीं किया था। सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी पार्टी हाईकमान की मंशा के विपरीत भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने। मगर विवाद शशि थरूर को लेकर ज्यादा हुआ, जिन्हें पांच देशों में सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। थरूर ने बताया कि उन्होंने यह फैसला राष्ट्रहित में लिया है। अपने इस बयान के बाद शशि थरूर एक बार फिर अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए। जयराम रमेश ने सांसदों की लिस्ट पर आपत्ति जताते हुए थरूर को टारगेट किया। उन्होंने एक पोस्ट में तंज कसते हुए लिखा कि कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना, दोनों में काफी फ़र्क है। उदित राज ने उन्हें बीजेपी का सुपर प्रवक्ता बता दिया।

शशि थरूर ने मानी मतभेद की बात

शशि थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच तनाव बयानबाजी से खत्म नहीं हुआ। केरल के नीलांबुर विधानसभा उपचुनाव में शशि थरूर प्रचार के लिए नहीं गए। उन्हें पार्टी ने प्रचार के लिए बुलाया भी नहीं। हालांकि केरल कांग्रेस ने उनके आरोपों का खंडन किया है। मनमोहन सिंह की सरकार में राज्य मंत्री रहे शशि थरूर केरल के तिरुवनंतपुरम से 2009 से लगातार जीत रहे हैं। जब इस बारे में शशि थरूर से पूछा गया कि तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस नेतृत्व से उनके मतभेद हैं। वह उपचुनाव के नतीजों के बाद पार्टी के नेताओं से बात करेंगे। यह भी तय है कि कांग्रेस नेतृत्व थरूर की मांगों पर सहानुभूति से विचार करने के मूड में नहीं है। 23 जून को केरल के नीलांबुर समेत विधानसभा उपचुनाव के रिजल्ट आ रहे हैं। इसके बाद तय हो जाएगा कि शशि थरूर कौन सा दांव चलेंगे।

G-23 में शामिल होने का हश्र

राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि शशि थरूर और गांधी परिवार के रिश्ते 2020 से खराब होने लगे थे। शशि थरूर में जी-23 कहे जाने वाले उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने संगठन में बदलाव की वकालत की थी। तब यह माना गया कि गुट के नेताओं ने राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती दी है। नतीजतन उस गुट में शामिल गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल को पार्टी से बाहर जाना पड़ा। मनीष तिवारी और शशि थरूर जैसे नेता पार्टी में साइड लाइन किए गए। थरूर ने केरल प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारी की, जिसे आलाकमान ने सिरे से खारिज कर दिया। अगले साल मई में केरल विधानसभा चुनाव होने हैं। यह थरूर के लिए आखिरी मौके जैसा है। अगर वह राज्य में अपना कद हासिल करने में चूक गए तो कांग्रेस के भीतर उनकी अंतिम पारी होगी।

बीजेपी में एंट्री के कयास तेज

दूसरी ओर, केरल में पहली बार एंट्री लेने वाली बीजेपी ऐसे चेहरे की तलाश कर रही है, जो विधानसभा चुनावों में पार्टी का नेतृत्व कर सके। इसके लिए शशि थरूर मुफीद साबित हो सकते हैं। विधानसभा चुनाव में अगर बीजेपी का वोट प्रतिशत और सीट बढ़ाने में सफल होते हैं तो बीजेपी उन्हें हिमंत विस्व सरमा और माणिक सरकार जैसा इनाम दे सकती है।

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